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याकूब 2:20 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

20 मूर्ख! क्‍या तुम इसका प्रमाण चाहते हो कि कर्मों के अभाव में विश्‍वास व्‍यर्थ है?

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पवित्र बाइबल

20 अरे मूर्ख! क्या तुझे प्रमाण चाहिए कि कर्म रहित विश्वास व्यर्थ है?

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Hindi Holy Bible

20 पर हे निकम्मे मनुष्य क्या तू यह भी नहीं जानता, कि कर्म बिना विश्वास व्यर्थ है?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

20 पर हे निकम्मे मनुष्य, क्या तू यह भी नहीं जानता कि कर्म बिना विश्‍वास व्यर्थ है?

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नवीन हिंदी बाइबल

20 परंतु हे निकम्मे मनुष्य, क्या तू जानना चाहता है कि कार्यों के बिना विश्‍वास व्यर्थ है?

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सरल हिन्दी बाइबल

20 अरे निपट अज्ञानी! क्या अब यह भी साबित करना होगा कि काम बिना विश्वास व्यर्थ है?

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याकूब 2:20
16 क्रॉस रेफरेंस  

जो किसान अपनी भूमि को स्‍वयं जोतता-गोड़ता है, उसको रोटी का अभाव नहीं होता! पर जो मनुष्‍य व्‍यर्थ की योजनाओं में समय गुजारता है, वह नासमझ है!


प्रभु तुमसे यों कहता है : ‘तुम्‍हारे पूर्वजों ने मुझ मे कौन-सी त्रुटि पायी थी कि वे मुझ से दूर हो गए? और निस्‍सार देवता का अनुसरण कर स्‍वयं निस्‍सार बन गए?


क्‍योंकि उन्‍होंने परमेश्‍वर को जानते हुए भी उसे परमेश्‍वर के रूप में समुचित आदर और धन्‍यवाद नहीं दिया। उनका समस्‍त चिन्‍तन व्‍यर्थ चला गया और उनका विवेकहीन मन अन्‍धकारमय हो गया।


क्‍योंकि हम मानते हैं कि मनुष्‍य व्‍यवस्‍था के कर्मकाण्‍ड से पृथक ही, विश्‍वास के द्वारा धार्मिक ठहरता है।


अरे भई! तुम कौन हो, जो परमेश्‍वर से विवाद करते हो? क्‍या गढ़ी हुई प्रतिमा अपने गढ़ने वाले से कहती है, “तुमने मुझे ऐसा क्‍यों बनाया?”


यदि हम येशु मसीह से संयुक्‍त हैं, तो न तो खतने का कोई महत्व है और न उसके अभाव का। महत्‍व विश्‍वास का है, जो प्रेम द्वारा क्रियाशील होता है।


क्‍योंकि यदि कोई समझता है कि मैं कुछ हूं, जब कि वह कुछ नहीं है, तो वह अपने को धोखा देता है।


सावधान रहें। कहीं ऐसा न हो कि कोई आप लोगों को ऐसे खोखले और भ्रामक दर्शनशास्‍त्र द्वारा बहकाये, जो मनुष्‍यों की परम्‍परागत शिक्षा के अनुसार है और मसीह पर नहीं बल्‍कि संसार के तत्वों पर आधारित है।


कुछ लोग इस मार्ग को छोड़ कर निरर्थक वाद-विवाद में भटक गये हैं।


बहुत-से लोग, विशेषकर यहूदी विश्‍वासियों में, निरंकुश, बकवादी और कपटी हैं।


यदि कोई अपने को धर्मात्‍मा मानता है, किन्‍तु अपनी जीभ पर नियन्‍त्रण नहीं रखता, तो वह अपने आप को धोखा देता है और उसका धर्माचरण व्‍यर्थ है।


इसी तरह कर्मों के अभाव में विश्‍वास अपने आप में निर्जीव होता है।


जिस तरह आत्‍मा के बिना शरीर निर्जीव है, उसी तरह कर्मों के अभाव में विश्‍वास निर्जीव है।


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