दोस्त, आज मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि परमेश्वर आपको हर मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार करते हैं। कई बार हमें लगता है कि जो समस्याएं हमारे जीवन में आती हैं, उनके लिए हम तैयार नहीं होते। लेकिन ये सोचना गलत है। परमेश्वर हमेशा हमें तैयार करते हैं। उनके वचन में लिखा है कि परमेश्वर ने हमें डरने की नहीं, बल्कि शक्ति, प्रेम और आत्म-संयम की आत्मा दी है। इसलिए हिम्मत रखो, परमेश्वर आपके साथ हैं, हर लड़ाई में आपके लिए लड़ रहे हैं। उन औजारों का इस्तेमाल करो जो परमेश्वर ने आपको अपने वचन और पवित्र आत्मा के द्वारा दिए हैं। निडर बनो और दृढ़ता से, आत्मविश्वास से आगे बढ़ो। "जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे सब हियाव बांधें, और उनका मन दृढ़ हो" (भजन संहिता 31:24)। इसलिए हिम्मत रखो, परमेश्वर कभी असफल नहीं होते। परमेश्वर तुम्हारा बल, तुम्हारा छुड़ाने वाला, तुम्हारा सहायक, तुम्हारी ढाल और तुम्हारा ऊँचा गढ़ हैं। अपने स्वर्गीय पिता पर भरोसा रखो, सब ठीक हो जाएगा। परमेश्वर ही मुझे बल देते हैं, परमेश्वर ही मेरे मार्ग को सीधा करते हैं (2 शमूएल 22:33)।
“क्योंकि वह जो अपने मित्रों के प्रति निष्ठा दिखाने से इन्कार करता है। वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर का भी अपमान करता है।
हे प्यारे मित्रों, हम परस्पर प्रेम करें। क्योंकि प्रेम परमेश्वर से मिलता है और हर कोई जो प्रेम करता है, वह परमेश्वर की सन्तान बन गया है और परमेश्वर को जानता है।
एक व्यक्ति से दो व्यक्ति उत्तम होते हैं। जब दो व्यक्ति मिलकर साथ—साथ काम करते हैं तो जिस काम को वे करते हैं, उस काम से उन्हें अधिक लाभ मिलता है।
अपने मित्र को मत भूलो न ही अपने पिता के मित्र को। और विपत्ती में सहायता के लिये दूर अपने भाई के घर मत जाओ। दूर के भाई से पास का पड़ोसी अच्छा है।
बुद्धिमान की संगति, व्यक्ति को बुद्धिमान बनाता है। किन्तु मूर्खो का साथी नाश हो जाता है।
तुम अपने लिये जैसा व्यवहार दूसरों से चाहते हो, तुम्हें दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिये।
इत्र और सुगंधित धूप मन को आनन्द से भरते हैं और मित्र की सच्ची सम्मति सेमन उल्लास से भर जाता है।
जो आदेश तुम्हें मैं देता हूँ, यदि तुम उन पर चलते रहो तो तुम मेरे मित्र हो।
अब से मैं तुम्हें दास नहीं कहूँगा क्योंकि कोई दास नहीं जानता कि उसका स्वामी क्या कर रहा है बल्कि मैं तुम्हें मित्र कहता हूँ। क्योंकि मैंने तुम्हें वह हर बात बता दी है, जो मैंने अपने परम पिता से सुनी है।
यदि एक व्यक्ति गिर जाये तो दूसरा व्यक्ति उसकी मदद कर सकता है। किन्तु किसी व्यक्ति के लिये अकेला रहना अच्छा नहीं है क्योंकि जब वह गिरता है तो उसकी सहायता के लिये वहाँ कोई और नहीं होता।
कुछ मित्र ऐसे होते हैं जिनका साथ मन को भाता है किन्तु अपना घनिष्ठ मित्र भाई से भी उत्तम हो सकता है।
अकेले व्यक्ति को शत्रु हरा सकता है किन्तु वही शत्रु दो व्यक्तियों को नहीं हरा सकता है और तीन व्यक्तियों की शक्ति तो और भी अधिक होती है। वे एक ऐसे रस्से के समान होते हैं, जिसकी तीन लटें आपस में गुंथी हुई होती है, जिसे तोड़ पाना बहुत कठिन है।
