सोचो, क्या कभी तुमने खुद को दूसरों से बेहतर समझा है? बाइबल बताती है कि परमेश्वर घमंडियों को दूर से ही देखते हैं। ये घमंड, ये अहंकार, परमेश्वर को बिल्कुल पसंद नहीं। इसमें हम खुद को ही सब कुछ समझने लगते हैं, जैसे सब हमारे बस में हो।
जब घमंड हम पर हावी होता है, तब हमें अपनी गलतियाँ नज़र ही नहीं आतीं। हम दूसरों की कमियों को तो देखते हैं, पर अपनी तरफ ध्यान ही नहीं देते। ये हमारे मन और हृदय दोनों को खराब कर देता है।
इससे आज़ादी का एक ही रास्ता है: परमेश्वर को अपने जीवन के हर हिस्से में पहचानो। उनके सामने झुको और स्वीकार करो कि तुम उन पर निर्भर हो। ये मानो कि तुम्हारी ताकत और योग्यता से कुछ नहीं होता, सब कुछ उनकी कृपा और प्रेम से है।
मुझे पूरा विश्वास है कि जब तुम ऐसा करोगे, तो उनका प्रेम तुम्हें पूरी तरह बदल देगा। तुम्हारे सोचने का तरीका, तुम्हारा नज़रिया, सब कुछ नया हो जाएगा। तुम उनकी छवि के अनुसार एक नई रचना बन जाओगे।
परमेश्वर के सामने नम्र बनो, और सही समय पर वही तुम्हें ऊँचा उठाएँगे। वही तुम्हें उस जगह पहुँचाएँगे जो उन्होंने तुम्हारे लिए अनंत काल से तय की है।
जिनके मन में अहंकार भरा हुआ है, उनसे यहोवा घृणा करता है। इसे तू सुनिश्चित जान, कि वे बिना दण्ड पाये नहीं बचेगें।
परमेश्वर महान है, किन्तु वह दीन जन का ध्यान रखता है। परमेश्वर को अहंकारी लोगों के कामों का पता है किन्तु वह उनसे दूर रहता है।
दुष्ट जन इतने अभिमानी होते हैं कि वे परमेश्वर का अनुसरण नहीं कर सकते। वे बुरी—बुरी योजनाएँ रचते हैं। वे ऐसे कर्म करते हैं, जैसे परमेश्वर का कोई अस्तित्व ही नहीं।
अहंकारी लोग अहंकार करना छोड़ देंगे। अहंकारी लोग धरती पर लाज से सिर नीचे झुका लेंगे। उस समय केवल यहोवा ही ऊँचे स्थान पर विराजमान होगा।
हे यहोवा, मैं अभिमानी नहीं हूँ। मैं महत्वपूर्ण होने का जतन नहीं करता हूँ। मैं वो काम करने का जतन नहीं करता हूँ जो मेरे लिये बहुत कठिन हैं। ऐसी उन बातों की मुझे चिंता नहीं है।
यदि कोई व्यक्ति महत्त्वपूर्ण न होते हुए भी अपने को महत्त्वपूर्ण समझता है तो वह अपने को धोखा देता है।
इसलिए उसके अनुग्रह के कारण जो उपहार उसने मुझे दिया है, उसे ध्यान में रखते हुए मैं तुममें से हर एक से कहता हूँ, अपने को यथोचित समझो अर्थात जितना विश्वास उसने तुम्हें दिया है, उसी के अनुसार अपने को समझना चाहिए।
किन्तु परमेश्वर ने हम पर अत्यधिक अनुग्रह दर्शाया है, इसलिए शास्त्र में कहा गया है, “परमेश्वर अभिमानियों का विरोधी है, जबकि दीन जनों पर अपनी अनुग्रह दर्शाता है।”
