बाइबिल के पद

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44 बाइबल के वचन: क्या मुक्ति खो सकती है?

दोस्त, यीशु ही परमेश्वर और इंसान के बीच एकमात्र मध्यस्थ हैं। उनके नाम के ज़रिए ही हमें पापों से मुक्ति और क्षमा मिलती है, अपने कर्मों से नहीं, ताकि कोई भी अपनी बड़ाई न कर सके, बल्कि सिर्फ़ परमेश्वर की कृपा से। ये मुक्ति एक अनमोल उपहार है, जिसकी हमें कद्र करनी चाहिए, क्योंकि किसी ने हमारी आत्मा को नरक से बचाने के लिए अपनी जान दे दी।

अपने दिल में पवित्र आत्मा के साथ एक अच्छा रिश्ता बनाए रखना बहुत ज़रूरी है, ताकि हम हर रोज़ उनकी मौजूदगी को महसूस कर सकें। चर्च जाना हमें नेक रास्ते पर चलने में मदद करता है, क्योंकि वहाँ हमें आध्यात्मिक भोजन मिलता है जो हमें मज़बूत बनाता है, हमें ठीक करता है, हमें दिलासा देता है और हमें सही राह दिखाता है।

मुक्ति पाने के लिए, यीशु पर विश्वास करना और उनकी आज्ञाओं का पालन करके उस विश्वास को दिखाना ज़रूरी है। चर्च को हमेशा पवित्र बनाए रखना चाहिए, और हमें हमेशा पवित्र आत्मा से भरे रहना चाहिए।

हमें नहीं पता कि हमारा उद्धारकर्ता कब आएगा, लेकिन उसका आना नज़दीक है। परमेश्वर द्वारा दी गई क्षमा, कृपा और मुक्ति से बढ़कर कोई चमत्कार नहीं है। आओ, हम यीशु के बारे में बात करें और मुक्ति का संदेश सबको सुनाएँ!¹


रोमियों 13:11

यह सब कुछ तुम इसलिए करो कि जैसे समय में तुम रह रहे हो, उसे जानते हो। तुम जानते हो कि तुम्हारे लिए अपनी नींद से जागने का समय आ पहुँचा है, क्योंकि जब हमने विश्वास धारण किया था हमारा उद्धार अब उससे अधिक निकट है।

मत्ती 10:22

मेरे नाम के कारण लोग तुमसे घृणा करेंगे किन्तु जो अंत तक टिका रहेगा उसी का उद्धार होगा।

1 पतरस 1:5

जो विश्वास से सुरक्षित है, उन्हें वह उद्धार जो समय के अंतिम छोर पर प्रकट होने को है, प्राप्त हो।

मत्ती 24:11-13

बहुत से झूठे नबी उठ खड़े होंगे और लोगों को ठगेंगे।

क्योंकि अधार्मिकता बढ़ जायेगी सो बहुत से लोगों का प्रेम ठंडा पड़ जायेगा।

किन्तु जो अंत तक टिका रहेगा उसका उद्धार होगा।

1 थिस्सलुनीकियों 5:8

किन्तु हम तो दिन से सम्बन्धित हैं इसलिए हमें अपने पर काबू रखना चाहिए। आओ विश्वास और प्रेम की झिलम धारण कर लें और उद्धार पाने की आशा को शिरस्त्राण की तरह ओढ़ लें।

फिलिप्पियों 2:12

इसलिए मेरे प्रियों, तुम मेरे निर्देशों का जैसा उस समय पालन किया करते थे जब मैं तुम्हारे साथ था, अब जबकि मैं तुम्हारे साथ नहीं हूँ तब तुम और अधिक लगन से उनका पालन करो। परमेश्वर के प्रति सम्पूर्ण आदर भाव के साथ अपने उद्धार को पूरा करने के लिये तुम लोग काम करते जाओ।

याकूब 5:19-20

हे मेरे भाईयों, तुम में से कोई यदि सत्य से भटक जाए और उसे कोई फिर लौटा लाए तो उसे यह पता होना चाहिए कि

तुम्हारा धन सड़ चुका है। तुम्हारी पोशाकें कीड़ों द्वारा खा ली गई हैं।

जो किसी पापी को पाप के मार्ग से लौटा लाता है वह उस पापी की आत्मा को अनन्त मृत्यु से बचाता है और उसके अनेक पापों को क्षमा किए जाने का कारण बनता है।

