Biblia Todo Logo
ऑनलाइन बाइबिल
- विज्ञापनों -




यशायाह 55:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

2 जो भोजन नहीं है, उस पर पैसा क्‍यों खर्च करते हो? जिससे सन्‍तोष नहीं मिलता, उसके लिए परिश्रम क्‍यों करते हो? ध्‍यान से मेरी बात सुनो! तब तुम्‍हें खाने को उत्तम वस्‍तु प्राप्‍त होगी, और तुम स्‍वादिष्‍ट व्‍यंजन खाकर तृप्‍त होगे।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

पवित्र बाइबल

2 व्यर्थ ही अपना धन ऐसी किसीवस्तु पर क्यों बर्बाद करते हो जो सच्चा भोजन नहीं है ऐसी किसी वस्तु के लिये क्यों श्रम करते हो जो सचमुच में तुम्हें तृप्त नहीं करती मेरी बात ध्यान से सुनो। तुम सच्चा भोजन पाओगे। तुम उस भोजन का आनन्द लोगे। जिससे तुम्हारा मन तृप्त हो जायेगा।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

Hindi Holy Bible

2 जो भोजनवस्तु नहीं है, उसके लिये तुम क्यों रूपया लगाते हो, और, जिस से पेट नहीं भरता उसके लिये क्यों परिश्रम करते हो? मेरी ओर मन लगाकर सुनो, तब उत्तम वस्तुएं खाने पाओगे और चिकनी चिकनी वस्तुएं खाकर सन्तुष्ट हो जाओगे।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

2 जो भोजनवस्तु नहीं है, उसके लिये तुम क्यों रुपया लगाते हो, और जिस से पेट नहीं भरता उसके लिये क्यों परिश्रम करते हो? मेरी ओर मन लगाकर सुनो, तब उत्तम वस्तुएँ खाने पाओगे और चिकनी चिकनी वस्तुएँ खाकर सन्तुष्‍ट हो जाओगे।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

सरल हिन्दी बाइबल

2 जो खाने का नहीं है उस पर धन क्यों खर्च करते हो? जिससे पेट नहीं भरता उसके लिये क्यों मेहनत करते हो? ध्यान से मेरी सुनों, तब उत्तम वस्तुएं खाओगे, और तृप्‍त होंगे.

अध्याय देखें प्रतिलिपि

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

2 जो भोजनवस्तु नहीं है, उसके लिये तुम क्यों रुपया लगाते हो, और जिससे पेट नहीं भरता उसके लिये क्यों परिश्रम करते हो? मेरी ओर मन लगाकर सुनो, तब उत्तम वस्तुएँ खाने पाओगे और चिकनी-चिकनी वस्तुएँ खाकर सन्तुष्ट हो जाओगे।

अध्याय देखें प्रतिलिपि




यशायाह 55:2
42 क्रॉस रेफरेंस  

विनम्र व्यक्‍ति भोजन कर तृप्‍त होंगे, प्रभु को खोजने वाले प्रभु की स्‍तुति करेंगे। उनका हृदय सदा धड़कता रहे!


ओ पुत्र-पुत्रियों! आओ! मेरी बात सुनो; मैं तुम्‍हें प्रभु की भक्‍ति करना सिखाऊंगा।


वे तेरे घर के विभिन्न व्‍यंजनों से तृप्‍त होते हैं। तू उन्‍हें अपनी सुख-सरिता से जल पिलाता है।


मेरा प्राण भव्‍य भोज के भोजन से तृप्‍त हुआ है; मैं आनन्‍दपूर्ण ओंठों से तेरी प्रशंसा करूंगा।


प्रभु ने कहा, ‘यदि तुम अपने प्रभु परमेश्‍वर की वाणी ध्‍यानपूर्वक सुनोगे, जो कार्य मेरी दृष्‍टि में उचित है, उसे करोगे, मेरी आज्ञाओं पर कान दोगे और मेरी समस्‍त संविधियों का पालन करोगे, तो मैं तुम पर महामारियाँ नहीं डालूँगा, जो मैंने मिस्र-निवासियों पर डाली थीं, क्‍योंकि मैं प्रभु हूं−तुम्‍हें स्‍वस्‍थ करने वाला।’


किन्‍तु जो व्यक्‍ति मेरी बात सुनेगा, वह सुरक्षित निवास करेगा। वह बुराई से नहीं डरेगा; बल्‍कि सुख-चैन से रहेगा।’


और तीर उसके कलेजे में बिन्‍ध जाता है। अथवा जैसे पक्षी फन्‍दे की ओर झपटता है, और नहीं जानता है कि ऐसा करने से उसे अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ेगा।


अब, हे मेरे शिष्‍यों, मेरी बात सुनो: मेरे मार्ग पर चलनेवाले लोग धन्‍य हैं!