इसी प्रकार हे नव युवकों! तुम अपने धर्मवृद्धों के अधीन रहो। तुम एक दूसरे के प्रति विनम्रता धारण करो, क्योंकि “परमेश्वर अभिमानियों का विरोध करता है किन्तु दीन जनों पर सदा अनुग्रह रहता है।”
जैसा कि शास्त्र कहता है: “जिसे गर्व करना है वह, प्रभु ने जो कुछ किया है, उसी पर गर्व करें।”क्योंकि अच्छा वही माना जाता है जिसे प्रभु अच्छा स्वीकारता है, न कि वह जो अपने आप को स्वयं अच्छा समझता है।
इसलिए वे अहंकार से भरे रहते हैं। और वे घृणा से भरे हुए रहते हैं। ये वैसा ही साफ दिखता है, जैसे रत्न और वे सुन्दर वस्त्र जिनको वे पहने हैं।
क्योंकि इस संसार की हर वस्तु: जो तुम्हारे पापपूर्ण स्वभाव को आकर्षित करती है, तुम्हारी आँखों को भाती है और इस संसार की प्रत्येक वह वस्तु, जिस पर लोग इतना गर्व करते हैं। परम पिता की ओर से नहीं है बल्कि वह तो सांसारिक है।
बात को शुरू करने से अच्छा उसका अन्त करना है। उत्तम है नम्रता और धैर्य धीरज के खोने और अंहकार से।क्रोध में जल्दी से मत आओ क्योंकि क्रोध में आना मूर्खता है।
“इसलिए मैंने तुम लोगों को समझाने की कोशिश की, किन्तु तुम लोगों ने मेरी एक न सुनी। तुम लोगों ने यहोवा का आदेश मानने से इन्कार कर दिया। तुम लोगों ने अपनी शक्ति का उपयोग करने की बात सोची। इसलिए तुम लोग पहाड़ी प्रदेश में गए।
तुमने किसका अपमान किया किसका मजाक उड़ाया किसके विरुद्ध तुमने बातें की तुमने ऐसे काम किये मानों तुम उससे बढ़कर हो। तुम इस्राएल के परम पावन के विरुद्ध रहे!
वे पर निन्दक हैं, और परमेश्वर से घृणा करते हैं। वे उद्दण्ड हैं, अहंकारी हैं, बड़बोला हैं, बुराई के जन्मदाता हैं, और माता-पिता की आज्ञा नहीं मानते।
वह मनुष्य जो अपने को बुद्धिमान मानता है, किन्तु होता नहीं है वह तो किसी मूर्ख से भी बुरा होता है।
बात को शुरू करने से अच्छा उसका अन्त करना है। उत्तम है नम्रता और धैर्य धीरज के खोने और अंहकार से।
यदि कोई व्यक्ति छिपे छिपे अपने पड़ोसी के लिये दुर्वचन कहे, मैं उस व्यक्ति को ऐसा करने से रोकूँगा। मैं लोगों को अभिमानी बनने नहीं दूँगा और मैं उन्हें सोचने नहीं दूँगा, कि वे दूसरे लोगों से उत्तम हैं।
अहंकार केवल झगड़ों को पनपाता है किन्तु जो सम्मति की बात मानता है, उनमें ही विवेक पाया जाता है।
बुद्धिमान के शब्द प्रशंसा दिलाते हैं। किन्तु मूर्ख के शब्दों से विनाश होता है।एक मूर्ख व्यक्ति मूर्खतापूर्ण बातें कहकर ही शुरूआत करता है। और अंत में वह पागलपन से भरी हुई स्वयं को ही हानि पहुँचाने वाली बातें कहता है।
लोग जो स्वयं को मुझसे उत्तम सोचते हैं, निरन्तर मेरा अपमान कर रहे हैं, किन्तु हे यहोवा मैंने तेरी शिक्षाओं पर चलना नहीं छोड़ा।
कुछ अहंकारी लोग ने अपनी झूठों से मुझ पर प्रहार किया था। यह तेरी शिक्षाओं के विरूद्ध है।