सो जैसे ही कोई अवसर मिले, हमें सभी के साथ भलाई करनी चाहिये, विशेषकर अपने धर्म-भाइयों के साथ।
वह जो बुरी बात पर पर्दा डाल देता है, उघाड़ता नहीं है, प्रेम को बढ़ाता है। किन्तु जो बात को उघाड़ता ही रहता है, गहरे दोस्तों में फूट डाल देता है।
अन्त में तुम सब को समानविचार, सहानुभूतिशील, अपने बन्धुओं से प्रेम करने वाला, दयालु और नम्र बनना चाहिए।
बड़े से बड़ा प्रेम जिसे कोई व्यक्ति कर सकता है, वह है अपने मित्रों के लिए प्राण न्योछावर कर देना।
भाई चारे के साथ एक दूसरे के प्रति समर्पित रहो। आपस में एक दूसरे को आदर के साथ अपने से अधिक महत्व दो।
अय्यूब के तीन मित्र थे:तेमानी का एलीपज, शूही का बिलदद और नामाती का सोपर। इन तीनों मित्रों ने अय्यूब के साथ जो बुरी घटनाएँ घटी थीं, उन सब के बारे में सुना। ये तीनों मित्र अपना—अपना घर छोड़कर आपस में एक दूसरे से मिले। उन्होंने निश्चय किया कि वे अय्यूब के पास जा कर उसके प्रति सहानुभूति प्रकट करें और उसे ढाढस बँधायें।
जब कभी मूसा अपने हाथ को हवा में उठाता तो इस्राएल के लोग युद्ध जीत लेते। किन्तु जब मूसा अपने हाथ को नीचे करता तो इस्राएल के लोग युद्ध में हारने लगते।
कुछ समय बाद मूसा की बाहें थक गईं। मूसा के साथ के लोग ऐसा उपाय करना चाहते थे, जिससे मूसा की बाहें हवा में रह सकें। इसलिए उन्होंने एक बड़ी चट्टान मूसा के नीचे बैठने के लिए रखी तथा हारून और हूर ने मूसा की बाहों को हवा में पकड़े रखा। हारून मूसा की एक ओर था तथा हूर दूसरी ओर। वे उसके हाथों को वैसे ही ऊपर तब तक पकड़े रहे जब तक सूरज नहीं डूबा।
इस प्रकार शास्त्र का यह कहा पूरा हुआ था, “इब्राहीम ने परमेश्वर पर विश्वास किया और विश्वास के आधार पर ही वह धर्मी ठहरा” और इसी से वह “परमेश्वर का मित्र” कहलाया।
तू क्रोधी स्वभाव के मनुष्यों के साथ कभी मित्रता मत कर और उसके साथ, अपने को मत जोड़ जिसको शीघ्र क्रोध आ जाता है।
नहीं तो तू भी उसकी राह चलेगा और अपने को जाल में फँसा बैठेगा।
यहोवा मूसा से आमने—सामने बात करता था। यहोवा मूसा से इस प्रकार बात करता था जिस प्रकार कोई व्यक्ति अपने मित्र से बात करता है। यहोवा से बात करने के बाद मूसा हमेशा अपने डेरे मे वापस लौटता था। नून का पुत्र नवयुवक यहोशू मूसा का सहायक था। यहोशू सदा तम्बू में रहता था जब मूसा उसे छोड़ता था।
हो सकता है मित्र कभी दुःखी करें, किन्तु ये उसका लक्ष्य नहीं है। इससे शत्रु भिन्न है। वह चाहे तुम पर दया करे किन्तु वह तुम्हें हानि पहुँचाना चाहता है।
तथा आओ, हम ध्यान रखें कि हम प्रेम और अच्छे कर्मों के प्रति एक दूसरे को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं।
“शाऊल और योनातन, एक दूसरे से प्रेम करते थे। वे एक दूसरे से सुखी रहे जब तक वे जीवित रहे, शाऊल योनातन मृत्यु में भी साथ रहे! वे उकाब से तेज भी जाते थे, वे सिंह से अधिक शक्तिशाली थे।
इसलिए एक दूसरे को सुख पहुँचाओ और एक दूसरे को आध्यात्मिकरूप से सुदृढ़ बनाते रहो। जैसा कि तुम कर भी रहे हो।