‘आ, और मेरी रोटी खा, और मसाला मिला अंगूर-रस पी।


वह बुराई यह है: परमेश्‍वर मनुष्‍य को धन-सम्‍पत्ति और प्रतिष्‍ठा प्रदान करता है, और मनुष्‍य को अपनी इच्‍छा के अनुसार सब कुछ प्राप्‍त हो जाता है। उसे किसी वस्‍तु का अभाव नहीं रहता। परन्‍तु उस मनुष्‍य को परमेश्‍वर धन-सम्‍पत्ति भोगने का सामर्थ्य नहीं देता; बल्‍कि अनजान व्यक्‍ति उसकी धन-सम्‍पत्ति भोगता है। अत: धन-सम्‍पत्ति निस्‍सार है, यह भयानक दु:ख की बात है।


यदि तुम इच्‍छुक हो, और आज्ञापालन के लिए तत्‍पर हो, तो तुम भूमि का सर्वोत्तम फल खाओगे।


उन दिन तुम्‍हारे कन्‍धों से असीरिया की गुलामी का बोझ हट जाएगा, तुम्‍हारी गर्दन से दासत्‍व का जूआ टूट जाएगा।’ असीरियाई सेना ने रिम्‍मोन नगर से प्रस्‍थान किया।


स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु सियोन पर्वत पर सब जातियों के लिए महाभोज तैयार करेगा, जिस में छप्‍पन व्‍यंजन, शुद्ध किया हुआ अंगूर का रस होगा; जिसमें स्‍निग्‍ध भोजन, और पुराने अंगूर रस के पेय होंगे।


ऐसे मनुष्‍य राख खानेवाले हैं। भ्रमपूर्ण मन ने उन्‍हें पथभ्रष्‍ट कर दिया है। वे अपने को बचा नहीं सकते और न यह कह सकते हैं, ‘हम मिथ्‍याचार में फंसे हुए हैं।’


मूर्ति पूजक थैली से सोना निकालते, और तराजू पर चांदी तौलते। वे सुनार को काम पर लगाते, और वह सोना-चांदी की एक मूर्ति बना देता है। तब वे उसके सम्‍मुख भूमि पर लेटकर उसकी वंदना करते, उसकी पूजा करते हैं।


ओ धर्म पर आचरण करनेवालो! प्रभु को ढूंढ़नेवालो, मेरी बात सुनो! जिस चट्टान से तुम काटे गए, जिस खदान से तुम निकाले गए, उस पर ध्‍यान दो।


ओ मेरे निज लोगो, मेरी बात पर ध्‍यान दो। ओ मेरी कौम, मेरी ओर कान लगा, क्‍योंकि मेरे मुंह से व्‍यवस्‍था निकलेगी; मैं न्‍याय का सिद्धान्‍त प्रकट करूंगा, जो सब जातियों के लिए ज्‍योति बनेगा।


ओ धर्म के जाननेवालो, जिनके हृदय में मेरी व्‍यवस्‍था विद्यमान है, मेरी बात सुनो! मनुष्‍यों की निन्‍दा से मत डरो। उनके अपशब्‍दों से नहीं घबराओ।


प्रभु ने अपने दाहिने हाथ की, अपनी सामर्थी भुजा की शपथ खाई है : ‘निश्‍चय ही मैं भविष्‍य में तेरा अन्न तेरे शत्रुओं को फिर न दूंगा; जिस अंगूर-रस के लिए तूने खून पसीना एक किया है, विदेशी आक्रमणकारी उसे पी न सकेंगे।


पर जो अन्न को खत्ते में एकत्र करते हैं, वे ही उसको खाएंगे, और मुझ-प्रभु की स्‍तुति करेंगे। अंगूर को जमा करनेवाले ही मेरे पवित्र स्‍थान के आंगनों में उसका रस पीएंगे।’


उनका परिश्रम निष्‍फल न होगा, उनकी सन्‍तान दु:ख के दिन न देखेगी, क्‍योंकि उनके माता-पिता को मुझ-प्रभु ने आशिष दी होगी, और उनके साथ उनकी संतान को भी।


उन्‍होंने बोया था गेहूं, पर काटे कांटे। उन्‍होंने खून-पसीना बहाया, किन्‍तु हाथ कुछ न आया। मुझ-प्रभु की क्रोधाग्‍नि के कारण वे अपनी फसल के लिए लज्‍जित होंगे।’