तूने यदि कभी कोई मूर्खता का आचरण किया हो, और अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बना हो अथवा तूने कभी कुचक्र रचा हो तो तू अपना मुँह अपने हाथों से ढक ले।
इसलिए जो यह सोचता है कि वह दृढ़ता के साथ खड़ा है, उसे सावधान रहना चाहिये कि वह गिर न पड़े।
परमेशवर कहता है, “मैं इस दुनिया पर बुरी—बुरी बातें घटित करुँगा। मैं दुष्टों को उनकी दुष्टता का दण्ड दूँगा। मैं अभिमानियों के अभिमान को मिटा दूँगा। ऐसे लोग जो दूसरे के प्रति नीच हैं, मैं उनके बड़े बोल को समाप्त कर दूँगा।
“बाबुल, तुम बहुत गर्वीले हो, और मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ।” हमारा स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा यह सब कहता है। “मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ, और तुम्हारे दण्डित होने का समय आ गया है।
तू यह मानता है कि तू अंधों का अगुआ है, जो अंधेरे में भटक रहे हैं उनके लिये तू प्रकाश है,
धनी और स्वाभिमानी लोगों के साथ सम्पत्ति बाँट लेने से, दीन और गरीब लोगों के साथ रहना उत्तम है।
उन अहंकारी लोगों ने मेरे लिये जाल बिछाया। मुझको फँसाने को उन्होंने जाल फैलाया है। मेरी राह में उन्होंने फँदा फैलाया है।
“किन्तु बुरे लोग अभिमानी होते है, इसलिये यदि वे परमेश्वर की सहायता पाने को दुहाई दें तो उन्हें उत्तर नहीं मिलता है।यह सच है कि परमेश्वर उनकी व्यर्थ की दुहाई को नहीं सुनेगा। सर्वशक्तिशाली परमेश्वर उन पर ध्यान नहीं देगा।
वे बुरे लोग कोसते और झूठ बोलते रहते हैं। उन बुरी बातों का दण्ड उनको दे, जो उन्होंने कही हैं। उनको अपने अभिमान में फँसने दे।
तू सदा अपने से कहा करता था कि, “मैं सर्वोच्च परमेश्वर सा बनूँगा। मैं आकाशों के ऊपर जीऊँगा। मैं परमेशवर के तारों के ऊपर अपना सिंहासन स्थापित करुँगा। मैं जफोन के पवित्र पर्वत पर बैठूँगा। मैं उस छिपे हुए पर्वत पर देवों से मिलूँगा।मैं बादलों के वेदी तक जाऊँगा। मैं सर्वोच्च परमेश्वर सा बनूँगा।”
शत्रु के पतन पर आनन्द मत कर। जब उसे ठोकर लगे, तो अपना मन प्रसन्न मत होने दे।यदि तू ऐसा करेगा, तो यहोवा देखेगा और वह यहोवा की आँखों में आ जायेगा एवं वह तुझसे प्रसन्न नहीं रहेगा। फिर सम्भव है कि वह तेरे उस शत्रु की ही सहायता करे।
भला तुम में, ज्ञानी और समझदार कौन है? जो है, उसे अपने व्यवहार से यह दिखाना चाहिए कि उसके कर्म उस सज्जनता के साथ किए गए हैं जो ज्ञान से जुड़ी है।
“कुछ लोग बहुत ही अभिमानी होते हैं, वे सोचते रहते है कि वे बहुत शाक्तिशाली और महत्वपूर्ण है।लेकिन उन लोगों को बता दो, ‘डींग मत हाँकों!’ ‘इतने अभिमानी मत बने रह!’”