इस प्रकार जब अय्यूब अपने मित्रों के लिये प्रार्थना कर चुका तो यहोवा ने अय्यूब की फिर सफलता प्रदान की। परमेश्वर ने जितना उसके पास पहले था, उससे भी दुगुना उसे दे दिया।
अन्य लोग कहेंगे, ‘किन्तु तुम्हारे हाथों में ये घाव कैसे हैं?’ वह कहेगा, ‘यह चाट मुझे अपने मित्र के घर लगी।’”
दाऊद ने जब शाऊल से बात पूरी कर ली तब योनातान दाऊद का बहुत अभिन्न मित्र बन गया। योनातान दाऊद से उतना ही प्रेम करने लगा जितना अपने से।
तब योनातान ने दाऊद से कहा कि वह उसके प्रति प्रेम की प्रतिज्ञा को दुहराये। योनातान ने यह इसलिए किया क्योंकि वह दाऊद से उतना ही प्रेम करता था जितना अपने आप से।
मैं जब जब तुम्हें याद करता हूँ, तब तब परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ।
तुम जानते हो कि तुम उसी संघर्ष में जुटे हो, जिसमें मैं जुटा था और जैसा कि तुम सुनते हो आज तक मैं उसी में लगा हूँ।
अपनी हर प्रार्थना में मैं सदा प्रसन्नता के साथ तुम्हारे लिये प्रार्थना करता हूँ।
क्योंकि पहले ही दिन से आज तक तुम सुसमाचार के प्रचार में मेरे सहयोगी रहे हो।
क्योंकि तुम परमेश्वर के चुने हुए पवित्र और प्रियजन हो इसलिए सहानुभूति, दया, नम्रता, कोमलता और धीरज को धारण करो।
तुम्हें आपस में जब कभी किसी से कोई कष्ट हो तो एक दूसरे की सह लो और परस्पर एक दूसरे को मुक्त भाव से क्षमा कर दो। तुम्हें आपस में एक दूसरे को ऐसे ही क्षमा कर देना चाहिए जैसे परमेश्वर ने तुम्हें मुक्त भाव से क्षमा कर दिया।
इन बातों के अतिरिक्त प्रेम को धारण करो। प्रेम ही सब को आपस में बाँधता और परिपूर्ण करता है।
यहोवा अपने भक्तों पर अपने भेद खोलता है। वह अपने निज भक्तों को अपने वाचा की शिक्षा देता है।
और समूचे धीरज और बढ़ावे का स्रोत परमेश्वर तुम्हें वरदान दे कि तुम लोग एक दूसरे के साथ यीशु मसीह के उदाहरण पर चलते हुए आपस में मिल जुल कर रहो।
ताकि तुम सब एक साथ एक स्वर से हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमपिता, परमेश्वर को महिमा प्रदान करो।
तथा आओ, हम ध्यान रखें कि हम प्रेम और अच्छे कर्मों के प्रति एक दूसरे को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं।
हमारी सभाओं में आना मत छोड़ो। जैसे कि कुछों को तो वहाँ नहीं आने की आदत ही पड़ गयी है। बल्कि हमें तो एक दूसरे को उत्साहित करना चाहिए। और जैसा कि तुम देख ही रहे हो-कि वह दिन निकट आ रहा है। सो तुम्हें तो यह और अधिक करना चाहिए।
और सबसे बड़ी बात यह है कि एक दूसरे के प्रति निरन्तर प्रेम बनाये रखो क्योंकि प्रेम से अनगिनत पापों का निवारण होता है।
जो कोई व्यक्ति तेरी उपासना करता मैं उसका मित्र हूँ। जो कोई व्यक्ति तेरे आदेशों पर चलता है, मैं उसका मित्र हूँ।
क्योंकि जहाँ मेरे नाम पर दो या तीन लोग मेरे अनुयायी के रूप में इकट्ठे होते हैं, वहाँ मैं उनके साथ हूँ।”
किन्तु यदि हम अब प्रकाश में आगे बढ़ते हैं क्योंकि प्रकाश में ही परमेश्वर है-तो हम विश्वासी के रूप में एक दूसरे के सहभागी हैं, और परमेश्वर के पुत्र यीशु का लहू हमें सभी पापों से शुद्ध कर देता है।
अविश्वासियों के साथ बेमेल संगत मत करो क्योंकि नेकी और बुराई की भला कैसी समानता? या प्रकाश और अंधेरे में भला मित्रता कैसे हो सकती है?
