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यहेजकेल 18:25 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

25 ‘फिर भी तुम कहते हो, “प्रभु का व्‍यवहार न्‍यायपूर्ण नहीं है।” ओ इस्राएल के कुल, सुन और देख : क्‍या मेरा व्‍यवहार न्‍याय का व्‍यवहार नहीं है? इसके विपरीत, तुम अपने आचरण को धर्म का आचरण कहते हो, जब कि तुम्‍हारा आचरण न्‍याय के अनुरूप नहीं है।

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पवित्र बाइबल

25 परमेश्वर ने कहा, “तुम लोग कह सकते हो, ‘परमेश्वर हमारा स्वामी न्यायपूर्ण नहीं है!’ किन्तु इस्राएल के परिवारों, सुनो। मैं उसी प्रकार का हूँ। तुम लोग ऐसे हो कि जरुर बदलोगे!

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Hindi Holy Bible

25 तौभी तुम लोग कहते हो, कि प्रभु की गति एकसी नहीं। हे इस्राएल के घराने, देख, क्या मेरी गति एकसी नहीं? क्या तुम्हारी ही गति अनुचित नहीं है?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

25 “तौभी तुम लोग कहते हो, ‘प्रभु की गति एक सी नहीं।’ हे इस्राएल के घराने, देख, क्या मेरी गति एक सी नहीं? क्या तुम्हारी ही गति अनुचित नहीं है?

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सरल हिन्दी बाइबल

25 “फिर भी तुम कहते हो, ‘प्रभु की नीति उचित नहीं है.’ हे इस्राएलियो, सुनो: क्या मेरी नीति अनुचित है? क्या ये तुम्हारी ही नीतियां नहीं हैं जो अनुचित हैं?

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

25 “तो भी तुम लोग कहते हो, ‘प्रभु की गति एक सी नहीं।’ हे इस्राएल के घराने, देख, क्या मेरी गति एक सी नहीं? क्या तुम्हारी ही गति अनुचित नहीं है?

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यहेजकेल 18:25
29 क्रॉस रेफरेंस  

तू ऐसा कार्य करने से सदा दूर रहे कि दूराचारियों के साथ धार्मिक भी मारे जाएँ। धार्मिकों की दशा दुराचारियों के सदृश हो, यह कार्य तुझसे कभी न हो। क्‍या सारी पृथ्‍वी का न्‍यायाधीश उचित न्‍याय न करेगा?’


इसलिए कि तुम परमेश्‍वर के प्रति अपना क्रोध प्रकट करते हो, और अपने मुँह से निरर्थक शब्‍द निकलने देते हो।


उनके साथ एलीहू नामक एक युवक था। उसके पिता का नाम बारकेल था, जो बूजी वंश और राम के कुल का था। एलीहू का क्रोध अय्‍यूब के प्रति भड़क उठा; क्‍योंकि उसने अपने दु:ख के लिए परमेश्‍वर को दोषी और स्‍वयं को निर्दोष प्रमाणित किया था।


‘क्‍या तुम इस बात को न्‍यायसंगत समझते हो? क्‍या तुम यह दावा करते हो कि तुम परमेश्‍वर से अधिक धार्मिक हो?


क्‍या तू मेरे न्‍याय को व्‍यर्थ सिद्ध करेगा? तू स्‍वयं को निर्दोष ठहराकर मुझे दोषी प्रमाणित करेगा?


प्रभु अपने समस्‍त आचरण में धार्मिक, और अपने सब कार्यों में करुणामय है।


ये काम तूने किए, पर मैं चुप रहा; तूने सोचा कि मैं तेरे जैसा हूँ। पर अब मैं तेरी भत्‍र्सना करता हूँ− और तेरी आंखों के सामने अभियोग सिद्ध करता हूँ।


आकाश परमेश्‍वर की धार्मिकता को घोषित करता है; क्‍योंकि परमेश्‍वर स्‍वयं न्‍यायधीश है। सेलाह


मनुष्‍य अपनी मूर्खता से अपने काम बिगाड़ता है, पर उसका हृदय क्रोध में प्रभु के प्रति भड़क उठता है।


मैं तुझसे क्‍यों वाद-विवाद करूं? क्‍योंकि तू धार्मिक है, और तेरा न्‍याय सच्‍चा है। फिर भी, हे प्रभु, मैं तेरे सम्‍मुख अपनी शिकायत पेश करूंगा; दुर्जन अपने काम में सफल क्‍यों होते हैं? विश्‍वासघाती सुख-चैन से क्‍यों रहते हैं?


