ज़िंदगी हमें इसलिए मिली है ताकि हम, परमेश्वर की संतान, अपनी मर्ज़ी से नेकी का रास्ता चुन सकें और प्रलोभनों से जीतकर यीशु मसीह के पीछे चल सकें। बाइबल में हमारे समय को “कठिन समय” (2 तीमुथियुस 3:1) कहा गया है, क्योंकि शैतान की माया लोगों को अपनी ओर खींचती है।
लेकिन तुम भी पवित्र आत्मा की मदद से शैतान और उसके प्रलोभनों पर विजय पा सकते हो। जो परमेश्वर के आगे नम्र होते हैं और लगातार प्रार्थना करते हैं, उन्हें अपनी शक्ति से ज़्यादा परीक्षा में नहीं डाला जाएगा।
सोचो, अगर हम हर दिन परमेश्वर से जुड़े रहें, तो हम कितने मज़बूत हो सकते हैं! मुश्किलें तो आएंगी, पर हम उनका डटकर सामना कर पाएंगे, जैसे कीचड़ में कमल खिलता है। बस विश्वास बनाए रखो।
परीक्षा की घड़ी में किसी को यह नहीं कहना चाहिए कि “परमेश्वर मेरी परीक्षा ले रहा है,” क्योंकि बुरी बातों से परमेश्वर को कोई लेना देना नहीं है। वह किसी की परीक्षा नहीं लेता।
हर कोई अपनी ही बुरी इच्छाओं के भ्रम में फँसकर परीक्षा में पड़ता है।
क्योंकि उसने स्वयं उस समय, जब उसकी परीक्षा ली जा रही थी, यातनाएँ भोगी हैं। इसलिए जिनकी परीक्षा ली जा रही है, वह उनकी सहायता करने में समर्थ है।
जागते रहो और प्रार्थना करो ताकि तुम परीक्षा में न पड़ो। तुम्हारा मन तो वही करना चाहता है जो उचित है किन्तु, तुम्हारा शरीर दुर्बल है।”
तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े हो, जो मनुष्यों के लिये सामान्य नहीं है। परमेश्वर विश्वसनीय है। वह तुम्हारी सहन शक्ति से अधिक तुम्हें परीक्षा में नहीं पड़ने देगा। परीक्षा के साथ साथ उससे बचने का मार्ग भी वह तुम्हें देगा ताकि तुम परीक्षा को उत्तीर्ण कर सको।
वह व्यक्ति धन्य है जो परीक्षा में अटल रहता है क्योंकि परीक्षा में खरा उतरने के बाद वह जीवन के उस विजय मुकुट को धारण करेगा, जिसे परमेश्वर ने अपने प्रेम करने वालों को देने का वचन दिया है।
सो उसने उनसे कहा, “तुम सो क्यों रहे हो? उठो और प्रार्थना करो कि तुम किसी परीक्षा में न पड़ो।”
परीक्षा की घड़ी में किसी को यह नहीं कहना चाहिए कि “परमेश्वर मेरी परीक्षा ले रहा है,” क्योंकि बुरी बातों से परमेश्वर को कोई लेना देना नहीं है। वह किसी की परीक्षा नहीं लेता।
हमारे अपराध क्षमा कर, क्योंकि हमने भी अपने अपराधी को क्षमा किया, और हमें कठिन परीक्षा में मत पड़ने दे।’”
“आज यदि उसकी आवाज़ सुनो! अपने हृदय जड़ मत करो, जैसे बगावत के दिनों में किये थे। जब मरुस्थल में परीक्षा हो रही थी।
हे भाईयों, तुममें से यदि कोई व्यक्ति कोई पाप करते पकड़ा जाए तो तुम आध्यात्मिक जनों को चाहिये कि नम्रता के साथ उसे धर्म के मार्ग पर वापस लाने में सहायता करो। और स्वयं अपने लिये भी सावधानी बरतो कि कहीं तुम स्वयं भी किसी परीक्षा में न पड़ जाओ।
किन्तु मैं कहता हूँ कि आत्मा के अनुशासन के अनुसार आचरण करो और अपनी पाप पूर्ण प्रकृति की इच्छाओं की पूर्ति मत करो।
क्योंकि हमारे पास जो महायाजक है, वह ऐसा नहीं है जो हमारी दुर्बलताओं के साथ सहानुभूति न रख सके। उसे हर प्रकार से वैसे ही परखा गया है जैसे हमें फिर भी वह सर्वथा पाप रहित है।
