रोमियों 3:4 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) कभी नहीं! भले ही प्रत्येक मनुष्य झूठा निकल जाये, किन्तु परमेश्वर सच्चा प्रमाणित होगा; जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है: “तेरे वचन तुझे धार्मिक ठहराते हैं। जब तेरा न्याय होता है तब तू विजयी होता है।” पवित्र बाइबल निश्चय ही नहीं, यदि हर कोई झूठा भी है तो भी परमेश्वर सच्चा ठहरेगा। जैसा कि शास्त्र में लिखा है: “ताकि जब तू कहे तू उचित सिद्ध हो और जब तेरा न्याय हो, तू विजय पाये।” Hindi Holy Bible कदापि नहीं, वरन परमेश्वर सच्चा और हर एक मनुष्य झूठा ठहरे, जैसा लिखा है, कि जिस से तू अपनी बातों में धर्मी ठहरे और न्याय करते समय तू जय पाए। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) कदापि नहीं! वरन् परमेश्वर सच्चा और हर एक मनुष्य झूठा ठहरे, जैसा लिखा है, “जिससे तू अपनी बातों में धर्मी ठहरे और न्याय करते समय तू जय पाए।” नवीन हिंदी बाइबल कदापि नहीं! चाहे प्रत्येक मनुष्य झूठा ठहरे, परंतु परमेश्वर सच्चा है, जैसा लिखा है : तू अपने वचनों में धर्मी ठहरे और अपने न्याय में विजयी हो। सरल हिन्दी बाइबल संसार का प्रत्येक व्यक्ति झूठा साबित हो सकता है किंतु परमेश्वर ही हैं, जो अपने वचन का पालन करते रहेंगे, जैसा कि पवित्र शास्त्र का लेख है: “आप अपनी बातों में धर्मी साबित हों तथा न्याय होने पर जय पाएं.” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 कदापि नहीं! वरन् परमेश्वर सच्चा और हर एक मनुष्य झूठा ठहरे, जैसा लिखा है, “जिससे तू अपनी बातों में धर्मी ठहरे और न्याय करते समय तू जय पाए।” (भज. 51:4, भज. 116:11) |
क्या तू मेरे न्याय को व्यर्थ सिद्ध करेगा? तू स्वयं को निर्दोष ठहराकर मुझे दोषी प्रमाणित करेगा?
मैं तेरे पवित्र मन्दिर की ओर मुंह कर, तेरी वन्दना करता हूं; मैं तेरी करुणा और सच्चाई के लिए तेरे नाम की सराहना करता हूं; क्योंकि तूने सबसे ऊपर अपने नाम और वचन को महान किया है।
तेरे विरुद्ध, तेरे ही विरुद्ध मैंने पाप किया है। और वही किया जो तेरी दृष्टि में बुरा है। इसलिए तू अपने निर्णय में निर्दोष, और न्याय में निष्पक्ष है।
अकुलीन मनुष्य श्वास मात्र है, कुलीन केवल मिथ्या है; तुला पर वे ऊपर उठ जाते हैं, वे सब मिलकर सांस से भी हलके हैं।
तू याकूब-वंशियों पर अपनी सच्चाई प्रकट करेगा, और अब्राहम के कुल पर करुणा, जैसी तूने प्राचीन काल में हमारे पूर्वजों से शपथ खाई थी।
मानव पुत्र आया। वह साधारण मनुष्य के समान खाता-पीता है और लोग कहते हैं : ‘देखो, यह आदमी पेटू और पियक्कड़ है। चुंगी-अधिकारियों और पापियों का मित्र है।’ किन्तु परमेश्वर की प्रज्ञ अपने कर्मों से प्रमाणित होती है। ”
इसलिए मन में यह प्रश्न उठता है, “क्या परमेश्वर ने अपनी प्रजा को त्याग दिया है?” निश्चय ही नहीं! मैं भी तो इस्राएली हूँ, अब्राहम के वंश का हूँ और बिन्यामिन के कुल का।
पर मैं पूछता हूँ : “क्या यहूदी ठोकर लगने के कारण सदा के लिए पतित हो गये हैं?” निश्चय ही नहीं! उनके अपराध के कारण ही गैर-यहूदियों को मुक्ति उपलब्ध है, जिससे यहूदी मुक्ति प्राप्त करने के लिए उनसे स्पर्धा करें।
तो, क्या हम इस विश्वास द्वारा व्यवस्था को रद्द करते हैं? कदापि नहीं! हम व्यवस्था की पुष्टि करते हैं।
तो, क्या हम इसलिए पाप करें कि हम व्यवस्था के नहीं, बल्कि अनुग्रह के अधीन हैं? कदापि नहीं!