कुलुस्सियों 1:21-23

एक समय था जब तुम अपने विचारों और बुरे कामों के कारण परमेश्वर के लिये अनजाने और उसके विरोधी थे।

किन्तु अब जब मसीह अपनी भौतिक देह में था, तब मसीह की मृत्यु के द्वारा परमेश्वर ने तुम्हें स्वयं अपने आप से ले लिया, ताकि तुम्हें अपने सम्मुख पवित्र, निश्कलंक और निर्दोष बना कर प्रस्तुत किया जाये।

यह तभी हो सकता है जब तुम अपने विश्वास में स्थिरता के साथ अटल बने रहो और सुसमाचार के द्वारा दी गयी उस आशा का परित्याग न करो, जिसे तुमने सुना है। इस आकाश के नीचे हर किसी प्राणी को उसका उपदेश दिया गया है, और मैं पौलुस उसी का सेवक बना हूँ।

इब्रानियों 6:4-6

जिन्हें एक बार प्रकाश प्राप्त हो चुका है, जो स्वर्गीय वरदान का आस्वादन कर चुके हैं, जो पवित्र आत्मा के सहभागी हो गए हैं जो परमेश्वर के वचन की उत्तमता तथा आने वाले युग की शक्तियों का अनुभव कर चुके हैं, यदि वे भटक जाएँ तो उन्हें मन-फिराव की ओर लौटा लाना असम्भव है। उन्होंने जैसे अपने ढंग से नए सिरे से परमेश्वर के पुत्र को फिर क्रूस पर चढ़ाया तथा उसे सब के सामने अपमान का विषय बनाया।

इब्रानियों 10:39

किन्तु हम उनमें से नहीं हैं जो पीछे हटते हैं और नष्ट हो जाते हैं बल्कि उनमें से हैं जो विश्वास करते हैं और उद्धार पाते हैं।

1 पतरस 1:9

और तुम अपने विश्वास के परिणामस्वरूप अपनी आत्मा का उद्धार कर रहे हो।

2 थिस्सलुनीकियों 2:13

प्रभु में प्रिय भाईयों, तुम्हारे लिए हमें सदा परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिए क्योंकि परमेश्वर ने आत्मा के द्वारा तुम्हें पवित्र करके और सत्य में तुम्हारे विश्वास के कारण उद्धार पाने के लिए तुम्हें चुना है। जिन व्यक्तियों का उद्धार होना है, तुम उस पहली फसल के एक हिस्से हो।

इफिसियों 1:13

जब तुमने उस सत्य का संदेश सुना जो तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार था, और जिस मसीह पर तुमने विश्वास किया था, तो जिस पवित्र आत्मा का वचन दिया था, मसीह के माध्यम से उसकी छाप परमेश्वर के द्वारा तुम लोगों पर भी लगायी गयी।

इब्रानियों 2:1-3

इसलिए हमें और अधिक सावधानी के साथ, जो कुछ हमने सुना है, उस पर ध्यान देना चाहिए ताकि हम भटकने न पायें।

अनेक पुत्रों को महिमा प्रदान करते हुए उस परमेश्वर के लिए जिसके द्वारा और जिसके लिए सब का अस्तित्व बना हुआ है, उसे यह शोभा देता है कि वह उनके छुटकारे के विधाता को यातनाओं के द्वारा सम्पूर्ण सिद्ध करे।

वे दोनों ही-वह जो मनुष्यों को पवित्र बनाता है तथा वे जो पवित्र बनाए जाते हैं, एक ही परिवार के हैं। इसलिए यीशु उन्हें भाई कहने में लज्जा नहीं करता।

उसने कहा: “मैं सभा के बीच अपने बन्धुओं में तेरे नाम का उदघोष करूँगा। सबके सामने मैं तेरे प्रशंसा गीत गाऊँगा।”

और फिर, “मैं उसका विश्वास करूँगा।” और फिर वह कहता है: “मैं यहाँ हूँ, और वे संतान जो मेरे साथ हैं। जिनको मुझे परमेश्वर ने दिया है।”

क्योंकि संतान माँस और लहू युक्त थी इसलिए वह भी उनकी इस मनुष्यता में सहभागी हो गया ताकि अपनी मृत्यु के द्वारा वह उसे अर्थात् शैतान को नष्ट कर सके जिसके पास मारने की शक्ति है।

और उन व्यक्तियों को मुक्त कर ले जिनका समूचा जीवन मृत्यु के प्रति अपने भय के कारण दासता में बीता है।

