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1 यूहन्ना 5:10 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

10 जो परमेश्‍वर के पुत्र में विश्‍वास करता है, उसके हृदय में परमेश्‍वर की यह साक्षी विद्यमान है। जो परमेश्‍वर में विश्‍वास नहीं करता, वह उसे झूठा समझता है; क्‍योंकि वह पुत्र के विषय में परमेश्‍वर की साक्षी स्‍वीकार नहीं करता।

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पवित्र बाइबल

10 वह जो परमेश्वर के पुत्र में विश्वास रखता है, वह अपने भीतर उस साक्षी को रखता है। परमेश्वर ने जो कहा है, उस पर जो विश्वास नहीं रखता, वह परमेश्वर को झूठा ठहराता है। क्योंकि उसने उस साक्षी का विश्वास नहीं किया है, जो परमेश्वर ने अपने पुत्र के विषय में दी है।

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Hindi Holy Bible

10 जो परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है, वह अपने ही में गवाही रखता है; जिस ने परमेश्वर को प्रतीति नहीं की, उस ने उसे झूठा ठहराया; क्योंकि उस ने उस गवाही पर विश्वास नहीं किया, जो परमेश्वर ने अपने पुत्र के विषय में दी है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

10 जो परमेश्‍वर के पुत्र पर विश्‍वास करता है वह अपने ही में गवाही रखता है। जिसने परमेश्‍वर पर विश्‍वास नहीं किया उसने उसे झूठा ठहराया, क्योंकि उसने उस गवाही पर विश्‍वास नहीं किया जो परमेश्‍वर ने अपने पुत्र के विषय में दी है।

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नवीन हिंदी बाइबल

10 जो परमेश्‍वर के पुत्र पर विश्‍वास करता है, वह स्वयं में यह साक्षी रखता है। जो परमेश्‍वर पर विश्‍वास नहीं करता उसने उसे झूठा ठहरा दिया है, क्योंकि उसने उस साक्षी पर विश्‍वास नहीं किया जो परमेश्‍वर ने अपने पुत्र के विषय में दी है।

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सरल हिन्दी बाइबल

10 जो कोई परमेश्वर-पुत्र में विश्वास करता है, उसमें यही गवाही भीतर छिपी है. जिसका विश्वास परमेश्वर में नहीं है, उसने उन्हें झूठा ठहरा दिया है क्योंकि उसने परमेश्वर के अपने पुत्र के विषय में दी गई उस गवाही में विश्वास नहीं किया.

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1 यूहन्ना 5:10
22 क्रॉस रेफरेंस  

यह आत्‍मा स्‍वयं हमें आश्‍वासन देता है कि हम सचमुच परमेश्‍वर की सन्‍तान हैं।


आप लोग संतान ही हैं। इसका प्रमाण यह है कि परमेश्‍वर ने हमारे हृदय में अपने पुत्र का आत्‍मा भेजा है, जो पुकार कर यह कहता है, “अब्‍बा! पिता!”


जो उसकी साक्षी स्‍वीकार करता है, वह इस बात को प्रमाणित कर चुका कि परमेश्‍वर सत्‍य है।


उसका वचन तुम लोगों के हृदय में घर नहीं कर सका, क्‍योंकि तुम उस में विश्‍वास नहीं करते, जिसे उसने भेजा है।


भाइयो और बहिनो! आप सावधान रहें। आप लोगों में से किसी के मन में इतनी बुराई और अविश्‍वास न हो कि वह जीवन्‍त परमेश्‍वर से विमुख हो जाये।


परमेश्‍वर मनुष्‍य नहीं है कि वह झूठ बोले, और न वह मनुष्‍य का पुत्र है कि पश्‍चात्ताप करे! जो उसने कहा, क्‍या वह उसको न करे? जो वह बोले, क्‍या वह उसको पूर्ण न करे?


जो कोई विश्‍वास करता है कि येशु ही मसीह हैं, वह परमेश्‍वर से उत्‍पन्न हुआ है और जो कोई जन्‍मदाता से प्रेम करता है, वह उसकी संतान से भी प्रेम करता है।


यदि हम कहते हैं कि हमने पाप नहीं किया है, तो हम उसे झूठा सिद्ध करते हैं और उसका वचन हम में नहीं है।


प्रभु अपने भक्‍तों पर अपने भेद प्रकट करता है। प्रभु उन्‍हें अपना विधान सिखाता है।


“जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्‍मा कलीसियाओं से क्‍या कहता है। जो विजय प्राप्‍त करेगा, उसको मैं थोड़ा-सा गुप्‍त “मन्ना” और अनुग्रह का प्रतीक श्‍वेत पत्‍थर प्रदान करूँगा। उस पत्‍थर पर एक नया नाम अंकित होगा, जिसको पानेवाले के अतिरिक्‍त और कोई नहीं जानता।


आप तो मर चुके हैं, आपका जीवन मसीह के साथ परमेश्‍वर में छिपा हुआ है।


प्रभु की दृष्‍टि में कुटिल व्यक्‍ति घृणित है, किन्‍तु निष्‍कपट व्यक्‍ति उसका विश्‍वासपात्र है।


इस पर पंखदार सर्प को महिला पर बड़ा क्रोध आया और वह उसकी शेष सन्‍तान से युद्ध करने निकला, अर्थात उन लोगों से जो परमेश्‍वर की आज्ञाओं का पालन करते और येशु के विषय में दी हुई साक्षी पर अटल रहते हैं।


इस घटना द्वारा नबियों की वाणी हमारे लिए और भी विश्‍वसनीय सिद्ध हुई। इस पर ध्‍यान देने में आप लोगों का कल्‍याण है, क्‍योंकि जब तक पौ नहीं फटती और आपके हृदय में प्रभात का तारा उदित नहीं होता, तब तक नबियों की वाणी अंधेरे में चमकते हुए दीपक के सदृश है।


“परमेश्‍वर ने संसार से इतना प्रेम किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो कोई उस में विश्‍वास करता है, वह नष्‍ट न हो, बल्‍कि शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त करे।


जो हमने सुना, उस पर कौन विश्‍वास करेगा? किस पर प्रभु का भुजबल प्रकट हुआ?


जो मैंने कहा, क्‍या वह सच नहीं है? कौन व्यक्‍ति मुझे झूठा सिद्ध कर सकता है? कौन व्यक्‍ति मेरी बातों को निस्‍सार कह सकता है?’


तब क्‍यों मेरी पीड़ा दूर नहीं हो रही है? मेरा घाव क्‍यों नहीं भर रहा है? क्‍या तू मेरे लिए मृग-तृष्‍णा बन गया है? क्‍या तू ऐसा झरना हो गया है, जो सूख जाता है? क्‍या तू गरजनेवाला बादल हो गया है; जो गरजता तो है पर बरसता नहीं?


“जो पुत्र में विश्‍वास करता है, वह दोषी नहीं ठहराया जाता है। जो विश्‍वास नहीं करता, वह दोषी ठहराया जा चुका है; क्‍योंकि वह परमेश्‍वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्‍वास नहीं करता।


मेरे कहने का अभिप्राय यह है: जब तक उत्तराधिकारी नाबालिग है, वह सारी सम्‍पत्ति का स्‍वामी होते हुए भी दास से किसी तरह भिन्न नहीं।


फिलिप ने उत्तर दिया, “यदि आप सम्‍पूर्ण हृदय से विश्‍वास करते हैं, तो कोई बाधा नहीं।” इस पर उसने कहा, “मैं विश्‍वास करता हूँ कि येशु मसीह परमेश्‍वर के पुत्र हैं।”]


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