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मत्ती 5:3 - नवीन हिंदी बाइबल

“धन्य हैं वे जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।

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पवित्र बाइबल

“धन्य हैं वे जो हृदय से दीन हैं, स्वर्ग का राज्य उनके लिए है।

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Hindi Holy Bible

धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

“धन्‍य हैं वे, जो मन के दीन हैं; क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्‍य उन्‍हीं का है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

“धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।

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सरल हिन्दी बाइबल

“धन्य हैं वे, जो दीन आत्मा के हैं, क्योंकि स्वर्ग-राज्य उन्हीं का है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

“धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।

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मत्ती 5:3
55 क्रॉस रेफरेंस  

क्या ही धन्य है वह मनुष्य, जो दुष्‍टों की सम्मति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग पर खड़ा होता, और न ठट्ठा करनेवालों की बैठक में बैठता है।


याह की स्तुति करो! क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो यहोवा का भय मानता है, और उसकी आज्ञाओं से अति प्रसन्‍न रहता है।


क्या ही धन्य है वह जो यहोवा का भय मानता है, और उसके मार्गों पर चलता है!


क्या ही धन्य है वह, जिसका सहायक याकूब का परमेश्‍वर है, और जिसकी आशा अपने परमेश्‍वर यहोवा पर है।


पुत्र का सम्मान करो, ऐसा न हो कि वह क्रोध करे, और तुम मार्ग ही में नष्‍ट हो जाओ, क्योंकि क्षण भर में उसका क्रोध भड़कने पर है। क्या ही धन्य हैं वे सब जो उसकी शरण में आते हैं।


यहोवा टूटे मनवालों के निकट रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है।


क्या ही धन्य है वह जो कंगाल की सुधि लेता है! संकट के दिन यहोवा उसे छुड़ाएगा।


टूटा मन परमेश्‍वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्‍वर, तू टूटे और पिसे हुए हृदय को तुच्छ नहीं जानता।


हे सेनाओं के यहोवा! क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो तुझ पर भरोसा रखता है!


दीन लोगों के साथ नम्रता से रहना, घमंडियों के साथ लूट बाँट लेने से उत्तम है।


मनुष्य का अहंकार उसे नीचा दिखाएगा, परंतु विनम्र व्यक्‍ति आदर प्राप्‍त करेगा।


“इसलिए अब हे मेरे पुत्रो, मेरी सुनो; क्या ही धन्य हैं वे जो मेरे मार्गों पर चलते हैं।


उसी समय यीशु ने कहा,“हे पिता, स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु, मैं तेरी स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने इन बातों को बुद्धिमानों और समझदारों से छिपाया और बच्‍चों पर प्रकट किया है;


और धन्य है वह जो मेरे कारण ठोकर नहीं खाता।”


“परंतु धन्य हैं तुम्हारी आँखें क्योंकि वे देखती हैं, और तुम्हारे कान क्योंकि वे सुनते हैं।


तब यीशु ने कहा,“बच्‍चों को मेरे पास आने दो, उन्हें मत रोको, क्योंकि स्वर्ग का राज्य ऐसों ही का है।”


धन्य है वह दास जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करते पाए।


तब राजा अपने दाहिनी ओर वालों से कहेगा, ‘हे मेरे पिता के धन्य लोगो, आओ! जगत की उत्पत्ति से तुम्हारे लिए जो राज्य तैयार किया गया है, उसके उत्तराधिकारी बनो;


“पश्‍चात्ताप करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।”


मैं तुमसे कहता हूँ कि पूर्व और पश्‍चिम से बहुत लोग आएँगे और अब्राहम, इसहाक और याकूब के साथ स्वर्ग के राज्य में भोजन करने बैठेंगे;


यह देखकर यीशु क्रोधित हो गया और उनसे कहा,“बच्‍चों को मेरे पास आने दो, उन्हें मत रोको, क्योंकि परमेश्‍वर का राज्य ऐसों ही का है।


उसने कहा,“हाँ, बल्कि अधिक धन्य वे हैं जो परमेश्‍वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं।”


मैं तुमसे कहता हूँ, यही मनुष्य धर्मी ठहराया जाकर अपने घर गया, न कि वह दूसरा मनुष्य; क्योंकि प्रत्येक जो अपने आपको ऊँचा उठाता है वह नीचा किया जाएगा, परंतु जो अपने आपको दीन करता है वह ऊँचा उठाया जाएगा।”


जैसे मेरे पिता ने मुझे राज्य दिया है, वैसे ही मैं भी तुम्हें यह देता हूँ


कि तुम मेरे राज्य में मेरी मेज़ पर खाओ-पीओ, और सिंहासनों पर बैठकर इस्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करो।


प्रभु का आत्मा मुझ पर है, क्योंकि उसने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिए मेरा अभिषेक किया है। उसने मुझे भेजा है कि मैं बंदियों को छुटकारे का और अंधों को दृष्‍टि पाने का समाचार दूँ और कुचले हुओं को छुड़ाऊँ


यीशु ने उससे कहा,“तूने मुझे देखा है, क्या इसलिए विश्‍वास किया है? धन्य हैं वे जिन्होंने बिना देखे विश्‍वास किया।”


और धनवान अपनी दीन दशा पर, क्योंकि घास के फूल के समान उसका अंत हो जाएगा।


धन्य है वह मनुष्य जो परीक्षा में धीरज धरता है क्योंकि वह खरा उतरकर जीवन का वह मुकुट पाएगा जिसकी प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम रखनेवालों से की है।


हे मेरे प्रिय भाइयो, सुनो! क्या परमेश्‍वर ने इस जगत के कंगालों को नहीं चुना कि वे विश्‍वास में धनी और उस राज्य के उत्तराधिकारी हों जिसकी प्रतिज्ञा उसने अपने प्रेम करनेवालों से की है?


तब उसने मुझसे कहा, “लिख : धन्य हैं वे जो मेमने के विवाह-भोज में आमंत्रित किए गए हैं।” और उसने मुझसे कहा, “ये वचन, परमेश्‍वर के सत्य वचन हैं।”


“धन्य हैं वे जो अपने वस्‍त्र धोते हैं , ताकि वे जीवन के वृक्ष के अधिकारी हों, और वे फाटकों से नगर में प्रवेश कर सकें।


तू कहता है कि मैं धनवान हूँ और धनी हो गया हूँ, और मुझे किसी भी वस्तु की घटी नहीं है; परंतु तू यह नहीं जानता कि तू अभागा, दयनीय, कंगाल, अंधा और नग्‍न है।