क्योंकि यह निश्चित है कि वह स्वर्गदूतों की नहीं बल्कि इब्राहीम के वंशजों की सहायता करता है।

इसलिए उसे हर प्रकार से उसके भाईयों के जैसा बनाया गया ताकि वह परमेश्वर की सेवा में दयालु और विश्वसनीय महायाजक बन सके। और लोगों को उनके पापों की क्षमा दिलाने के लिए बलि दे सके।

क्योंकि उसने स्वयं उस समय, जब उसकी परीक्षा ली जा रही थी, यातनाएँ भोगी हैं। इसलिए जिनकी परीक्षा ली जा रही है, वह उनकी सहायता करने में समर्थ है।

क्योंकि यदि स्वर्गदूतों द्वारा दिया गया संदेश प्रभावशाली था तथा उसके प्रत्येक उल्लंघन और अवज्ञा के लिए उचित दण्ड दिया गया तो यदि हम ऐसे महान् उद्धार की उपेक्षा कर देते हैं,

तो हम कैसे बच पायेंगे। इस उद्धार की पहली घोषणा प्रभु के द्वारा की गयी थी। और फिर जिन्होंने इसे सुना था, उन्होंने हमारे लिये इसकी पुष्टि की।

2 पतरस 3:17

सो हे प्रिय मित्रो, क्योंकि तुम्हें ये बातें पहले से ही पता हैं इसलिए सावधान रहो कि तुम बुराइयों और व्यवस्थाहीन लोगों के द्वारा भटक कर अपनी स्थिर स्थिति से डिग न जाओ।

प्रकाशितवाक्य 3:5

जो विजयी होगा वह इसी प्रकार श्वेत वस्त्र धारण करेगा। मैं जीवन की पुस्तक से उसका नाम नहीं मिटाऊँगा, बल्कि मैं तो उसके नाम को अपने परम पिता और उसके स्वर्गदूतों के सम्मुख मान्यता प्रदान करूँगा।

रोमियों 1:16

मैं सुसमाचार के लिए शर्मिन्दा नहीं हूँ क्योंकि उसमें पहले यहूदी और फिर ग़ैर यहूदी जो भी उसमें विश्वास रखता है—उसके उद्धार के लिये परमेश्वर की सामर्थ्य है।

इब्रानियों 10:26-27

सत्य का ज्ञान पा लेने के बाद भी यदि हम जानबूझ कर पाप करते ही रहते हैं फिर तो पापों के लिए कोई बलिदान बचा ही नहीं रहता।

बल्कि फिर तो न्याय की भयानक प्रतीक्षा और भीषण अग्नि ही शेष रह जाती है जो परमेश्वर के विरोधियों को चट कर जाएगी।

यूहन्ना 15:5-6

“वह दाखलता मैं हूँ और तुम उसकी शाखाएँ हो। जो मुझमें रहता है, और मैं जिसमें रहता हूँ वह बहुत फलता है क्योंकि मेरे बिना तुम कुछ भी नहीं कर सकते।

यदि कोई मुझमें नहीं रहता तो वह टूटी शाखा की तरह फेंक दिया जाता है और सूख जाता है। फिर उन्हें बटोर कर आग में झोंक दिया जाता है और उन्हें जला दिया जाता है।

2 पतरस 2:20-22

सो यदि ये हमारे प्रभु एवं उद्धारकर्त्ता यीशु मसीह को जान लेने और संसार के खोट से बच निकलने के बाद भी फिर से उन ही में फंस कर हार गये हैं, तो उनके लिए उनकी यह बाद की स्थिति, उनकी पहली स्थिति से कहीं बुरी है

क्योंकि उनके लिए यही अच्छा था कि वे इस धार्मिकता के मार्ग को जान ही नहीं पाते बजाय इसके कि जो पवित्र आज्ञा उन्हें दी गयी थी, उसे जानकर उससे मुँह फेर लेते।

उनके साथ तो वैसे ही घटी जैसे कि उन सच्ची कहावतों में कहा गया है: “कुत्ता अपनी उल्टी के पास ही लौटता है।” और “एक नहलायी हुई सुअरनी कीचड़ में लोट लगाने के लिए फिर लौट जाती है।”

इफिसियों 6:17

छुटकारे का शिरस्त्राण पहन लो और परमेश्वर के संदेश रूपी आत्मा की तलवार उठा लो।

1 पतरस 1:8-9

यद्यपि तुमने उसे देखा नहीं है, फिर भी तुम उसे प्रेम करते हो। यद्यपि तुम अभी उसे देख नहीं पा रहे हो, किन्तु फिर भी उसमें विश्वास रखते हो और एक ऐसे आनन्द से भरे हुए हो जो अकथनीय एवं महिमामय है।