परमेश्वर अपनी महाशक्ति से इस संसार का शासन करता है। परमेश्वर हर कहीं लोगों पर दृष्टि रखता है। कोई भी व्यक्ति उसके विरूद्ध नहीं हो सकता।
कौन कहता है कि तू किसी दूसरे से अधिक अच्छा है। तेरे पास अपना ऐसा क्या है? जो तुझे दिया नहीं गया है? और जब तुझे सब कुछ किसी के द्वारा दिया गया है तो फिर इस रूप में अभिमान किस बात का कि जैसे तूने किसी से कुछ पाया ही न हो।
तुम अपने सौन्दर्य के कारण घमण्डी हो गए, तुम्हारे गौरव ने तुम्हारी बुद्धिमत्ता को नष्ट किया, इसलिये मैंने तुम्हें धरती पर ला फेंका, और अब अन्य राजा तुम्हें आँख फाड़ कर देखते हैं।
यहोवा ने एक विशेष दिन की योजना बनायी है। उस दिन, यहोवा अहंकारियों और बड़े बोलने वाले लोगों को दण्ड देगा। तब उन अहंकारी लोगों को साधारण बना दिया जायेगा।
यहोवा उन ओंठों को सी दे जो झूठ बोलते हैं। हे यहोवा, उन जीभों को काट जो अपने ही विषय में डींग हाँकते हैं।
वह एक नया शिष्य नहीं होना चाहिए ताकि वह अहंकार से फूल न जाये। और उसे शैतान जैसा ही दण्ड पाना पड़े।
यहोवा अभिमानी के घर को छिन्न—भिन्न करता है; किन्तु वह विवश विधवा के घर की सीमा बनाये रखता है।
तू किसी दूसरे घर के दास पर दोष लगाने वाला कौन होता है? उसका अनुमोदन या उसे अनुचित ठहराना स्वामी पर ही निर्भर करता है। वह अवलम्बित रहेगा क्योंकि उसे प्रभु ने अवलम्बित होकर टिके रहने की शक्ति दी।
“सावधान रहो! परमेश्वर चाहता है, उन कामों का लोगों के सामने दिखावा मत करो नहीं तो तुम अपने परम-पिता से, जो स्वर्ग में है, उसका प्रतिफल नहीं पाओगे।
मूर्ख को अपने पर बहुत भरोसा होता है। किन्तु जो ज्ञान की राह पर चलता है, सुरक्षित रहता है।
हे यहोवा, तू इस धरती पर दुष्टों के साथ ऐसा बर्ताव करता है जैसे वे कूड़ा हो। सो मैं तेरी वाचा से सदा प्रेम करूँगा।
यदि कोई जन यहोवा के भरोसे रहता है, तो वह मनुष्य सचमुच प्रसन्न होगा। और यदि कोई जन मूर्तियों और मिथ्या देवों की शरण में नहीं जायेगा, तो वह मनुष्य सचमुच प्रसन्न होगा।
यह सत्य है, वे अपने अविश्वास के कारण तोड़ फेंकी गयीं किन्तु तुम अपने विश्वास के बल पर अपनी जगह टिके रहे। इसलिए इसका गर्व मत कर बल्कि डरता रह।
इसलिए परमेश्वर के महिमावान हाथ के नीचे अपने आपको नवाओ। ताकि वह उचित अवसर आने पर तुम्हें ऊँचा उठाए।
वे लोगों के कंधों पर इतना बोझ लाद देते हैं कि वे उसे उठा कर चल ही न सकें और लोगों पर दबाव डालते हैं कि वे उसे लेकर चलें। किन्तु वे स्वयं उनमें से किसी पर भी चलने के लिए पाँव तक नहीं हिलाते।
वे अपराधी कब तक डींग मारते रहेंगे उन बुरे कर्मो को जो उन्होंने किये हैं।हे यहोवा, वे लोग तेरे भक्तों को दु:ख देते हैं। वे तेरे भक्तों को सताया करते हैं।