यदि कोई धार्मिक व्यक्‍ति अपने धर्म के आचरण से विमुख हो जाता है और अधर्म के काम करता है, तो वह अपने इस पाप के कारण निस्‍सन्‍देह मरेगा। जो पाप वह करता है, उसका फल मृत्‍यु है।


फिर भी इस्राएल का कुल यह कहता है कि प्रभु का व्‍यवहार न्‍यायपूर्ण नहीं है। ओ इस्राएल के वंशजो, मेरा व्‍यवहार न्‍यायपूर्ण है, किन्‍तु तुम्‍हारा आचरण न्‍यायपूर्ण नहीं है।


‘फिर भी तेरे जाति-भाई-बहिन कहते हैं: “प्रभु का व्‍यवहार न्‍यायपूर्ण नहीं है।” किन्‍तु स्‍वयं उनका आचरण न्‍यायपूर्ण नहीं है।


फिर भी तुम, ओ इस्राएल के वंशजो, कहते हो, “प्रभु का व्‍यवहार न्‍यायपूर्ण नहीं है।” जबकि मैं तुम में से प्रत्‍येक व्यक्‍ति का न्‍याय उसके आचरण के अनुसार करता हूँ।’


उसमे मध्‍य में रहनेवाला प्रभु धार्मिक है, वह अनुचित कार्य नहीं करता; वह हर सुबह सूर्य की किरणों की तरह न्‍याय प्रकट करता है। वह अपना यह कार्य कभी नहीं भूलता; पर जो अन्‍यायी है, उसके लिए शर्म क्‍या!


ओ पुरोहितो! तुमने अपनी बातों से प्रभु को उकता दिया है। फिर भी तुम पूछते हो, ‘हमने कैसे प्रभु को उकता दिया?’ तुम यह कहकर उसे उकता देते हो, ‘जो बुराई करता है, वह प्रभु की दृष्‍टि में भला है, क्‍योंकि प्रभु बुरे कार्यों से प्रसन्न होता है।’ तुम यह भी पूछते हो, ‘न्‍याय करने वाला परमेश्‍वर कहां है?’


वे उस धार्मिकता को नहीं जानते, जिसे परमेश्‍वर चाहता है, और अपनी धार्मिकता की स्‍थापना करने में लगे रहते हैं। इसलिए उन्‍होंने परमेश्‍वर द्वारा निर्धारित धार्मिकता के अधीन रहना अस्‍वीकार किया;


क्‍योंकि व्‍यवस्‍था के कर्मकाण्‍ड द्वारा कोई भी मनुष्‍य परमेश्‍वर के सामने धार्मिक नहीं ठहराया जायेगा: व्‍यवस्‍था केवल पाप का ज्ञान कराती है।


यदि हमारा अधर्म परमेश्‍वर की धार्मिकता प्रदर्शित करता है, तो हम क्‍या कहें? क्‍या यह कि जब परमेश्‍वर क्रुद्ध होकर हमें दण्‍ड देता है, तब वह अन्‍याय करता है? मैं यह मानवीय तर्क के अनुसार कह रहा हूँ।


अरे भई! तुम कौन हो, जो परमेश्‍वर से विवाद करते हो? क्‍या गढ़ी हुई प्रतिमा अपने गढ़ने वाले से कहती है, “तुमने मुझे ऐसा क्‍यों बनाया?”


‘प्रभु चट्टान है। उसका शासन-कार्य सिद्ध है; क्‍योंकि उसके समस्‍त मार्ग न्‍यायपूर्ण हैं। वह सच्‍चा परमेश्‍वर है, उसमें पक्षपात नहीं, वह निष्‍पक्ष न्‍यायी और निष्‍कपट है।


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