और तुम अपने विश्वास के परिणामस्वरूप अपनी आत्मा का उद्धार कर रहे हो।

मत्ती 7:21-23

“प्रभु-प्रभु कहने वाला हर व्यक्ति स्वर्ग के राज्य में नहीं जा पायेगा बल्कि वह जो स्वर्ग में स्थित मेरे परम पिता की इच्छा पर चलता है, वही उसमें प्रवेश पायेगा।

उस महान दिन बहुत से मुझसे पूछेंगे ‘प्रभु! हे प्रभु! क्या हमने तेरे नाम से भविष्यवाणी नहीं की? क्या तेरे नाम से हमने दुष्टात्माएँ नहीं निकालीं और क्या हमने तेरे नाम से बहुत से आश्चर्य कर्म नहीं किये?’

तब मैं उनसे खुल कर कहूँगा कि मैं तुम्हें नहीं जानता, ‘अरे कुकर्मियों, यहाँ से भाग जाओ।’

1 कुरिन्थियों 10:12

इसलिए जो यह सोचता है कि वह दृढ़ता के साथ खड़ा है, उसे सावधान रहना चाहिये कि वह गिर न पड़े।

प्रेरितों के काम 4:12

किसी भी दूसरे में उद्धार निहित नहीं है। क्योंकि इस आकाश के नीचे लोगों को कोई दूसरा ऐसा नाम नहीं दिया गया है जिसके द्वारा हमारा उद्धार हो पाये।”

यूहन्ना 15:6

यदि कोई मुझमें नहीं रहता तो वह टूटी शाखा की तरह फेंक दिया जाता है और सूख जाता है। फिर उन्हें बटोर कर आग में झोंक दिया जाता है और उन्हें जला दिया जाता है।

इब्रानियों 7:25

अतः जो उसके द्वारा परमेश्वर तक पहुँचते हैं, वह उनका सर्वदा के लिए उद्धार करने में समर्थ है क्योंकि वह उनकी मध्यस्थता के लिए ही सदा जीता है।

1 तीमुथियुस 4:1

आत्मा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आगे चल कर कुछ लोग भटकाने वाले झूठे भविष्यवक्ताओं के उपदेशों और दुष्टात्माओं की शिक्षा पर ध्यान देने लगेंगे और विश्वास से भटक जायेंगे।

भजन संहिता 62:1

मैं धीरज के साथ अपने उद्धार के लिए यहोवा का बाट जोहता हूँ।

रोमियों 11:22

इसलिए तू परमेश्वर की कोमलता को देख और उसकी कठोरता पर ध्यान दे। यह कठोरता उनके लिए है जो गिर गये किन्तु उसकी करुणा तेरे लिए है यदि तू अपने पर उसका अनुग्रह बना रहने दे। नहीं तो पेड़ से तू भी काट फेंका जायेगा।

इब्रानियों 9:28

सो वैसे ही मसीह को, एक ही बार अनेक व्यक्तियों के पापों को उठाने के लिए बलिदान कर दिया गया। और वह पापों को वहन करने के लिए नहीं, बल्कि जो उसकी बाट जोह रहे हैं, उनके लिए उद्धार लाने को फिर दूसरी बार प्रकट होगा।

फिलिप्पियों 3:20

किन्तु हमारी जन्मभूमि तो स्वर्ग में है। वहीं से हम अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के आने की बाट जोह रहे हैं।

गलातियों 5:4

तुममें से जितने भी लोग व्यवस्था के पालन के कारण धर्मी के रूप में स्वीकृत होना चाहते हैं, वे सभी मसीह से दूर हो गये हैं और परमेश्वर के अनुग्रह के क्षेत्र से बाहर हैं।

मत्ती 24:13

किन्तु जो अंत तक टिका रहेगा उसका उद्धार होगा।

1 कुरिन्थियों 9:27

बल्कि मैं तो अपने शरीर को कठोर अनुशासन में तपा कर, उसे अपने वश में करता हूँ। ताकि कहीं ऐसा न हो जाय कि दूसरों को उपदेश देने के बाद परमेश्वर के द्वारा मैं ही व्यर्थ ठहरा दिया जाऊँ!