मेरा परम मित्र मेरे संग खाता था। उस पर मुझको भरोसा था। किन्तु अब मेरा परम मित्र भी मेरे विरुद्ध हो गया है।
ओ! मेरे साथी, मेरे सहचर, मेरे मित्र, यह किन्तु तू है और तू ही मुझे कष्ट पहूँचाता है।
हमने आपस में राज की बातें बाँटी थी। हमने परमेश्वर के मन्दिर में साथ—साथ उपासना की।
“तुम जगत के लिये प्रकाश हो। एक ऐसा नगर जो पहाड़ की चोटी पर बसा है, छिपाये नहीं छिपाया जा सकता।
दाऊद ने जब शाऊल से बात पूरी कर ली तब योनातान दाऊद का बहुत अभिन्न मित्र बन गया। योनातान दाऊद से उतना ही प्रेम करने लगा जितना अपने से।
अगले दिन, परमेश्वर के द्वारा भेजी एक दुष्टात्मा शाऊल पर बलपूर्वक हावी हो गई। शाऊल अपने घर में वहशी हो गया। दाऊद ने पहले की तरह वीणा बजाई।
किन्तु शाऊल के हाथ में भाला था। शाऊल ने सोचा, “मैं दाऊद को दीवार में टाँक दूँगा।” शाऊल ने दो बार भाला चलाया, किन्तु दाऊद बच गया।
यहोवा दाऊद के साथ था और यहोवा ने शाऊल को त्याग दिया था। इसलिए शाऊल दाऊद से भयभीत था।
शाऊल ने दाऊद को अपने से दूर भेज दिया। शाऊल ने दाऊद को एक हजार सैनिकों का सेनापति बना दिया। दाऊद ने युद्ध में सैनिकों का नेतृत्व किया।
यहोवा दाऊद के साथ था। अत: दाऊद सर्वत्र सफल रहता था।
शाऊल ने देखा कि दाऊद को बहुत अधिक सफलता मिल रही है तो शाऊल दाऊद से और भी अधिक भयभीत रहने लगा।
किन्तु इस्राएल और यहूदा के सभी लोग दाऊद से प्रेम करते थे। वे उससे प्रेम इसलिये करते थे क्योंकि वह युद्ध में उनका संचालन करता था और उनके लिये लड़ता था।
शाऊल दाऊद को मार डालना चाहता था। शाऊल ने दाऊद को धोखा देने का एक उपाय सोचा। शाऊल ने दाऊद से कहा, “यह मेरी सबसे बड़ी पुत्री मेरब है। मैं तुम्हें इससे विवाह करने दूँगा। तब तुम शक्तिशाली योद्धा हो जाओगे। तुम हमारे पुत्र के समान होओगे। तब तुम जाना और यहोवा के युद्धों को लड़ना।” यह एक चाल थी। शाऊल सचमुच अब यह सोच रहा थ, “इस प्रकार दाऊद को मुझे मारना नहीं पड़ेगा। मैं पलिश्तियों से उसे अपने लिए मरवा दूँगा!”