‘किन्‍तु मैं-प्रभु कहता हूँ: यदि तुम मेरे वचन सुनोगे, और विश्राम दिवस पर किसी प्रकार का बोझ उठा कर इस नगर के प्रवेश-द्वारों से प्रवेश नहीं करोगे, विश्राम दिवस को पवित्र मानोगे, और उस दिन किसी प्रकार का काम नहीं करोगे,


‘मेरे निज लोगों ने दो दुष्‍कर्म किए हैं: उन्‍होंने मुझे, जीवन-जल के झरने को, त्‍याग दिया, और अपने लिए हौज बना लिये जो टूटे-फूटे हैं, और जिनसे पानी बह जाता है!


मैं अपने पुरोहितों को उत्तम भोजन-वस्‍तुओं से तृप्‍त करूंगा, मैं अपनी भलाई के कारण अपने निज लोगों को उत्तम वस्‍तुएं दूंगा, और वे सन्‍तुष्‍ट होंगे।’


एफ्रइम हवा को चराता है, और दिन भर पूर्वी हवा का पीछा करता है। वह झूठ और हिंसा की वृद्धि करता है। वह असीरिया देश से सन्‍धि करता और मिस्र देश को तेल की भेंट चढ़ाता है।


उन्‍होंने हवा को बोया है, वे आंधी को काटेंगे। गेहूं के डंठलों में बालें नहीं फूटेंगी; बालें फूटेंगी भी तो उनमें दाने नहीं आएंगे; दाने आएंगे भी तो विदेशी उन्‍हें खा जाएंगे।


स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु की ओर से यह निर्धारित है : ये कौमें अग्‍नि में स्‍वाहा होने के लिए परिश्रम करती हैं, राष्‍ट्र व्‍यर्थ कष्‍ट झेलते हैं; क्‍योंकि उनका परिश्रम निष्‍फल होगा।


ये व्‍यर्थ ही मेरी उपासना करते हैं; क्‍योंकि ये मनुष्‍यों के बनाए हुए नियमों को ऐसे सिखाते हैं, मानो वे धर्म-सिद्धान्‍त हों।’ ”


राजा ने फिर दूसरे सेवकों को यह कहते हुए भेजा, ‘अतिथियों से कहना − देखिए! मैंने अपने भोज की तैयारी कर ली है। मेरे बैल और मोटे-मोटे पशु मारे जा चुके हैं। सब कुछ तैयार है; विवाह-भोज में पधारिए।’


धन्‍य हैं वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्‍यासे हैं; क्‍योंकि वे तृप्‍त किये जाएँगे।


येशु ने लोगों को फिर अपने पास बुलाया और कहा, “तुम सब, मेरी बात सुनो और समझो।


मोटा पशु ला कर काटो ताकि हम खाएँ और आनन्‍द मनाएँ;


नश्‍वर भोजन के लिए नहीं, बल्‍कि उस भोजन के लिए परिश्रम करो, जो शाश्‍वत जीवन तक बना रहता है और जिसे मानव-पुत्र तुम्‍हें देगा; क्‍योंकि पिता परमेश्‍वर ने मानव-पुत्र पर अपनी स्‍वीकृति की मोहर लगाई है।”


इस प्रकार हम देखते हैं कि संदेश सुनने से विश्‍वास उत्‍पन्न होता है और जो सुनाया जाता है, वह मसीह का वचन है।


परन्‍तु इस्राएल, जो धार्मिकता की व्‍यवस्‍था के प्रति उत्‍साह दिखलाता था, व्‍यवस्‍था की परिपूर्णता तक नहीं पहुँच सका।


‘यदि तुम मेरी आज्ञाओं को निश्‍चय ही मानोगे, जिनका आदेश आज मैं तुम्‍हें दे रहा हूँ, और अपने प्रभु परमेश्‍वर से प्रेम करोगे, अपने सम्‍पूर्ण हृदय और सम्‍पूर्ण प्राण से उसकी सेवा करोगे,


नाना प्रकार के अनोखे सिद्धान्‍तों के फेर में नहीं पड़ें। उत्तम यह है कि हमारा मन भोजन से नहीं, बल्‍कि परमेश्‍वर की कृपा से बल प्राप्‍त करे। भोजन-सम्‍बन्‍धी निषेध-विधियों का पालन करने वालों को इन से लाभ नहीं हुआ।


हमारे पर का पालन करें:

विज्ञापनों


विज्ञापनों