अत: प्रभु, हमें सिखा कि हमारी आयु के दिन कितने कम हैं; और यों हम बुद्धिमत्तापूर्ण मन प्राप्त करें।
सभोपदेशक 7:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) भोज के उत्सव में सम्मिलित होने की अपेक्षा मृत्यु-शोक से पीड़ित परिवार में जाना अच्छा है, क्योंकि मृत्यु ही सब मनुष्यों का अन्त है। अत: जीवित व्यक्ति गम्भीरतापूर्वक अपने अन्त पर विचार करेगा। पवित्र बाइबल उत्सव में जाने से जाना गर्मी में, सदा उत्तम हुआ करता है। क्योंकि सभी लोगों की मृत्यु तो निश्चित है। हर जीवित व्यक्ति को सोचना चाहिये इसे। Hindi Holy Bible जेवनार के घर जाने से शोक ही के घर जाना उत्तम है; क्योंकि सब मनुष्यों का अन्त यही है, और जो जीवित है वह मन लगाकर इस पर सोचेगा। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) भोज के घर जाने से शोक ही के घर जाना उत्तम है; क्योंकि सब मनुष्यों का अन्त यही है, और जो जीवित है वह मन लगाकर इस पर सोचेगा। नवीन हिंदी बाइबल उत्सव मनानेवाले के घर जाने की अपेक्षा शोक मनानेवाले के घर जाना उत्तम है; क्योंकि सब मनुष्यों का अंत यही है, और जो जीवित है वह मन लगाकर इस पर विचार करेगा। सरल हिन्दी बाइबल शोक के घर में जाना भोज के घर में जाने से कहीं ज्यादा अच्छा है, क्योंकि हर एक मनुष्य का अंत यही है; और जीवित इस पर ध्यान दें. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 भोज के घर जाने से शोक ही के घर जाना उत्तम है; क्योंकि सब मनुष्यों का अन्त यही है, और जो जीवित है वह मन लगाकर इस पर सोचेगा। |
अत: प्रभु, हमें सिखा कि हमारी आयु के दिन कितने कम हैं; और यों हम बुद्धिमत्तापूर्ण मन प्राप्त करें।
बुद्धिमान व्यक्ति के सिर में उसकी आंखें होती हैं, और वह देखकर चलता है, किन्तु मूर्ख मनुष्य अन्धकार में टटोलता है। तो भी मुझे यह अनुभव हुआ कि मूर्ख और बुद्धिमान दोनों एक ही गति को प्राप्त होते हैं।
क्योंकि जैसे मूर्ख की स्मृति स्थायी नहीं होती वैसे ही बुद्धिमान की भी स्मृति स्थायी नहीं होती। कुछ ही दिनों में लोग सब भूल जाते हैं। जैसे मूर्ख मरता है वैसे ही बुद्धिमान भी।
मनुष्य और पशु एक ही गति को प्राप्त होते हैं। जैसे पशु मरता है वैसे ही मनुष्य भी। उन सब में एक ही से प्राण हैं। मनुष्य पशु से श्रेष्ठ नहीं है। अत: सब व्यर्थ है।
सब अन्त में एक ही स्थान में जाते हैं। सब मिट्टी से बने हैं, और मिट्टी में ही मिल जाएंगे।
चाहे मनुष्य दो हजार वर्ष जीए, किन्तु यदि वह जीवन का आनन्दपूर्वक भोग नहीं करता तो ऐसी दीर्घायु से क्या लाभ? सब मनुष्य जीवन के अन्त में एक ही स्थान को जाते हैं।
सब की नियति एक ही है: धार्मिक और अधार्मिक, भला और बुरा, शुद्ध और अशुद्ध, बलि चढ़ानेवाला− बलि न चढ़ानेवाला। जो नियति अच्छे मनुष्य की है वही पापी मनुष्य की है। जो अपनी शपथ को पूरा करता है, उसकी नियति वही है, जो अपनी शपथ का उल्लंघन करता है।
जो बुराइयाँ सूर्य के नीचे इस धरती पर विद्यमान हैं उनमें से एक यह नियति है : सब मनुष्य एक ही गति को प्राप्त होते हैं। मनुष्यों के हृदय बुराई से भरे हैं। जब तक वे जीवित रहते हैं, उनमें पागलपन समाया रहता है। उसके बाद वे मृतकों में मिल जाते हैं।
जो जीवित हैं, वे जानते हैं कि उन्हें एक दिन मरना ही होगा, किन्तु जो मर चुके हैं, वे क्या जानते हैं? उन्हें प्रतिफल मिल चुका है। उनकी स्मृति मिट चुकी है।
तूने सोचा था, कि तू सदा मालकिन बनी रहेगी। अत: तूने अपने हृदय में इन बातों पर विचार नहीं किया, तू भूल गई कि इनका परिणाम गंभीर होगा।
यदि तुम मेरी यह बात नहीं सुनोगे, मेरे नाम की महिमा करने पर ध्यान नहीं दोगे, तो मैं, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु, यह कहता हूं: मैं तुम पर शाप प्रेषित करूंगा। मैं तुम्हारे वरदानों को शापों में बदल दूंगा। निस्सन्देह मैंने उन्हें शाप में बदल दिया है, क्योंकि तुमने मेरे नाम की महिमा करने पर ध्यान नहीं दिया।
याकूब के असंख्य वंशजों को कौन गिन सकता है? कौन गणना कर सकता है इस्राएल के करोड़ों की? भला हो कि मेरी मृत्यु निष्कपट व्यक्ति के सदृश हो! मेरा अन्त उन लोगों के समान हो!’
तब उन्होंने उनसे यह कहा, ‘जो शब्द मैं आज गम्भीर साक्षी के रूप में तुमसे कह रहा हूँ, उन्हें अपने हृदय में बैठा लो, और अपने बच्चों को सिखाओ, जिससे वे इस व्यवस्था के सब वचनों के अनुसार कार्य कर सकें।
उन लोगों का अन्त सर्वनाश है। वे भोजन को अपना ईश्वर बना लेते हैं और ऐसी बातों पर गर्व करते हैं, जिन पर लज्जा करनी चाहिए। उनका मन संसार की वस्तुओं में लगा हुआ है।