किन्तु दाऊद ने कहा, “मैं किसी महत्वपूर्ण परिवार से नहीं हूँ और मेरी हस्ती ही क्या है? मैं एक राजा की पुत्री के साथ विवाह नहीं कर सकता हूँ!”
फिर जब शाऊल की पुत्री मेरब का दाऊद के साथ विवाह का समय आया तब शाऊल ने महोलाई अद्रीएल से उसका विवाह कर दिया।
शाऊल ने उस दिन के बाद से दाऊद को अपने पास रखा। शाऊल ने दाऊद को उसके घर पिता के पास नहीं जाने दिया।
शाऊल की दूसरी पुत्री मीकल दाऊद से प्रेम करती थी। लोगों ने शाऊल से कहा कि मीकल दाऊद से प्रेम करती है। इससे शाऊल को प्रसन्नता हुई।
शाऊल ने सोचा, “मैं मीकल का उपयोग दाऊद को फँसाने के लिये करूँगा। मैं मीकल को दाऊद से विवाह करने दूँगा और तब मैं पलिश्तियों को इसे मार डालने दूँगा।” अत: शाऊल ने दाऊद से दूसरी बार कहा, “आज तुम मेरी पुत्री से विवाह कर सकते हो।”
शाऊल ने अपने अधिकारियों को आदेश दिया। उसने उनसे कहा, “दाऊद से अकेले में बातें करो। कहो, ‘देखो, राजा तुमको पसन्द करता है। उसके अधिकारी तुमको पसन्द करते हैं। तुम्हें उसकी पुत्री से विवाह कर लेना चाहिये।’”
शाऊल के अधिकारियों ने वे बाते दाऊद से कहीं। किन्तु दाऊद ने उत्तर दिया, “क्या तुम लोग समझते हो कि राजा का दामाद बनना सरल है? मेरे पास इतना धन नहीं कि राजा की पुत्री के लिये दे सकूँ। मैं तो एक साधारण गरीब व्यक्ति हूँ।”
शाऊल के अधिकारियों ने शाऊल को वह सब बताया जो दाऊद ने कहा था।
शाऊल ने उनसे कहा, “दाऊद से यह कहो, ‘दाऊद, राजा यह नहीं चाहता कि तुम उसकी पुत्री के लिये धन दो! शाऊल अपने शत्रुओं से बदला लेना चाहता है। इसलिए विवाह करने के लिये कीमत के रूप में केवल सौ पलिश्तियों की खलडियाँ हैं।’” यह शाऊल की गुप्त योजना थी। शाऊल ने सोचा कि पलिश्ती इस प्रकार दाऊद को मार डालेंगे।
शाऊल के अधिकारियों ने दाऊद से ये बातें कहीं। दाऊद राजा का दामाद बनना चाहता था, इसलिए उसने तुरन्त ही कुछ कर दिखाया।
दाऊद और उसके व्यक्ति पलिश्तियों से लड़ने गये। उन्होंने दो सौ पलिश्ती मार डाले। दाऊद ने उनके खलड़ियों को लिया और शाऊल को दे दिये। दाऊद ने यह इसलिए किया क्योंकि वह राजा का दामाद बनना चाहता था। शाऊल ने दाऊद को अपनी पुत्री मीकल से विवाह करने दिया।
शाऊल ने देखा कि यहोवा दाऊद के साथ था। किन्तु शाऊल ने यह भी ध्यान में रखा कि उसकी पुत्री मीकल दाऊद को प्यार करती है।
इसलिये शऊल दाऊद से और भी अधिक भयभीत हुआ। शाऊल उस पूरे समय दाऊद के विरुद्ध रहा।
योनातान दाऊद से बहुत प्रेम करता था। योनातान ने दाऊद से एक सन्धि की।
फिर तुम लोगों में यदि मसीह में कोई उत्साह है, प्रेम से पैदा हुई कोई सांत्वना है, यदि आत्मा में कोई भागेदारी है, स्नेह की कोई भावना और सहानुभूति है
