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सभोपदेशक 1:13 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

13 इस आकाश के नीचे पृथ्‍वी पर जो होता है, बुद्धि से उसकी खोजबीन करने और उसका भेद समझने के लिए मैंने अपना मन लगाया। यह एक कष्‍टप्रद कार्य है, जिसे परमेश्‍वर ने मनुष्‍यों को इसी कार्य में व्‍यस्‍त रहने के लिए सौंपा है।

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पवित्र बाइबल

13 मैंने निश्चय किया कि मैं इस जीवन में जो कुछ होता है उसे जानने के लिये अपनी बुद्धि का उपयोग करते हुए उसका अध्ययन करूँ। मैंने जाना कि परमेश्वर ने हमें करने के लिये जो यह काम दिया है वह बहुत कठिन है।

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Hindi Holy Bible

13 और मैं ने अपना मन लगाया कि जो कुछ सूर्य के नीचे किया जाता है, उसका भेद बुद्धि से सोच सोचकर मालूम करूं; यह बड़े दु:ख का काम है जो परमेश्वर ने मनुष्यों के लिये ठहराया है कि वे उस में लगें।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

13 मैं ने अपना मन लगाया कि जो कुछ सूर्य के नीचे किया जाता है, उसका भेद बुद्धि से सोच सोचकर मालूम करूँ; यह बड़े दु:ख का काम है जो परमेश्‍वर ने मनुष्यों के लिये ठहराया है कि वे उस में लगें।

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नवीन हिंदी बाइबल

13 मैंने अपना मन लगाया कि जो कुछ आकाश के नीचे किया जाता है, उसकी खोज और छान-बीन बुद्धि से करूँ। यह दुखदाई कार्य है जिसे परमेश्‍वर ने मनुष्यों के लिए ठहराया है कि वे इसमें लगे रहें।

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सरल हिन्दी बाइबल

13 धरती पर जो सारे काम किए जाते हैं, मैंने बुद्धि द्वारा उन सभी कामों के जांचने और अध्ययन करने में अपना मन लगाया. यह बड़े दुःख का काम है, जिसे परमेश्वर ने मनुष्य के लिए इसलिये ठहराया है कि वह इसमें उलझा रहे!

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सभोपदेशक 1:13
22 क्रॉस रेफरेंस  

मैंने उन कामों को देखा है जो परमेश्‍वर ने मनुष्‍यों को प्रदान किए हैं, ताकि वे उन में जीवन भर व्‍यस्‍त रहें।


तू तब तक अपने पसीने की रोटी खाएगा, जब तक उस भूमि में न लौटे जिससे तू बनाया गया था। तू तो मिट्टी है, और मिट्टी में ही मिल जाएगा।’


अत: मैंने अपना मन यह जानने में लगाया कि बुद्धि क्‍या है, पागलपन और मूर्खता क्‍या है। तब मुझे ज्ञात हुआ कि यह भी हवा को पकड़ना है। क्‍योंकि−


इन बातों का ध्‍यान रखो और इन में पूर्ण रूप से लीन रहो, जिससे सब लोग तुम्‍हारी उन्नति देख सकें।


प्रिय शिष्‍य, इनके अतिरिक्‍त अन्‍य शिक्षाओं से सावधान रहना। अनेक पुस्‍तकों के रचना-कार्य का अन्‍त नहीं होता। अत्‍यधिक अध्‍ययन से शरीर थक जाता है।


मैंने यह जानने के लिए मन लगाया कि बुद्धि क्‍या है, सब का सार तत्‍व कहाँ है जिससे मुझे ज्ञात हो जाए कि मूर्खता अधर्म है, मूर्खता पागलपन है।


जब मैंने सूर्य के नीचे धरती पर होनेवाली बातों पर गम्‍भीरतापूर्वक अपना मन लगाया, तब मैंने यह देखा: जब एक मनुष्‍य दूसरे मनुष्‍य पर प्रभुत्‍व जमाता है तब वह स्‍वयं का अनिष्‍ट करता है।


फिर मैंने देखा कि सब परिश्रम और सारा कार्यकौशल अपने पड़ोसी के प्रति शत्रु-भावना से किया जाता है। अत: यह भी व्‍यर्थ है, यह मानो हवा को पकड़ना है।


जिस मनुष्‍य से परमेश्‍वर प्रसन्न होता है वह उसी को बुद्धि, ज्ञान और आनन्‍द प्रदान करता है। पापी मनुष्‍य से परमेश्‍वर कठोर परिश्रम कराता है। पापी मनुष्‍य परमेश्‍वर के प्रिय व्यक्‍ति के लिए धन एकत्र करता और उसको संचित करता है। अत: यह भी व्‍यर्थ है, यह मानो हवा को पकड़ना है।


सच पूछो तो उसके जीवन के सब दिन दु:खों से भरे रहते हैं, और उसका काम सन्‍तोष नहीं, वरन् सन्‍ताप उत्‍पन्न करता है। रात में भी उसके मन को चैन नहीं मिलता। यह भी व्‍यर्थ है।


मेरे पुत्र, अपना मन मेरी ओर लगा; तेरी दृष्‍टि मेरे आचरण पर लगी रहे।


तेज बुद्धिवाला मनुष्‍य ज्ञान प्राप्‍त करता है; बुद्धिमान व्यक्‍ति के कान ज्ञान की बातों की ओर लगे रहते हैं।


अलग-अलग रहनेवाला अपने ही स्‍वार्थ की चिन्‍ता करता है, वह बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णयों का विरोध करता है।


बुद्धि का आरम्‍भ इस प्रकार होता है: बुद्धि को प्राप्‍त कर; समझ को हर कीमत पर प्राप्‍त कर।


प्रभु के कार्य महान हैं; जिन्‍हें वे कार्य प्रिय हैं, वे उनकी खोज करते हैं।


मनुष्‍य अन्‍धकार को दूर कर, दूर-दूर तक भूमि के भीतर खोद-खोदकर घोर अन्‍धकार में कच्‍ची घातु खोजते हैं।


वस्‍तुत: परमेश्‍वर ने हर एक काम का समय निश्‍चित किया है, और प्रत्‍येक काम अथवा प्रत्‍येक वस्‍तु अपने नियत समय पर ही सुन्‍दर लगती है। उसने मनुष्‍य के हृदय में अनादि-अनन्‍त काल का ज्ञान भरा है, फिर भी मनुष्‍य यह भेद जान नहीं पाता है कि परमेश्‍वर ने आदि से अन्‍त तक क्‍या कार्य किया है।


यद्यपि मनुष्‍य अकेला है, उसका पुत्र नहीं, भाई नहीं, तथापि वह निरन्‍तर कमाता ही जाता है, उसके परिश्रम का कोई अन्‍त नहीं। उसकी आंखें धन-सम्‍पत्ति से तृप्‍त नहीं होतीं। वह अपने आपसे कभी पूछता नहीं, “मैं यह सब परिश्रम किसके लिए कर रहा हूं, और क्‍यों स्‍वयं को सुख-चैन से वंचित कर रहा हूं?” यह भी व्‍यर्थ है, और एक दु:खद कार्य-व्‍यापार है।


जैसा तुम नहीं जानते हो कि गर्भवती के पेट के शिशु में प्राण कैसे पड़ जाता है, वैसे ही तुम परमेश्‍वर के कार्यों को नहीं समझ सकते, जो सबको बनाता है।


यह परमेश्‍वर की महिमा है कि रहस्‍य, रहस्‍य बना रहे; पर राजा की महिमा तब होती है, जब वह रहस्‍यों से परदा उठाता है।


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