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2 तीमुथियुस 3:10 - पवित्र बाइबल

10 कुछ भी हो, तूने मेरी शिक्षा का पालन किया है। मेरी जीवन पद्धति, मेरे जीवन के उद्देश्य, मेरे विश्वास, मेरी सहनशीलता, मेरे प्रेम, मेरे धैर्य

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Hindi Holy Bible

10 पर तू ने उपदेश, चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दुख उठाने में मेरा साथ दिया।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

10 तुमने मेरी शिक्षा, मेरे आचरण, मेरे उद्देश्‍य, मेरे विश्‍वास, सहनशीलता, प्रेम और धैर्य का अनुकरण किया है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

10 परन्तु तू ने उपदेश, चालचलन, मनसा, विश्‍वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दु:ख उठाने में मेरा साथ दिया;

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नवीन हिंदी बाइबल

10 परंतु तूने मेरी शिक्षा, आचरण, उद्देश्य, विश्‍वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज,

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सरल हिन्दी बाइबल

10 तुमने मेरी शिक्षा, स्वभाव, उद्देश्य, विश्वास, सताए जाने के समय, प्रेम तथा धीरज और सहनशीलता का भली-भांति अनुसरण किया है

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2 तीमुथियुस 3:10
27 क्रॉस रेफरेंस  

दानिय्येल राजा के उत्तम भोजन और दाखमधु को ग्रहण करना नहीं चाहता था। दानिय्येल नहीं चाहता था कि वह उस भोजन और उस दाखमधु से अपने आपको अशुद्ध कर ले। सो उसने इस प्रकार अपने आपको अशुद्ध होने से बचाने के लिये अशपनज से विनती की।


हे मान्यवर थियुफिलुस! क्योंकि मैंने प्रारम्भ से ही सब कुछ का बड़ी सावधानी से अध्ययन किया है इसलिए मुझे यह उचित जान पड़ा कि मैं भी तुम्हारे लिये इसका एक क्रमानुसार विवरण लिखूँ।


जब बरनाबास ने वहाँ पहुँच कर प्रभु के अनुग्रह को सकारथ होते देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ और उसने उन सभी को प्रभु के प्रति भक्तिपूर्ण ह्रदय से विश्वासी बने रहने को उत्साहित किया।


उन्होंने प्रेरितों के उपदेश, संगत, रोटी के तोड़ने और प्रार्थनाओं के प्रति अपने को समर्पित कर दिया।


उनके आने पर पौलुस ने उनसे कहा, “यह तुम जानते हो कि एशिया पहुँचने के बाद पहले दिन से ही हर समय मैं तुम्हारे साथ कैसे रहा हूँ


“सभी यहूदी जानते हैं कि प्रारम्भ से ही स्वयं अपने देश में और यरूशलेम में भी बचपन से ही मैंने कैसा जीवन जिया है।


हे भाइयो, मैं तुमसे प्रार्थना करता हूँ कि तुमने जो शिक्षा पाई हैं, उसके विपरीत तुममें जो फूट डालते हैं और दूसरों के विश्वास को बिगाड़ते हैं, उनसे सावधान रहो, और उनसे दूर रहो।


मैंने जब ये योजनाएँ बनायी थीं, तो मुझे कोई संशय नहीं था। या मैं जो योजनाएँ बनाता हूँ तो क्या उन्हें सांसारिक ढंग से बनाता हूँ कि एक ही समय “हाँ, हाँ” भी कहता रहूँ और “ना, ना” भी करता रहूँ।


ताकि हम ऐसे बच्चे ही न बने रहें जो हर किसी ऐसी नयी शिक्षा की हवा से उछाले जायें, जो हमारे रास्ते में बहती है, लोगों के छलपूर्ण व्यवहार से, ऐसी धूर्तता से, जो ठगी से भरी योजनाओं को प्रेरित करती है, इधर-उधर भटका दिये जाते हैं।


क्योंकि दूसरा कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसकी भावनाएँ मेरे जैसी हों और जो तुम्हारे कल्याण के लिये सच्चे मन से चिंतित हो।


तुम उसके चरित्र को जानते हो कि सुसमाचार के प्रचार में मेरे साथ उसने वैसे ही सेवा की है, जैसे एक पुत्र अपने पिता के साथ करता है।


क्योंकि हमारे सुसमाचार का विवरण तुम्हारे पास मात्र शब्दों में ही नहीं पहुँचा है बल्कि पवित्र आत्मा सामर्थ्य और गहन श्रद्धा के साथ पहुँचा है। तुम जानते हो कि हम जब तुम्हारे साथ थे, तुम्हारे लाभ के लिए कैसा जीवन जीते थे।


मकिदुनिया जाते समय मैंने तुझसे जो इफिसुस में ठहरे रहने को कहा था, मैं अब भी उसी आग्रह को दोहरा रहा हूँ। ताकि तू वहाँ कुछ लोगों को झूठी शिक्षाएँ देते रहने,


यदि तुम भाइयों को इन बातों का ध्यान दिलाते रहोगे तो मसीह यीशु के ऐसे उत्तम सेवक ठहरोगे जिसका पालन-पोषण, विश्वास के द्वारा और उसी सच्ची शिक्षा के द्वारा होता है जिसे तूने ग्रहण किया है।


किन्तु हे परमेश्वर के जन, तू इन बातों से दूर रह तथा धार्मिकता, भक्तिपूर्ण सेवा, विश्वास, प्रेम, धैर्य और सज्जनता में लगा रह।


जवानी की बुरी इच्छाओं से दूर रहो धार्मिक जीवन, विश्वास, प्रेम और शांति के लिये उन सब के साथ जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम पुकारते हैं, प्रयत्नशील रहो।


सुसमाचार का प्रचार कर। चाहे तुझे सुविधा हो चाहे असुविधा, अपना कर्तव्य करने को तैयार रह। लोगों को क्या करना चाहिए, उन्हें समझा। जब वे कोई बुरा काम करें, उन्हें चेतावनी दे। लोगों को धैर्य के साथ समझाते हुए प्रोत्साहित कर।


मैं यह इसलिए बता रहा हूँ कि एक समय ऐसा आयेगा जब लोग उत्तम उपदेश को सुनना तक नहीं चाहेंगे। वे अपनी इच्छाओं के अनुकूल अपने लिए बहुत से गुरु इकट्ठे कर लेंगे, जो वही सुनाएँगे जो वे सुनना चाहते हैं।


मैं उत्तम प्रतिस्पर्द्धा में लगा रहा हूँ। मैं अपनी दौड़, दौड़ चुका हूँ। मैंने विश्वास के पन्थ की रक्षा की है।


तुम अपने आपको हर बात में आदर्श बनाकर दिखाओ। तेरा उपदेश शुद्ध और गम्भीर होना चाहिए।


हर प्रकार की विचित्र शिक्षाओं से भरमाये मत जाओ। तुम्हारे मनों के लिए यह अच्छा है कि वे अनुग्रह के द्वारा सुदृढ़ बने न कि खाने पीने सम्बन्धी नियमों को मानने से, जिनसे उनका कभी कोई भला नहीं हुआ, जिन्होंने उन्हें माना।


क्योंकि जब ये सभी वस्तुएँ इस प्रकार नष्ट होने को जा रही हैं तो सोचो तुम्हें किस प्रकार का बनना चाहिए? तुम्हें पवित्र जीवन जीना चाहिए, पवित्र जीवन जो परमेश्वर को अर्पित है तथा हर प्रकार के उत्तम कर्म करने चाहिए।


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