ताकि सब कोई जब यीशु के नाम का उच्चारण होते हुए सुनें, तो नीचे झुक जायें। चाहे वे स्वर्ग के हों, धरती पर के हों और चाहे धरती के नीचे के हों।
और हर जीभ परम पिता परमेश्वर की महिमा के लिये स्वीकार करें, “यीशु मसीह ही प्रभु है।”
इसलिए मेरे प्रियों, तुम मेरे निर्देशों का जैसा उस समय पालन किया करते थे जब मैं तुम्हारे साथ था, अब जबकि मैं तुम्हारे साथ नहीं हूँ तब तुम और अधिक लगन से उनका पालन करो। परमेश्वर के प्रति सम्पूर्ण आदर भाव के साथ अपने उद्धार को पूरा करने के लिये तुम लोग काम करते जाओ।
क्योंकि वह परमेश्वर ही है जो उन कामों की इच्छा और उन्हें पूरा करने का कर्म, जो परमेश्वर को भाते हैं, तुम में पैदा करता है।
बिना कोई शिकायत या लड़ाई झगड़ा किये सब काम करते रहो,
ताकि तुम भोले भाले और पवित्र बन जाओ। तथा इस कुटिल और पथभ्रष्ट पीढ़ी के लोगों के बीच परमेश्वर के निष्कलंक बालक बन जाओ। उन के बीच अंधेरी दुनिया में तुम उस समय तारे बन कर चमको
जब तुम उन्हें जीवनदायी सुसंदेश सुनाते हो। तुम ऐसा ही करते रहो ताकि मसीह के फिर से लौटने के दिन मैं यह देख कर कि मेरे जीवन की भाग दौड़ बेकार नहीं गयी, तुम पर गर्व कर सकूँ।
तुम्हारा विश्वास एक बलि के रूप में है और यदि मेरा लहू तुम्हारी बलि पर दाखमधु के समान उँडेल दिया भी जाये तो मुझे प्रसन्नता है। तुम्हारी प्रसन्नता में मेरा भी सहभाग है।
उसी प्रकार तुम भी प्रसन्न रहो और मेरे साथ आनन्द मनाओ।
प्रभु यीशु की सहायता से मुझे तीमुथियुस को तुम्हारे पास शीघ्र ही भेज देने की आशा है ताकि तुम्हारे समाचारों से मेरा भी उत्साह बढ़ सके।
तो मुझे पूरी तरह प्रसन्न करो। मैं चाहता हूँ, तुम एक तरह से सोचो, परस्पर एक जैसा प्रेम करो, आत्मा में एका रखो और एक जैसा ही लक्ष्य रखो।
उनेसिफिरुस के परिवार पर प्रभु अनुग्रह करे। क्योंकि उसने अनेक अवसरों पर मुझे सुख पहुँचाया है। तथा वह मेरे जेल में रहने से लज्जित नहीं हुआ है।
बल्कि वह तो जब रोम आया था, जब तक मुझसे मिल नहीं लिया, यत्नपूर्वक मुझे ढूँढता रहा।
प्रभु करे उसे, उस दिन प्रभु की ओर से दया प्राप्त हो, उसने इफिसुस में मेरी तरह-तरह से जो सेवाएँ की है तू उन्हें बहुत अच्छी तरह जानता है।
यहोवा पर भरोसा रख और उसके सहारे की बाट जोह। तू दुष्टों की सफलता देखकर घबराया मत कर। तू दुष्टों की दुष्ट योजनाओं को सफल होते देख कर मत घबरा।
तू क्रोध मत कर! तू उन्मादी मत बन! उतना मत घबरा जा कि तू बुरे काम करना चाहे।
क्योंकि बुरे लोगों को तो नष्ट किया जायेगा। किन्तु वे लोग जो यहोवा पर भरोसे हैं, उस धरती को पायेंगे जिसे देने का परमेश्वर ने वचन दिया।
जैसे हममें से हर एक का शरीर तो एक है, पर उसमें अंग अनेक हैं। और यद्यपि अंगों के अनेक रहते हुए भी उनसे देह एक ही बनती है, वैसे ही मसीह है।
