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भजन संहिता 112:1 - नवीन हिंदी बाइबल

1 याह की स्तुति करो! क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो यहोवा का भय मानता है, और उसकी आज्ञाओं से अति प्रसन्‍न रहता है।

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पवित्र बाइबल

1 यहोवा की प्रशंसा करो! ऐसा व्यक्ति जो यहोवा से डरता है। और उसका आदर करता है। वह अति प्रसन्न रहेगा। परमेश्वर के आदेश ऐसे व्यक्ति को भाते हैं।

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Hindi Holy Bible

1 याह की स्तुति करो। क्या ही धन्य है वह पुरूष जो यहोवा का भय मानता है, और उसकी आज्ञाओं से अति प्रसन्न रहता है!

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

1 प्रभु की स्‍तुति करो! धन्‍य है, वह मनुष्‍य जो प्रभु का भय मानता है, जो उसकी आज्ञाओं से बहुत प्रसन्न होता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

1 याह की स्तुति करो! क्या ही धन्य है वह पुरुष जो यहोवा का भय मानता है, और उसकी आज्ञाओं से अति प्रसन्न रहता है!

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सरल हिन्दी बाइबल

1 याहवेह का स्तवन हो. धन्य है वह पुरुष, जो याहवेह के प्रति श्रद्धा रखता है, जिसने उनके आदेशों के पालन में अधिक आनंद पाया है.

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भजन संहिता 112:1
25 क्रॉस रेफरेंस  

याह की स्तुति करो! मैं सीधे लोगों की गोष्‍ठी में, और मंडली में भी संपूर्ण मन से यहोवा का धन्यवाद करूँगा।


यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है। जो उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, उन सब की समझ उत्तम होती है। उसकी स्तुति सदा होती रहेगी।


मैं तेरी नीतियों के मार्ग से ऐसा हर्षित हुआ हूँ जैसा सब प्रकार के धन से।


संकट और क्लेश मुझ पर आ पड़े हैं, फिर भी मैं तेरी आज्ञाओं से आनंदित हूँ।


मैं तेरी विधियों से आनंदित होऊँगा; और तेरे वचन को न भूलूँगा।


अपनी आज्ञाओं के पथ में मुझे ले चल, क्योंकि मैं उसी से प्रसन्‍न होता हूँ।


आहा, मैं तेरी व्यवस्था से कैसी प्रीति रखता हूँ! मेरा ध्यान दिन भर उसी पर लगा रहता है।


क्या ही धन्य है वह जो यहोवा का भय मानता है, और उसके मार्गों पर चलता है!


वह अपने भय माननेवालों की इच्छा पूरी करता है, और उनकी दुहाई सुनकर उन्हें बचाता है।


याह की स्तुति करो! अपने परमेश्‍वर का भजन गाना अच्छा है; उसकी स्तुति करना मनभावना और उचित है।


याह की स्तुति करो! परमेश्‍वर के पवित्रस्थान में उसकी स्तुति करो! उसके वैभवशाली आकाशमंडल में उसकी स्तुति करो!


हे मेरे परमेश्‍वर, मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्‍न होता हूँ। तेरी व्यवस्था मेरे हृदय में बसी है।”


दाइयाँ परमेश्‍वर का भय मानती थीं, इसलिए उसने उनके परिवार बसाए।


पापी चाहे सौ बार पाप करे और बहुत समय तक जीवित रहे, फिर भी मैं जानता हूँ कि जो परमेश्‍वर का भय मानते हैं और उसकी उपस्थिति में भय से चलते हैं, उनका भला ही होगा।


और उसकी दया उन पर, जो उसका भय मानते हैं, पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है।


क्योंकि मैं अपने भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्‍वर की व्यवस्था से प्रसन्‍न होता हूँ,


क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परंतु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शांति है।


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