तो फिर आओ, हम भरोसे के साथ अनुग्रह पाने परमेश्वर के सिंहासन की ओर बढ़ें ताकि आवश्यकता पड़ने पर हमारी सहायता के लिए हम दया और अनुग्रह को प्राप्त कर सकें।
किन्तु वे जो धनवान बनना चाहते हैं, प्रलोभनों में पड़कर जाल में फँस जाते हैं तथा उन्हें ऐसी अनेक मूर्खतापूर्ण और विनाशकारी इच्छाएँ घेर लेती हैं जो लोगों को पतन और विनाश की खाई में ढकेल देती हैं।
इसलिए अपने आपको परमेश्वर के अधीन कर दो। शैतान का विरोध करो, वह तुम्हारे सामने से भाग खड़ा होगा।
जवानी की बुरी इच्छाओं से दूर रहो धार्मिक जीवन, विश्वास, प्रेम और शांति के लिये उन सब के साथ जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम पुकारते हैं, प्रयत्नशील रहो।
परमेश्वर के सम्पूर्ण कवच को धारण करो। ताकि तुम शैतान की योजनाओं के सामने टिक सको।
क्योंकि हमारा संघर्ष मनुष्यों से नहीं है, बल्कि शासकों, अधिकारियों इस अन्धकारपूर्ण युग की आकाशी शक्तियों और अम्बर की दुष्टात्मिक शक्तियों के साथ है।
हे प्यारे बच्चों, तुम परमेश्वर के हो। इसलिए तुमने मसीह के शत्रुओं पर विजय पा ली है। क्योंकि वह परमेश्वर जो तुममें है, संसार में रहने वाले शैतान से महान है।
अपने पर नियन्त्रण रखो। सावधान रहो। तुम्हारा शत्रु शैतान एक गरजते सिंह के समान इधर-उधर घूमते हुए इस ताक में रहता है कि जो मिले उसे फाड़ खाए।
उसका विरोध करो और अपने विश्वास पर डटे रहो क्योंकि तुम तो जानते ही हो कि समूचे संसार में तुम्हारे भाई बहन ऐसी ही यातनाएँ झेल रहे हैं।
अपने आप को प्रार्थना में समर्पित करने के लिये थोड़े समय तक एक दूसरे से समागम न करने की आपसी सहमती को छोड़कर, एक दूसरे को संभोग से वंचित मत करो। फिर आत्म-संयम के अभाव के कारण कहीं शैतान तुम्हें किसी परीक्षा में न डाल दे, इसलिए तुम फिर समागम कर लो।
यीशु ने उत्तर दिया, “किन्तु शास्त्र यह भी कहता है, ‘अपने प्रभु परमेश्वर को परीक्षा में मत डाल।’”
इसलिए क्योंकि मैं और अधिक प्रतीक्षा नहीं कर सकता था, इसलिए मैंने तुम्हारे विश्वास के विषय में जानने तिमुथियुस को भेज दिया। क्योंकि मुझे डर था कि लुभाने वाले ने कहीं तुम्हें प्रलोभित करके हमारे कठिन परिश्रम को व्यर्थ तो नहीं कर दिया है।
मैं बड़े ध्यान से तेरे आदेशों का मनन किया करता हूँ। क्यों ताकि मैं तेरे विरूद्ध पाप पर न चलूँ।
क्योंकि परमेश्वर स्वर्गदूतों को तेरी रक्षा करने का आदेश देगा। तू जहाँ भी जाएगा वे तेरी रक्षा करेंगे।
परमेश्वर के दूत तुझको अपने हाथों पर ऊपर उठायेंगे। ताकि तेरा पैर चट्टान से न टकराए।
बल्कि प्रभु यीशु मसीह को धारण करें। और अपनी मानव देह की इच्छाओं को पूरा करने में ही मत लगे रहो।
क्योंकि जिन शास्त्रों से हम युद्ध लड़ते हैं, वे सांसारिक नहीं हैं, बल्कि उनमें गढ़ों को तहस-नहस कर डालने के लिए परमेश्वर की शक्ति निहित है।
और उन्हीं शस्त्रों से हम लोगों के तर्को का और उस प्रत्येक अवरोध का, जो परमेश्वर के ज्ञान के विरुद्ध खड़ा है, खण्डन करते हैं।
फिर आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि शैतान के द्वारा उसे परखा जा सके।
फिर यीशु ने उससे कहा, “शैतान, दूर हो! शास्त्र कहता है: ‘अपने प्रभु परमेश्वर की उपासना कर और केवल उसी की सेवा कर!’”