क्योंकि चाहे हम यहूदी रहे हों, चाहे ग़ैर यहूदी, सेवक रहे हों या स्वतन्त्र। एक ही देह के विभिन्न अंग बन जाने के लिए हम सब को एक ही आत्मा द्वारा बपतिस्मा दिया गया और प्यास बुझाने को हम सब को एक ही आत्मा प्रदान की गयी।
अब देखो, मानव शरीर किसी एक अंग से ही तो बना नहीं होता, बल्कि उसमें बहुत से अंग होते हैं।
मैं बहुत इच्छा रखता हूँ क्योंकि मैं तुमसे मिल कर कुछ आत्मिक उपहार देना चाहता हूँ, जिससे तुम शक्तिशाली बन सको।
या मुझे कहना चाहिये कि मैं जब तुम्हारे बीच होऊँ, तब एक दूसरे के विश्वास से हम परस्पर प्रोत्साहित हों।
किन्तु भाईयों, तुम्हें परमेश्वर ने स्वतन्त्र रहने को चुना है। किन्तु उस स्वतन्त्रता को अपने आप पूर्ण स्वभाव की पूर्ति का साधन मत बनने दो, इसके विपरीत प्रेम के कारण परस्पर एक दूसरे की सेवा करो।
वह उन लोगों का आदर नहीं करता जो परमेश्वर से घृणा रखते हैं। और वह उन सभी का सम्मान करता है, जो यहोवा के सेवक हैं। ऐसा मनुष्य यदि कोई वचन देता है तो वह उस वचन को पूरा भी करता है, जो उसने दिया था।
सदा नम्रता और कोमलता के साथ, धैर्यपूर्वक आचरण करो। एक दूसरे की प्रेम से सहते रहो।
किन्तु मसीह के विषय में तुमने जो जाना है, वह तो ऐसा नहीं है।
मुझे कोई संदेह नहीं है कि तुमने उसके विषय में सुना है; और वह सत्य जो यीशु में निवास करता है, उसके अनुसार तुम्हें उसके शिष्यों के रूप में शिक्षित भी किया गया है।
जहाँ तक तुम्हारे पुराने जीवन प्रकार का संबन्ध हैं तुम्हें शिक्षा दी गयी थी कि तुम अपने पुराने व्यक्तित्व को उतार फेंको जो उसकी भटकाने वाली इच्छाओं के कारण भ्रष्ट बना हुआ है।
जिससे बुद्धि और आत्मा में तुम्हें नया किया जा सके।
और तुम उस नये स्वरूप को धारण कर सको जो परमेश्वर के अनुरूप सचमुच धार्मिक और पवित्र बनने के लिए रचा गया है।
सो तुम लोग झूठ बोलने का त्याग कर दो। अपने साथियों से हर किसी को सच बोलना चाहिए, क्योंकि हम सभी एक शरीर के ही अंग हैं।
क्रोध में आकर पाप मत कर बैठो। सूरज ढलने से पहले ही अपने क्रोध को समाप्त कर दो।
शैतान को अपने पर हावी मत होने दो।
जो चोरी करता आ रहा है, वह आगे चोरी न करे। बल्कि उसे काम करना चाहिए, स्वयं अपने हाथों से कोई उपयोगी काम। ताकि उसके पास, जिसे आवश्यकता है, उसके साथ बाँटने को कुछ हो सके।
तुम्हारे मुख से कोई अनुचित शब्द नहीं निकलना चाहिए, बल्कि लोगों के विकास के लिए जिसकी अपेक्षा है, ऐसी उत्तम बात ही निकलनी चाहिए, ताकि जो सुनें उनका उससे भला हो।
वह शांति, जो तुम्हें आपस में बाँधती है, उससे उत्पन्न आत्मा की एकता को बनाये रखने के लिये हर प्रकार का यत्न करते रहो।