हे यहोवा, मैं अभिमानी नहीं हूँ। मैं महत्वपूर्ण होने का जतन नहीं करता हूँ। मैं वो काम करने का जतन नहीं करता हूँ जो मेरे लिये बहुत कठिन हैं। ऐसी उन बातों की मुझे चिंता नहीं है।मैं निश्चल हूँ, मेरी आत्मा शांत है। मेरी आत्मा शांत और अचल है, जैसे कोई शिशु अपनी माता की गोद में तृप्त होता है।
बुरा हो उन अभिमानियों का जो स्वयं को बहुत चतुर मानते हैं। वे सोचा करते हैं कि वे बहुत बुद्धिमान हैं।
नम्र लोग वह धरती पाएंगे जिसे परमेश्वर ने देने का वचन दिया है। वे शांति का आनन्द लेंगे।
सो अपने को हलकान क्यों करते हो? न तो बहुत अधिक धर्मी बनो और न ही बुद्धिमान अन्यथा तुम्हें एसी बातें देखने को मिलेगी जो तुम्हें आघात पहुँचाएगी न तो बहुत अधिक दुष्ट बनो और न ही मूर्ख अन्यथा समय से पहले ही तुम मर जाओगे।
राजा के सामने अपने बड़ाई मत बखानो और महापुरुषों के बीच स्थान मत चाहो।उत्तम वह है जो तुझसे कहे, “आ यहाँ, आ जा” अपेक्षा इसके कि कुलीन जन के समक्ष वह तेरा निरादर करें।
अपने कर्म का मूल्यांकन हर किसी को स्वयं करते रहना चाहिये। ऐसा करने पर ही उसे अपने आप पर, किसी दूसरे के साथ तुलना किये बिना, गर्व करने का अवसर मिलेगा।
सचमुच लोग कोई मदद नहीं कर सकते। सचमुच तुम उनके भरोसे सहायता पाने को नहीं रह सकते! परमेश्वर की तुलना में वे हवा के झोंके के समान हैं।
यदि कोई बिना विचारे हुए बोलता है तो उसके लिये कोई आशा नहीं। अधिक आशा होती है एक मूर्ख के लिये अपेक्षा उस जन के जो विचार बिना बोले।
दुष्ट लोग सज्जनों के लिये कुचक्र रचते हैं। दुष्ट जन सज्जनों के ऊपर दाँत पीसकर दिखाते हैं कि वे क्रोधित हैं।किन्तु हमारा स्वामी उन दुर्जनों पर हँसता है। वह उन बातों को देखता है जो उन पर पड़ने को है।
यहोवा का डरना, पाप से घृणा करना है। गर्व और अहंकार, कुटिल व्यवहार और पतनोन्मुख बातों से मैं घृणा करती हूँ।
और फिर तुम लोग अभिमान में फूले हुए हो। किन्तु क्या तुम्हें इसके लिये दुखी नहीं होना चाहिये? जो कोई ऐसा दुराचार करता है उसे तो तुम्हें अपने बीच से निकाल बाहर करना चाहिये था।
धनवानों से मत डरो कि वे धनी हैं। लोगों से उनके वैभवपूर्ण घरों को देखकर मत डरना।वे लोग जब मरेंगे कुछ भी साथ न ले जाएंगे। उन सुन्दर वस्तुओं में से कुछ भी न ले जा पाएंगे।
इसलिए उसके अनुग्रह के कारण जो उपहार उसने मुझे दिया है, उसे ध्यान में रखते हुए मैं तुममें से हर एक से कहता हूँ, अपने को यथोचित समझो अर्थात जितना विश्वास उसने तुम्हें दिया है, उसी के अनुसार अपने को समझना चाहिए।क्योंकि जैसे हममें से हर एक के शरीर में बहुत से अंग हैं। चाहे सब अंगों का काम एक जैसा नहीं है।हम अनेक हैं किन्तु मसीह में हम एक देह के रूप में हो जाते हैं। इस प्रकार हर एक अंग हर दूसरे अंग से जुड़ जाता है।
