प्रभु परमेश्वर ने कहा, ‘मनुष्य का अकेला रहना अच्छा नहीं। मैं उसके लिए एक उपयुक्त सहायक बनाऊंगा।’
सभोपदेशक 4:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) यद्यपि मनुष्य अकेला है, उसका पुत्र नहीं, भाई नहीं, तथापि वह निरन्तर कमाता ही जाता है, उसके परिश्रम का कोई अन्त नहीं। उसकी आंखें धन-सम्पत्ति से तृप्त नहीं होतीं। वह अपने आपसे कभी पूछता नहीं, “मैं यह सब परिश्रम किसके लिए कर रहा हूं, और क्यों स्वयं को सुख-चैन से वंचित कर रहा हूं?” यह भी व्यर्थ है, और एक दु:खद कार्य-व्यापार है। पवित्र बाइबल एक व्यक्ति परिवार विहीन हो सकता है। हो सकता है उसके कोई पुत्र और यहाँ तक कि कोई भाई भी न हो किन्तु वह व्यक्ति कठिन से कठिन परिश्रम करने में लगा रहता है और जो कुछ उसके पास होता है, उससे कभी संतुष्ट नहीं होता। सो मैं भी इतनी कड़ी मेहनत क्यों करता हूँ? मैं स्वयं अपने जीवन का आनन्द क्यों नहीं लेता हूँ? अब देखो यह भी एक दुःख भरी और व्यर्थ की बात है। Hindi Holy Bible कोई अकेला रहता और उसका कोई नहीं है; न उसके बेटा है, न भाई है, तौभी उसके परिश्रम का अन्त नहीं होता; न उसकी आंखें धन से सन्तुष्ट होती हैं, और न वह कहता है, मैं किस के लिये परिश्रम करता और अपने जीवन को सुखरहित रखता हूं? यह भी व्यर्थ और निरा दु:खभरा काम है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) कोई अकेला रहता है और उसका कोई नहीं है; न उसके बेटा है, न भाई है, तौभी उसके परिश्रम का अन्त नहीं होता; न उसकी आँखें धन से सन्तुष्ट होती हैं; और न वह कहता है, मैं किसके लिये परिश्रम करता और अपने जीवन को सुखरहित रखता हूँ? यह भी व्यर्थ और निरा दु:खभरा काम है। नवीन हिंदी बाइबल एक व्यक्ति है जिसका कोई नहीं है; उसका न तो कोई पुत्र है और न भाई, फिर भी उसके परिश्रम का अंत नहीं होता; और उसकी आँखें धन से संतुष्ट नहीं होतीं; और न वह यह सोचता है कि मैं किसके लिए परिश्रम करता हूँ और क्यों अपने को सुख से वंचित रखता हूँ? यह भी व्यर्थ और दुःखद कार्य है। सरल हिन्दी बाइबल एक व्यक्ति जिसका कोई नहीं है; न पुत्र, न भाई. उसकी मेहनत का कोई अंत नहीं. वह पर्याप्त धन कमा नहीं पाता, फिर भी वह यह प्रश्न कभी नहीं करता, “मैं अपने आपको सुख से दूर रखकर यह सब किसके लिए कर रहा हूं?” यह भी बेकार, और दुःख भरी स्थिति है! इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 कोई अकेला रहता और उसका कोई नहीं है; न उसके बेटा है, न भाई है, तो भी उसके परिश्रम का अन्त नहीं होता; न उसकी आँखें धन से सन्तुष्ट होती हैं, और न वह कहता है, मैं किसके लिये परिश्रम करता और अपने जीवन को सुखरहित रखता हूँ? यह भी व्यर्थ और निरा दुःख भरा काम है। |
प्रभु परमेश्वर ने कहा, ‘मनुष्य का अकेला रहना अच्छा नहीं। मैं उसके लिए एक उपयुक्त सहायक बनाऊंगा।’
निस्सन्देह मनुष्य छाया जैसा चलता-फिरता प्राणी है। निस्सन्देह वह व्यर्थ ही उत्तोजित है; मनुष्य धन का ढेर तो लगाता है, पर नहीं जानता कि कौन उसे भोगेगा।
जैसे अधोलोक और पाताल मनुष्यों के शवों से कभी तृप्त नहीं होते, वैसे ही मनुष्य की इच्छाएँ कभी तृप्त नहीं होतीं।
इस आकाश के नीचे पृथ्वी पर जो होता है, बुद्धि से उसकी खोजबीन करने और उसका भेद समझने के लिए मैंने अपना मन लगाया। यह एक कष्टप्रद कार्य है, जिसे परमेश्वर ने मनुष्यों को इसी कार्य में व्यस्त रहने के लिए सौंपा है।
सब बातें थकानेवाली हैं, मनुष्य उनका वर्णन नहीं कर सकता। आंखें देखकर भी तृप्त नहीं होतीं, और न कान सुनकर ही संतुष्ट होते हैं।
कभी ऐसा भी होता है कि मनुष्य बुद्धि, ज्ञान और कौशल से परिश्रम करता है किन्तु वह उसका फल उस व्यक्ति के द्वारा भोगने के लिए छोड़ जाता है, जिसने उसके लिए कुछ भी परिश्रम नहीं किया। यह भी व्यर्थ है और बहुत बुरा है।
सच पूछो तो उसके जीवन के सब दिन दु:खों से भरे रहते हैं, और उसका काम सन्तोष नहीं, वरन् सन्ताप उत्पन्न करता है। रात में भी उसके मन को चैन नहीं मिलता। यह भी व्यर्थ है।
पैसे से प्यार करनेवाला पैसे से कभी सन्तुष्ट नहीं होता; और न ही ऐसा व्यक्ति, जिसे धन से प्रेम है, उसके अधिकाधिक लाभ से सन्तुष्ट होता है। यह भी व्यर्थ है।
किन्तु ऐसा होते हुए भी देश के लिए यह लाभदायक बात है कि देश की सेवा करने वाला एक राजा हो।
धिक्कार है तुम्हें! तुम एक के बाद एक मकान बनाते जाते हो, खेत पर खेत जोड़ते जाते हो, कि अन्त में गरीबों के लिए एक गज जमीन भी नहीं बचती, और तुम सारी भूमि के अकेले मालिक बन बैठते हो!
जो भोजन नहीं है, उस पर पैसा क्यों खर्च करते हो? जिससे सन्तोष नहीं मिलता, उसके लिए परिश्रम क्यों करते हो? ध्यान से मेरी बात सुनो! तब तुम्हें खाने को उत्तम वस्तु प्राप्त होगी, और तुम स्वादिष्ट व्यंजन खाकर तृप्त होगे।
परन्तु परमेश्वर ने उस से कहा, ‘मूर्ख! इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा और तूने जो इकट्ठा किया है, वह अब किसका होगा?’
संसार में जो शरीर की वासना, आँखों का लोभ और धन-सम्पत्ति का घमण्ड है, वह सब पिता से नहीं, बल्कि संसार से आता है।