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2 तीमुथियुस 3:10 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

तुमने मेरी शिक्षा, मेरे आचरण, मेरे उद्देश्‍य, मेरे विश्‍वास, सहनशीलता, प्रेम और धैर्य का अनुकरण किया है।

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पवित्र बाइबल

कुछ भी हो, तूने मेरी शिक्षा का पालन किया है। मेरी जीवन पद्धति, मेरे जीवन के उद्देश्य, मेरे विश्वास, मेरी सहनशीलता, मेरे प्रेम, मेरे धैर्य

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Hindi Holy Bible

पर तू ने उपदेश, चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दुख उठाने में मेरा साथ दिया।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

परन्तु तू ने उपदेश, चालचलन, मनसा, विश्‍वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दु:ख उठाने में मेरा साथ दिया;

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नवीन हिंदी बाइबल

परंतु तूने मेरी शिक्षा, आचरण, उद्देश्य, विश्‍वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज,

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सरल हिन्दी बाइबल

तुमने मेरी शिक्षा, स्वभाव, उद्देश्य, विश्वास, सताए जाने के समय, प्रेम तथा धीरज और सहनशीलता का भली-भांति अनुसरण किया है

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

पर तूने उपदेश, चाल-चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, उत्पीड़न, और पीड़ा में मेरा साथ दिया,

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2 तीमुथियुस 3:10
27 क्रॉस रेफरेंस  

किन्‍तु दानिएल ने अपने हृदय में यह निश्‍चय किया कि वह राजा का न तो भोजन खाएगा और न शराब पीएगा जो राजा पीता है; और यों अपने को अशुद्ध नहीं करेगा। इसलिए उसने मुख्‍य खोजा अशपनज से निवेदन किया, “आप मुझे महाराज के आदेश से मुक्‍त रखें जिससे मैं अशुद्ध न होऊं।”


मैंने भी आरम्‍भ से सब बातों का सावधानी से अध्‍ययन किया है। इसलिए श्रीमान् थिओफिलुस, मुझे आपके लिए उनका क्रमबद्ध विवरण लिखना उचित जान पड़ा,


जब बरनबास ने वहाँ पहुच कर परमेश्‍वर का अनुग्रह देखा, तो वह आनन्‍दित हो उठे। उन्‍होंने सब को प्रोत्‍साहित किया कि वे सम्‍पूर्ण हृदय से प्रभु के प्रति निष्‍ठावान बने रहें;


वे प्रेरितों की शिक्षा, सत्‍संग, रोटी तोड़ने एवं प्रार्थना में दत्तचित रहने लगे।


और उनके पहुंचने पर उनसे यह कहा, “आप लोग जानते हैं कि जिस दिन से मैं पहले-पहल आसिया पहुँचा, उस दिन से मेरा आचरण आपके बीच कैसा रहा।


“मेरा जीवन बचपन से अपनी जाति के लोगों के बीच, और यरूशलेम में ही बीता है। इसलिए सब यहूदी जानते हैं कि आरम्‍भ से ही मेरा आचरण कैसा था।


भाइयो और बहिनो! मैं आप लोगों से अनुरोध करता हूँ कि आप उन लोगों से सावधान रहें, जो फूट डालते और दूसरों के लिए पाप का कारण बनते हैं। इस प्रकार का व्‍यवहार उस शिक्षा से मेल नहीं खाता, जो आप को मिली है। आप ऐसे लोगों से दूर रहें।


मेरा निश्‍चय यही था। तो, क्‍या मैंने अकारण ही अपना विचार बदल लिया? क्‍या मैं सांसारिक मनुष्‍य की तरह निश्‍चय करता हूँ? क्‍या मुझ में कभी ‘हां’ और कभी ‘नहीं’-जैसी बात है?


इस प्रकार हम बालक नहीं बने रहेंगे और भ्रम में डालने के उद्देश्‍य से निर्मित धूर्त्त मनुष्‍यों के प्रत्‍येक सिद्धान्‍त के झोंके से विचलित हो कर बहकाये नहीं जायेंगे।


मेरे पास कोई ऐसा व्यक्‍ति नहीं है जो तिमोथी के समान सच्‍चे हृदय से आप लोगों के कल्‍याण का ध्‍यान रखेगा।


किन्‍तु तिमोथी की सच्‍चरित्रता आप लोग जानते हैं। जिस तरह कोई पुत्र अपने पिता के साथ रहता है, उसी तरह उन्‍होंने शुभसमाचार की सेवा में मेरा साथ दिया है।


क्‍योंकि हमने निरे शब्‍दों द्वारा नहीं, बल्‍कि सामर्थ्य, पवित्र आत्‍मा तथा दृढ़ विश्‍वास के साथ आप लोगों के बीच शुभ समाचार का प्रचार किया। आप जानते हैं कि आपके कल्‍याण के लिए आप के बीच हमारा आचरण कैसा था।


मैंने मकिदुनिया प्रदेश के लिए प्रस्‍थान करते समय तुम से इफिसुस नगर में रह जाने का अनुरोध किया था, जिससे तुम कुछ लोगों को यह आदेश दे सको कि वे भ्रान्‍त धारणाओं की शिक्षा नहीं दें


तुम ये सब बातें भाइयों एवं बहिनों को समझाओ। इस प्रकार तुम येशु मसीह के उत्तम सेवक बने रहोगे, और विश्‍वास के सिद्धान्‍तों से एवं उस प्रामाणिक शिक्षा से बल ग्रहण करते रहोगे, जिसका तुम ईमानदारी से पालन करते आ रहे हो।


परमेश्‍वर का सेवक होने के नाते तुम इन सब बातों से अलग रह कर धार्मिकता, भक्‍ति, विश्‍वास, प्रेम, धैर्य तथा विनम्रता की साधना करो।


तुम युवावस्‍था की वासनाओं से दूर रहो और उन सब के साथ, जो शुद्ध हृदय से प्रभु का नाम लेते हैं, धार्मिकता, विश्‍वास, प्रेम तथा शान्‍ति की साधना करते रहो।


शुभ संदेश सुनाओ, समय-असमय लोगों से आग्रह करते रहो। बड़े धैर्य से तथा शिक्षा देने के उद्देश्‍य से लोगों को समझाओ, डांटो और प्रोत्‍साहित करो;


क्‍योंकि वह समय आ रहा है, जब लोग हितकारी शिक्षा नहीं सुनेंगे, बल्‍कि मनमाना आचरण करेंगे और चाटुकार उपदेशकों की भीड़ अपने पास जमा कर लेंगे।


मैं अच्‍छी लड़ाई लड़ चुका हूँ, अपनी दौड़ पूरी कर चुका हूँ और मैंने अब तक विश्‍वास को सुरक्षित रखा है।


और तुम स्‍वयं अपने भले कार्यों से उन्‍हें अच्‍छा उदाहरण दो। तुम्‍हारी शिक्षा प्रामाणिक और गम्‍भीर हो।


नाना प्रकार के अनोखे सिद्धान्‍तों के फेर में नहीं पड़ें। उत्तम यह है कि हमारा मन भोजन से नहीं, बल्‍कि परमेश्‍वर की कृपा से बल प्राप्‍त करे। भोजन-सम्‍बन्‍धी निषेध-विधियों का पालन करने वालों को इन से लाभ नहीं हुआ।


यदि यह सब इस प्रकार नष्‍ट होने को है, तो आप लोगों को चाहिए कि पवित्र तथा भक्‍तिपूर्ण जीवन व्‍यतीत करें।