फिर शैतान उसे छोड़ कर चला गया और स्वर्गदूत आकर उसकी देखभाल करने लगे।
तू दुष्टों के पथ पर चरण मत रख या पापी जनों की राह पर मत चल।
तू इससे बचता रह, इसपर कदम मत बढ़ा। इससे तू मुड़ जा। तू अपनी राह चल।
मुझको बुरी बात मत करने दे। मुझको रोके रह बुरों की संगती से उनके सरस भोजन से और बुरे कामों से। मुझे भाग मत लेने दे ऐसे उन कामों में जिन को करने में बुरे लोग रख लेते हैं।
क्योंकि जो कोई परमेश्वर की सन्तान बन जाता है, वह जगत पर विजय पा लेता है और संसार के ऊपर हमें जिससे विजय मिली है, वह है हमारा विश्वास।
जो यह विश्वास करता है कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है, वही संसार पर विजयी होता है।
क्योंकि यद्यपि हम भी इस संसार में ही रहते हैं किन्तु हम संसारी लोगों की तरह नहीं लड़ते हैं।
क्योंकि जिन शास्त्रों से हम युद्ध लड़ते हैं, वे सांसारिक नहीं हैं, बल्कि उनमें गढ़ों को तहस-नहस कर डालने के लिए परमेश्वर की शक्ति निहित है।
और उन्हीं शस्त्रों से हम लोगों के तर्को का और उस प्रत्येक अवरोध का, जो परमेश्वर के ज्ञान के विरुद्ध खड़ा है, खण्डन करते हैं।
इसलिए तुम्हारे नाशवान् शरीरों के ऊपर पाप का वश न चले। ताकि तुम पाप की इच्छाओं पर कभी न चलो।
अपने शरीर के अंगों को अधर्म की सेवा के लिए पाप के हवाले न करो बल्कि मरे हुओं में से जी उठने वालों के समान परमेश्वर के हवाले कर दो। और अपने शरीर के अंगों को धार्मिकता की सेवा के साधन के रूप में परमेश्वर के हवाले कर दो।
यौनाचार से दूर रहो। दूसरे सभी पाप जिन्हें एक व्यक्ति करता है, उसके शरीर से बाहर होते हैं किन्तु ऐसा व्यक्ति जो व्यभिचार करता है वह तो अपने शरीर के ही विरुद्ध पाप करता है।
हे भाईयों, उन बातों का ध्यान करो जो सत्य हैं, जो भव्य है, जो उचित है, जो पवित्र है, जो आनन्द दायी है, जो सराहने योग्य है या कोई भी अन्य गुण या कोई प्रशंसा
तुम्हारे बीच व्यभिचार और हर किसी तरह की अपवित्रता अथवा लालच की चर्चा तक नहीं चलनी चाहिए। जैसा कि संत जनों के लिए उचित ही है।
किन्तु हे परमेश्वर के जन, तू इन बातों से दूर रह तथा धार्मिकता, भक्तिपूर्ण सेवा, विश्वास, प्रेम, धैर्य और सज्जनता में लगा रह।
हमारा विश्वास जिस उत्तम स्पर्द्धा की अपेक्षा करता है, तू उसी के लिए संघर्ष करता रह और अपने लिए अनन्त जीवन को अर्जित कर ले। तुझे उसी के लिए बुलाया गया है। तूने बहुत से साक्षियों के सामने उसे बहुत अच्छी तरह स्वीकारा है।
अपने पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रख! तू अपनी समझ पर भरोसा मत रख।
उसको तू अपने सब कामों में याद रख। वही तेरी सब राहों को सीधी करेगा।
अब और आगे इस दुनिया की रीति पर मत चलो बल्कि अपने मनों को नया करके अपने आप को बदल डालो ताकि तुम्हें पता चल जाये कि परमेश्वर तुम्हारे लिए क्या चाहता है। यानी जो उत्तम है, जो उसे भाता है और जो सम्पूर्ण है।
हे यहोवा, मुझे उन पापों को करने से बचा जिन्हें मैं करना चाहता हूँ। उन पापों को मुझ पर शासन न करने दे। यदि तू मुझे बचाये तो मैं पवित्र और अपने पापों से मुक्त हो सकता हूँ।
तू चिंता मत कर, मैं तेरे साथ हूँ। तू भयभीत मत हो, मैं तेरा परमेश्वर हूँ। मैं तुझे सुदृढ़ करुँगा। मैं तुझे अपने नेकी के दाहिने हाथ से सहारा दूँगा।
यहोवा मेरी चट्टान, मेरा गढ़, मेरा शरणस्थल है।” मेरा परमेश्वर मेरी चट्टान है। मैं तेरी शरण मे आया हूँ। उसकी शक्ति मुझको बचाती है। यहोवा ऊँचे पहाड़ों पर मेरा शरणस्थल है।
“मैंने ये बातें तुमसे इसलिये कहीं कि मेरे द्वारा तुम्हें शांति मिले। जगत में तुम्हें यातना मिली है किन्तु साहस रखो, मैंने जगत को जीत लिया है।”
क्योंकि वह परमेश्वर ही है जो उन कामों की इच्छा और उन्हें पूरा करने का कर्म, जो परमेश्वर को भाते हैं, तुम में पैदा करता है।
इससे हमें सीख मिलती है कि हम परमेश्वर विहीनता को नकारें और सांसारिक इच्छाओं का निषेध करते हुए ऐसा जीवन जीयें जो विवेकपूर्ण नेक, भक्ति से भरपूर और पवित्र हो। आज के इस संसार में
सम्भव है सज्जन भी विपत्तियों में घिर जाए। किन्तु यहोवा उन सज्जनों की उनकी हर समस्या से रक्षा करेगा।