इफिसियों 2:8

परमेश्वर के अनुग्रह द्वारा अपने विश्वास के कारण तुम्हारा उद्धार हुआ है। यह तुम्हें तुम्हारी ओर से प्राप्त नहीं हुआ है, बल्कि यह तो परमेश्वर का वरदान है।

प्रकाशितवाक्य 7:10

वे पुकार रहे थे, “सिंहासन पर विराजमान हमारे परमेश्वर की जय हो और मेमने की जय हो।”

याकूब 1:21

हर घिनौने आचरण और चारो ओर फैली दुष्टता से दूर रहो। तथा नम्रता के साथ तुम्हारे हृदयों में रोपे गए परमेश्वर के वचन को ग्रहण करो जो तुम्हारी आत्माओं को उद्धार दिला सकता है।

तीतुस 3:5

उसने हमारा उद्धार किया। यह हमारे निर्दोष ठहराये जाने के लिये हमारे किसी धर्म के कामों के कारण नहीं हुआ बल्कि उसकी करुणा द्वारा हुआ। उसने हमारी रक्षा उस स्नान के द्वारा की जिसमें हम फिर पैदा होते हैं और पवित्र आत्मा के द्वारा नये बनाए जाते है।

रोमियों 8:38-39

क्योंकि मैं मान चुका हूँ कि न मृत्यु और न जीवन, न स्वर्गदूत और न शासन करने वाली आत्माएँ, न वर्तमान की कोई वस्तु और न भविष्य की कोई वस्तु, न आत्मिक शक्तियाँ,

न कोई हमारे ऊपर का और न हमसे नीचे का, न सृष्टि की कोई और वस्तु हमें प्रभु के उस प्रेम से, जो हमारे भीतर प्रभु यीशु मसीह के प्रति है, हमें अलग कर सकेगी।

मत्ती 10:32-33

“जो कोई मुझे सब लोगों के सामने अपनायेगा, मैं भी उसे स्वर्ग में स्थित अपने परम-पिता के सामने अपनाऊँगा।

किन्तु जो कोई मुझे सब लोगों के सामने नकारेगा, मैं भी उसे स्वर्ग में स्थित परम-पिता के सामने नकारूँगा।

लूका 8:13

वे बीज जो चट्टानी धरती पर गिरे थे उनका अर्थ है, वह व्यक्ति जो जब वचन को सुनते हैं तो उसे आनन्द के साथ अपनाते हैं। किन्तु उनके भीतर उसकी जड़ नहीं जम पाती। वे कुछ समय के लिये विश्वास करते हैं किन्तु परीक्षा की घड़ी में वे डिग जाते हैं।

2 तीमुथियुस 2:12

यदि दुःख उठाये हैं तो उसके साथ शासन भी करेंगे। यदि हम उसको छोड़ेंगे, तो वह भी हमको छोड़ देगा,

रोमियों 2:6-8

परमेश्वर हर किसी को उसके कर्मों के अनुसार फल देगा।

जो लगातार अच्छे काम करते हुए महिमा, आदर और अमरता की खोज में हैं, उन्हें वह बदले में अनन्त जीवन देगा।

किन्तु जो अपने स्वार्थीपन से सत्य पर नहीं चल कर अधर्म पर चलते हैं उन्हें बदले में क्रोध और प्रकोप मिलेगा।

ईश्वर से प्रार्थना

हे दयालु और अनन्त परमेश्वर, सर्वोच्च प्रभु, यीशु के नाम में मैं आपके गौरवशाली कलीसिया के लिए आपको धन्यवाद देता/देती हूँ। मैं प्रार्थना करता/करती हूँ कि यह पवित्र दुल्हन की तरह, निष्कलंक और निर्मल बनी रहे, और प्रार्थना में दृढ़ और अटल रहे। प्रभु यीशु, एक ऐसी एकताबद्ध कलीसिया, विश्वास में मज़बूत, जो आपके आगमन की प्रतीक्षा में जागृत रहे। हे पिता, मसीह की देह के अंग के रूप में, मैं प्रार्थना करता/करती हूँ कि हम आपके कवच से सुसज्जित और आपकी शक्ति से भरपूर कलीसिया बनें। जहाँ हम जागृत रहें, प्रार्थना करें और अपने उद्धार की रक्षा करें। जैसे कि आपका वचन कहता है: "विश्वास के द्वारा परमेश्वर की शक्ति से तुम सुरक्षित हो, उस उद्धार के लिए जो अंतिम समय में प्रकट होने को तैयार है।" यीशु के नाम में, आमीन।