तो, जो बात कल्याणकारी थी, क्या वह मेरे लिए मृत्यु का कारण बनी? कदापि नहीं! किन्तु जो बात कल्याणकारी थी, उसी के द्वारा पाप मेरे लिए मृत्यु का कारण बना। इस प्रकार पाप का वास्तविक स्वरूप प्रकट हो गया और वह आज्ञा के माध्यम से बहुत अधिक पापमय प्रमाणित हुआ।
क्या इसका अर्थ यह है कि व्यवस्था पाप है? कदापि नहीं! फिर भी व्यवस्था के द्वारा ही पाप का पता चला। यदि व्यवस्था ने नहीं कहा होता : “लालच मत करो” तो मैं यह नहीं जानता कि लालच क्या है।
क्या आप लोग यह नहीं जानते कि आपका शरीर मसीह का अंग है? तो, क्या मैं मसीह का अंग ले कर उसे वेश्या का अंग बना दूं? कभी नहीं!
परमेश्वर की सच्चाई की शपथ! मैंने आप लोगों को जो सन्देश दिया, उसमें कभी ‘हां’ और कभी ‘नहीं’-जैसी बात नहीं है;
यदि हम भी, जो मसीह द्वारा धार्मिक ठहरना चाहते हैं, पापी प्रमाणित हो जाते हैं, तो क्या इसका निष्कर्ष यह है कि मसीह पाप को बढ़ावा देते हैं? कभी नहीं!
मैं परमेश्वर के अनुग्रह का तिरस्कार नहीं कर सकता। यदि व्यवस्था द्वारा मनुष्य धार्मिक ठहर सकता है, तो मसीह व्यर्थ ही मरे।
परन्तु परमेश्वर न करे कि हमारे प्रभु येशु मसीह के क्रूस के अतिरिक्त-किसी अन्य बात पर गर्व करूँ। उन्हीं के कारण संसार मेरी दृष्टि में क्रूसित हो चुका है और मैं संसार की दृष्टि में।
‘प्रभु चट्टान है। उसका शासन-कार्य सिद्ध है; क्योंकि उसके समस्त मार्ग न्यायपूर्ण हैं। वह सच्चा परमेश्वर है, उसमें पक्षपात नहीं, वह निष्पक्ष न्यायी और निष्कपट है।
धर्म का यह रहस्य निस्सन्देह महान् है : मसीह मनुष्य के रूप में प्रकट हुए, पवित्र आत्मा के द्वारा सत्य प्रमाणित हुए, और स्वर्गदूतों को दिखाई दिये। अन्यजातियों में उनका प्रचार हुआ, संसार भर में उन पर विश्वास किया गया और वह महिमा में ऊपर उठा लिये गये।
और शाश्वत जीवन की आशा का आधार है। सत्यवादी परमेश्वर ने अनादि काल से इस जीवन की प्रतिज्ञा की थी।
वह इन दो अपरिवर्तनीय कार्यों, अर्थात् प्रतिज्ञा और शपथ में, झूठा प्रमाणित नहीं हो सकता। इस से हमें, जिन्होंने परमेश्वर की शरण ली है, यह प्रबल प्रेरणा मिलती है कि हमें जो आशा दिलायी गयी है, हम उसे धारण किये रहें।
जो परमेश्वर के पुत्र में विश्वास करता है, उसके हृदय में परमेश्वर की यह साक्षी विद्यमान है। जो परमेश्वर में विश्वास नहीं करता, वह उसे झूठा समझता है; क्योंकि वह पुत्र के विषय में परमेश्वर की साक्षी स्वीकार नहीं करता।
हम जानते हैं कि परमेश्वर-पुत्र आया है और उसने हमें सच्चे परमेश्वर को पहचानने की समझ दी है। हम सच्चे परमेश्वर में निवास करते हैं; क्योंकि हम उसके पुत्र येशु मसीह में निवास करते हैं। यही सच्चा परमेश्वर और शाश्वत जीवन है।
“फ़िलदेलफिया की कलीसिया के दूत को यह लिखो : “जो पवित्र और सच्चा है, जिसके पास दाऊद की कुंजी है, जिसके खोलने पर कोई नहीं बन्द कर सकता और जिसके बन्द करने पर कोई नहीं खोल सकता, उसका सन्देश इस प्रकार है :