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रोमियों 2:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

हम जानते हैं कि परमेश्‍वर ऐसे कुकर्म करने वालों को न्‍यायानुसार दण्‍डाज्ञा देता है।

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पवित्र बाइबल

अब हम यह जानते हैं कि जो लोग ऐसे काम करते हैं उन्हें परमेश्वर का उचित दण्ड मिलता है।

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Hindi Holy Bible

और हम जानते हैं, कि ऐसे ऐसे काम करने वालों पर परमेश्वर की ओर से ठीक ठीक दण्ड की आज्ञा होती है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

हम जानते हैं कि ऐसे ऐसे काम करनेवालों पर परमेश्‍वर की ओर से ठीक–ठीक दण्ड की आज्ञा होती है।

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नवीन हिंदी बाइबल

परंतु हम जानते हैं कि ऐसे कार्य करनेवालों पर परमेश्‍वर के दंड की आज्ञा सत्य के अनुसार होती है।

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सरल हिन्दी बाइबल

हमें यह मालूम है कि परमेश्वर अवश्य ही उन्हें दंड देंगे, जो इन बुरे कामों का पालन करते हैं

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

और हम जानते हैं कि ऐसे-ऐसे काम करनेवालों पर परमेश्वर की ओर से सच्चे दण्ड की आज्ञा होती है।

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रोमियों 2:2
27 क्रॉस रेफरेंस  

तू ऐसा कार्य करने से सदा दूर रहे कि दूराचारियों के साथ धार्मिक भी मारे जाएँ। धार्मिकों की दशा दुराचारियों के सदृश हो, यह कार्य तुझसे कभी न हो। क्‍या सारी पृथ्‍वी का न्‍यायाधीश उचित न्‍याय न करेगा?’


उसने मनुष्‍य के न्‍याय के लिए कोई नियत समय नहीं ठहराया है कि मनुष्‍य परमेश्‍वर के सम्‍मुख कब प्रस्‍तुत हो।


प्रभु अपने समस्‍त आचरण में धार्मिक, और अपने सब कार्यों में करुणामय है।


तूने मेरा न्‍याय किया, मेरे पक्ष में निर्णय दिया। तूने सिंहासन पर बैठ कर सच्‍चाई से न्‍याय किया।


प्रभु के सम्‍मुख जयजयकार करें; क्‍योंकि वह पृथ्‍वी का न्‍याय करने को आ रहा है; वह धार्मिकता से संसार का, और निष्‍पक्षता से सब जातियों का न्‍याय करेगा।


मैंने किसी गुप्‍त स्‍थान में, या कहीं अंधकारमय क्षेत्र में नहीं कहा; मैंने याकूब के वंशजों से यह नहीं कहा, “मुझे निर्जन स्‍थान में ढूंढ़ना।” मैं प्रभु हूं, मैं केवल सच बोलता हूं; मैं उचित बात बताता हूं।’


अपनी बात कहो, प्रमाण को सामने लाओ, तुम आपस में विचार-विमर्श करो। किसने प्राचीनकाल से ये बातें बताई थीं? किसने बहुत पहले से ये घटनाएँ प्रकट की थीं? मैंने, मैं-प्रभु ने ही ये बातें तुम पर प्रकट की थीं। मेरे अतिरिक्‍त अन्‍य ईश्‍वर नहीं है। मुझे छोड़ दूसरा धार्मिक और उद्धारकर्ता ईश्‍वर नहीं है।’


मैं तुझसे क्‍यों वाद-विवाद करूं? क्‍योंकि तू धार्मिक है, और तेरा न्‍याय सच्‍चा है। फिर भी, हे प्रभु, मैं तेरे सम्‍मुख अपनी शिकायत पेश करूंगा; दुर्जन अपने काम में सफल क्‍यों होते हैं? विश्‍वासघाती सुख-चैन से क्‍यों रहते हैं?


‘फिर भी तुम कहते हो, “प्रभु का व्‍यवहार न्‍यायपूर्ण नहीं है।” ओ इस्राएल के कुल, सुन और देख : क्‍या मेरा व्‍यवहार न्‍याय का व्‍यवहार नहीं है? इसके विपरीत, तुम अपने आचरण को धर्म का आचरण कहते हो, जब कि तुम्‍हारा आचरण न्‍याय के अनुरूप नहीं है।


फिर भी इस्राएल का कुल यह कहता है कि प्रभु का व्‍यवहार न्‍यायपूर्ण नहीं है। ओ इस्राएल के वंशजो, मेरा व्‍यवहार न्‍यायपूर्ण है, किन्‍तु तुम्‍हारा आचरण न्‍यायपूर्ण नहीं है।


“अब मैं, नबूकदनेस्‍सर, स्‍वर्ग के राजा की स्‍तुति और महिमा करता हूं, उसके गुणों का गान करता हूं; क्‍योंकि उसके सब कार्य सच्‍चे, और प्रत्‍येक व्‍यवहार न्‍यायपूर्ण है। ‘जो मनुष्‍य घमण्‍ड से सिर ऊंचा करके चलता है, उसको वह नीचा कर सकता है।’


उसमे मध्‍य में रहनेवाला प्रभु धार्मिक है, वह अनुचित कार्य नहीं करता; वह हर सुबह सूर्य की किरणों की तरह न्‍याय प्रकट करता है। वह अपना यह कार्य कभी नहीं भूलता; पर जो अन्‍यायी है, उसके लिए शर्म क्‍या!


क्‍योंकि उसने वह दिन निश्‍चित किया है, जिस में वह एक पूर्व-निर्धारित व्यक्‍ति द्वारा समस्‍त संसार का न्‍यायपूर्वक विचार करेगा। परमेश्‍वर ने उस व्यक्‍ति को मृतकों में से पुनर्जीवित कर सब को अपने इस निश्‍चय का प्रमाण दिया है।”


इसलिए, हे दूसरों पर दोष लगाने वाले! तुम चाहे जो भी हो, अक्षम्‍य हो। तुम दूसरों पर दोष लगाने के कारण अपने को दोषी ठहराते हो; क्‍योंकि तुम, जो दूसरों पर दोष लगाते हो, ये ही कुकर्म स्‍वयं करते हो।


हे मनुष्‍य! तुम ऐसे कुकर्म करने वालों पर दोष लगाते हो और स्‍वयं ये ही कार्य करते हो, तो क्‍या तुम समझते हो कि परमेश्‍वर की दण्‍डाज्ञा से बच जाओगे?


किन्‍तु तुम अपने इस हठ और अपने हृदय के अपश्‍चात्ताप के कारण कोप के दिन के लिए अपने विरुद्ध कोप का संचय कर रहे हो, जब परमेश्‍वर का निष्‍पक्ष न्‍याय प्रकट होगा।


इस सम्‍बन्‍ध में हम क्‍या कहें? क्‍या परमेश्‍वर अन्‍याय करता है? कदापि नहीं!


तब मैंने जल के स्‍वर्गदूत को यह कहते सुना, “हे परमपावन! जो है और जो था, तेरे ये निर्णय न्‍यायसंगत हैं;


क्‍योंकि उसके निर्णय सच्‍चे और न्‍यायसंगत हैं। उसने उस महावेश्‍या को दण्‍डित किया है, जो अपने व्‍यभिचार द्वारा पृथ्‍वी को दूषित करती थी। परमेश्‍वर ने उससे अपने सेवकों के रक्‍त का प्रतिशोध लिया है।”