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सभोपदेशक 6:6 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

6 चाहे मनुष्‍य दो हजार वर्ष जीए, किन्‍तु यदि वह जीवन का आनन्‍दपूर्वक भोग नहीं करता तो ऐसी दीर्घायु से क्‍या लाभ? सब मनुष्‍य जीवन के अन्‍त में एक ही स्‍थान को जाते हैं।

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पवित्र बाइबल

6 वह व्यक्ति चाहे दो हजार वर्ष जिए किन्तु वह जीवन का आनन्द नहीं उठाता तो वह बच्चा जो मरा ही पैदा हुआ हो, उस एक जैसे अंत अर्थात् मृत्यु को आसानी से पाता है।

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Hindi Holy Bible

6 हां चाहे वह दो हजार वर्ष जीवित रहे, और कुछ सुख भोगने न पाए, तो उसे क्या? क्या सब के सब एक ही स्थान में नहीं जाते?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

6 हाँ, चाहे वह दो हज़ार वर्ष जीवित रहे, और कुछ सुख भोगने न पाए, तो उसे क्या? क्या सब के सब एक ही स्थान में नहीं जाते?

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नवीन हिंदी बाइबल

6 यदि वह मनुष्य दो हज़ार वर्ष भी जीवित रहता, तो भी उत्तम वस्तुओं का उपभोग नहीं कर पाता। क्या सब के सब एक ही स्थान में नहीं जाते?

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सरल हिन्दी बाइबल

6 दो बार जिसका जीवन दो हज़ार साल का हो मगर उस व्यक्ति ने किसी अच्छी वस्तु का इस्तेमाल न किया हो, क्या सभी लोग एक ही जगह पर नहीं जाते?

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सभोपदेशक 6:6
18 क्रॉस रेफरेंस  

इस प्रकार आदम कुल नौ सौ तीस वर्ष जीवित रहा। तत्‍पश्‍चात् उसकी मृत्‍यु हुई।


उसने कहा, ‘मैं अपनी मां के पेट से नंगा बाहर निकला था। मैं नंगा ही वहाँ लौटूंगा, जहाँ से आया था। प्रभु ने दिया था, प्रभु ने ले लिया। प्रभु का नाम धन्‍य है।’


हां, मैं जानता हूं कि तू मुझे मृत्‍यु के हाथ में सौंप देगा; तू मुझे उस घर में भेज देगा, जो सब प्राणियों के लिए निश्‍चित् किया गया है।


‘हे परमेश्‍वर, स्‍मरण कर कि मेरा जीवन हवा का एक झोंका है। मेरी आँखें अब अच्‍छे दिन नहीं देखेंगी।


वह कौन मनुष्‍य है जो जीवन की कामना करता है; जो दीर्घ आयु का इच्‍छुक है कि भलाई को देख सके?


तब मिट्टी मिट्टी में मिल जाएगी, और आत्‍मा परमेश्‍वर के पास लौट जाएगी, जिसने उसको प्रदान किया था।


बुद्धिमान व्यक्‍ति के सिर में उसकी आंखें होती हैं, और वह देखकर चलता है, किन्‍तु मूर्ख मनुष्‍य अन्‍धकार में टटोलता है। तो भी मुझे यह अनुभव हुआ कि मूर्ख और बुद्धिमान दोनों एक ही गति को प्राप्‍त होते हैं।


सब अन्‍त में एक ही स्‍थान में जाते हैं। सब मिट्टी से बने हैं, और मिट्टी में ही मिल जाएंगे।


यदि किसी मनुष्‍य के सौ पुत्र उत्‍पन्न होते हैं, और वह लम्‍बी उम्र तक जीवित रहता है, दीर्घ आयु प्राप्‍त करता है, पर यदि वह जीवन के सुखों को भोग न कर पाए, मरने पर अन्‍तिम क्रिया भी उसे न प्राप्‍त हो, तो मैं यह कहूंगा : ऐसे मनुष्‍य से अधूरे माह का जन्‍मा मृत बच्‍चा श्रेष्‍ठ है।


वह सूर्य के प्रकाश को नहीं देख सका, और न उसे जीवन का कुछ अनुभव ही हुआ। फिर भी उसे उस दीर्घायु वाले मनुष्‍य से अधिक विश्राम मिला।


भोज के उत्‍सव में सम्‍मिलित होने की अपेक्षा मृत्‍यु-शोक से पीड़ित परिवार में जाना अच्‍छा है, क्‍योंकि मृत्‍यु ही सब मनुष्‍यों का अन्‍त है। अत: जीवित व्यक्‍ति गम्‍भीरतापूर्वक अपने अन्‍त पर विचार करेगा।


सब की नियति एक ही है: धार्मिक और अधार्मिक, भला और बुरा, शुद्ध और अशुद्ध, बलि चढ़ानेवाला− बलि न चढ़ानेवाला। जो नियति अच्‍छे मनुष्‍य की है वही पापी मनुष्‍य की है। जो अपनी शपथ को पूरा करता है, उसकी नियति वही है, जो अपनी शपथ का उल्‍लंघन करता है।


वहाँ न शिशु होगा, जो कुछ दिन जीवित रहकर असमय में मर जाएगा; और न ऐसे वृद्ध होंगे, जो पूर्ण आयु न भोगेंगे। प्रत्‍येक बालक शतायु होगा; जो व्यक्‍ति सौ वर्ष की उम्र के पहले मरेगा, वह शापित समझा जाएगा।


अब यह न होगा कि वे अपने लिए मकान बनाएं और उनके शत्रु उनमें रहें! वे अंगूर-उद्यान लगाएँ, पर उनका फल उनके बैरी खाएँ! मेरे निज लोगों की आयु वृक्ष की आयु के सदृश दीर्घ होगी। मेरे मनोनीत लोग दीर्घ काल तक अपनी मेहनत का फल खाएंगे।


वह मरुस्‍थल की छोटी सूखी झाड़ी के समान होता है, जो कभी फलती-फूलती नहीं। वह मनुष्‍य निर्जन प्रदेश के सूखे इलाकों में निवास करेगा; वह नोनी भूमि के क्षेत्र में रहेगा, जहां कोई नहीं बसता।


जिस तरह मनुष्‍यों के लिए एक ही बार मरना और इसके बाद उनका न्‍याय होना निर्धारित है,


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