न ही लोगों को तुम अपने को स्वामी कहने देना क्योंकि तुम्हारा स्वामी तो बस एक ही है और वह मसीह है।तुममें सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति वही होगा जो तुम्हारा सेवक बनेगा।जो अपने आपको उठायेगा, उसे नीचा किया जाएगा और जो अपने आपको नीचा बनाएगा, उसे उठाया जायेगा।
ऐसे अनुशासन से जो जन सीखता है, जीवन के मार्ग की राह वह दिखाता है। किन्तु जो सुधार की उपेक्षा करता है ऐसा मनुष्य तो भटकाया करता है।
हे परमेश्वर, जब तू उन पर्वतों से लौटता है, जहाँ तूने अपने शत्रुओं को हरा दिया था, तू महिमा से मण्डित रहता है।
किसी से अपने आप बदला मत लो। मेरे मित्रों, बल्कि इसे परमेश्वर के क्रोध पर छोड़ दो क्योंकि शास्त्र में लिखा है: “प्रभु ने कहा है बदला लेना मेरा काम है। प्रतिदान मैं दूँगा।”
वे लोग मुझे शाप देते रहे। किन्तु यहोवा मुझको आशीर्वाद दे सकता है। उन्होंने मुझ पर वार किया, सो उनको हरा दे। तब मैं, तेरा दास, प्रसन्न हो जाऊँगा।
अब देखो! हमारे शरीर की पापपूर्ण प्रकृति के कामों को तो सब जानते हैं। वे हैं: व्यभिचार अपवित्रता, भोगविलास,सुनो! स्वयं मैं, पौलुस तुमसे कह रहा हूँ कि यदि ख़तना करा कर तुम फिर से व्यवस्था के विधान की ओर लौटते हो तो तुम्हारे लिये मसीह का कोई महत्त्व नहीं रहेगा।मूर्ति पूजा, जादू-टोना, बैर भाव, लड़ाई-झगड़ा, डाह, क्रोध, स्वार्थीपन, मतभेद, फूट, ईर्ष्या,नशा, लंपटता या ऐसी ही और बातें। अब मैं तुम्हें इन बातों के बारे में वैसे ही चेता रहा हूँ जैसे मैंने तुम्हें पहले ही चेता दिया था कि जो लोग ऐसी बातों में भाग लेंगे, वे परमेश्वर के राज्य का उत्तराधिकार नहीं पायेंगे।
वह जो ऊँचा है और जिसको ऊपर उठाया गया है, वह जो अमर है, वह जिसका नाम पवित्र है, वह यह कहता है, “एक ऊँचे और पवित्र स्थान पर रहा करता हूँ, किन्तु मैं उन लोगों के बीच भी रहता हूँ जो दु:खी और विनम्र हैं। ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो मन से विनम्र हैं। ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो मन से विनम्र हैं। ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो हृदय से दु:खी हैं।
नाश आने से पहले अहंकार आ जाता और पतन से पहले चेतना हठी हो जाती।धनी और स्वाभिमानी लोगों के साथ सम्पत्ति बाँट लेने से, दीन और गरीब लोगों के साथ रहना उत्तम है।
प्रेम धैर्यपूर्ण है, प्रेम दयामय है, प्रेम में ईर्ष्या नहीं होती, प्रेम अपनी प्रशंसा आप नहीं करता।वह अभिमानी नहीं होता। वह अनुचित व्यवहार कभी नहीं करता, वह स्वार्थी नहीं है, प्रेम कभी झुँझलाता नहीं, वह बुराइयों का कोई लेखा-जोखा नहीं रखता।
ओ, विश्वास विहीन लोगो! क्या तुम नहीं जानते कि संसार से प्रेम करना परमेश्वर से घृणा करने जैसा ही है? जो कोई इस दुनिया से दोस्ती रखना चाहता है, वह अपने आपको परमेश्वर का शत्रु बनाता है।