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सभोपदेशक 7:2 - नवीन हिंदी बाइबल

2 उत्सव मनानेवाले के घर जाने की अपेक्षा शोक मनानेवाले के घर जाना उत्तम है; क्योंकि सब मनुष्यों का अंत यही है, और जो जीवित है वह मन लगाकर इस पर विचार करेगा।

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पवित्र बाइबल

2 उत्सव में जाने से जाना गर्मी में, सदा उत्तम हुआ करता है। क्योंकि सभी लोगों की मृत्यु तो निश्चित है। हर जीवित व्यक्ति को सोचना चाहिये इसे।

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Hindi Holy Bible

2 जेवनार के घर जाने से शोक ही के घर जाना उत्तम है; क्योंकि सब मनुष्यों का अन्त यही है, और जो जीवित है वह मन लगाकर इस पर सोचेगा।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

2 भोज के उत्‍सव में सम्‍मिलित होने की अपेक्षा मृत्‍यु-शोक से पीड़ित परिवार में जाना अच्‍छा है, क्‍योंकि मृत्‍यु ही सब मनुष्‍यों का अन्‍त है। अत: जीवित व्यक्‍ति गम्‍भीरतापूर्वक अपने अन्‍त पर विचार करेगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

2 भोज के घर जाने से शोक ही के घर जाना उत्तम है; क्योंकि सब मनुष्यों का अन्त यही है, और जो जीवित है वह मन लगाकर इस पर सोचेगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

2 शोक के घर में जाना भोज के घर में जाने से कहीं ज्यादा अच्छा है, क्योंकि हर एक मनुष्य का अंत यही है; और जीवित इस पर ध्यान दें.

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सभोपदेशक 7:2
29 क्रॉस रेफरेंस  

अतः हमें अपने दिन गिनना सिखा कि हम बुद्धि से भरा मन पाएँ।


बुद्धिमान की आँखें उसके सिर में होती हैं, परंतु मूर्ख अंधकार में चलता है; फिर भी मैं जानता हूँ कि दोनों का अंत एक जैसा होता है।


क्योंकि मूर्ख के समान बुद्धिमान का स्मरण भी सर्वदा बना न रहेगा, और आने वाले दिनों में वे सब भुला दिए जाएँगे। देखो, बुद्धिमान भी मूर्ख के समान ही मरता है!


मनुष्यों और पशुओं का अंत तो एक जैसा ही होता है। जैसे एक मरता है वैसे ही दूसरा भी मरता है। उन सब में एक ही श्‍वास है, तथा मनुष्य किसी बात में पशु से बढ़कर नहीं। सब कुछ व्यर्थ है।


सब एक ही स्थान को जाते हैं। सब मिट्टी से बने हैं, और सब मिट्टी में फिर मिल जाते हैं।


यदि वह मनुष्य दो हज़ार वर्ष भी जीवित रहता, तो भी उत्तम वस्तुओं का उपभोग नहीं कर पाता। क्या सब के सब एक ही स्थान में नहीं जाते?


सब बातें सब के लिए समान होती हैं : धर्मी हो या दुष्‍ट, भला हो या बुरा, शुद्ध हो या अशुद्ध, बलिदान चढ़ानेवाला हो या बलिदान न चढ़ानेवाला सब का एक ही परिणाम होता है। जैसी दशा भले मनुष्य की होती है, वैसी ही पापी मनुष्य की; जैसी दशा शपथ खानेवाले की वैसी ही शपथ से डरनेवाले की।


संसार में जो कुछ होता है उसमें यह बुराई है कि सब मनुष्यों के अंत की दशा एक जैसी होती है; और साथ ही लोगों के मन बुराई से भरे रहते हैं और जब तक वे जीवित हैं, उनके हृदय में पागलपन समाया रहता है। उसके बाद वे मृतकों में जा मिलते हैं।


जीवित तो जानते हैं कि वे मरेंगे; परंतु मृतक कुछ भी नहीं जानते और न उन्हें अब कोई प्रतिफल मिलेगा, क्योंकि उनका नाम तक भुला दिया गया है।


धन्य हैं वे जो शोक करते हैं, क्योंकि वे सांत्वना पाएँगे।


उनका अंत विनाश है, उनका ईश्‍वर पेट है और उनकी महिमा उनकी निर्लज्‍जता में है; वे भौतिक वस्तुओं पर मन लगाए रखते हैं।


जिस प्रकार सब मनुष्यों के लिए एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना निर्धारित है,


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