हमारे बाप-दादों ने प्रभु के विरुद्ध विश्वासघात किया था। उन्होंने उन्हीं कार्यों को किया था जो प्रभु परमेश्वर की दृष्टि में अनुचित थे। उन्होंने उसको छोड़ दिया था। वे प्रभु से विमुख हो गए थे। वे उसके निवास-स्थान से पीठ फेरकर चले गए थे।
यिर्मयाह 2:27 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) वे काठ स्तम्भ से कहते हैं, “तू हमारा पिता है।” वे पत्थर से कहते हैं, “तूने ही हमें जन्म दिया है।” उन्होंने मेरी ओर अपना मुंह नहीं वरन् अपनी पीठ फेरी है। जब उन पर संकट के बादल मंडराते हैं, तब मुझसे कहते हैं, “उठ और हमें बचा।” पवित्र बाइबल वे लोग लकड़ी के टुकड़ो से बातें करते हैं, वे कहते हैं, ‘तुम मेरे पिता हो।’ वे लोग चट्टान से बात करते हैं, वे कहते हैं, ‘तुमने मुझे जन्म दिया है।’ वे सभी लोग लज्जित होंगे। वे लोग मेरी ओर ध्यान नहीं देते। उन्होंने मुझसे पीठ फेर ली है। किन्तु जब यहूदा के लोगों पर विपत्ति आती है तब वे मुझसे कहते हैं, ‘आ और हमें बचा!’ Hindi Holy Bible वे काठ से कहते हैं, तू मेरा बाप है, और पत्थर से कहते हैं, तू ने मुझे जन्म दिया है। इस प्रकार उन्होंने मेरी ओर मुंह नहीं पीठ ही फेरी है; परन्तु विपत्ति के समय वे कहते हैं, उठ कर हमें बचा! पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) वे काठ से कहते हैं, ‘तू मेरा बाप है,’ और पत्थर से कहते हैं, ‘तू ने मुझे जन्म दिया है।’ इस प्रकार उन्होंने मेरी ओर मुँह नहीं पीठ ही फेरी है; परन्तु विपत्ति के समय वे कहते हैं, ‘उठकर हमें बचा!’ सरल हिन्दी बाइबल वे वृक्ष से कहते हैं, ‘तुम मेरे पिता हो,’ तथा पत्थर से, ‘तुमने मुझे जन्म दिया है.’ यह इसलिये कि उन्होंने अपनी पीठ मेरी ओर कर दी है अपना मुख नहीं; किंतु अपने संकट के समय, वे कहेंगे, ‘उठिए और हमारी रक्षा कीजिए!’ इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 वे काठ से कहते हैं, ‘तू मेरा पिता है,’ और पत्थर से कहते हैं, ‘तूने मुझे जन्म दिया है।’ इस प्रकार उन्होंने मेरी ओर मुँह नहीं पीठ ही फेरी है; परन्तु विपत्ति के समय वे कहते हैं, ‘उठकर हमें बचा!’ |
हमारे बाप-दादों ने प्रभु के विरुद्ध विश्वासघात किया था। उन्होंने उन्हीं कार्यों को किया था जो प्रभु परमेश्वर की दृष्टि में अनुचित थे। उन्होंने उसको छोड़ दिया था। वे प्रभु से विमुख हो गए थे। वे उसके निवास-स्थान से पीठ फेरकर चले गए थे।
प्रभु, हम संकट-काल में तुझे ढूंढ़ते हैं। जब तू हमें ताड़ित करता है, तब हम तुझसे निरन्तर प्रार्थना करते हैं।
मूर्तियों की आशा करनेवाले मूर्ख और अज्ञानी हैं; मूर्तियाँ क्या शिक्षा दे सकती हैं? उनकी शिक्षा लकड़ी के समान बेजान है।
पूरबी वायु के समान मैं उन को शत्रुओं के सम्मुख बिखेर दूंगा; उनकी विपत्ति के दिन मैं उनको अपना मुंह नहीं, बल्कि पीठ दिखाऊंगा!’
तू निर्जन प्रदेश की कामातुर जंगली गदही की तरह यहां-वहां हवा सूंघती फिरती थी। उसकी वासना को कौन रोक सकता था? उसे ढूंढ़नेवाले व्यर्थ परिश्रम न करें; क्योंकि वे उसको ऋतुकाल में पा लेंगे।
ओ यरूशलेम नगरी, लबानोन की निवासिनी! देवदार के जंगलों में अपना घोंसला बनानेवाली! जब तुझमें गर्भवती स्त्री की पीड़ाएं उठेंगी, जब तुझ पर दु:ख का पहाड़ टूटेगा तब तू क्या दर्द से नहीं चीखेगी?’
यहूदा को यह व्यभिचार-कर्म बड़ा हल्का जान पड़ा। अत: उसने पत्थरों और काठ स्तम्भों की पूजा करके सारे प्रदेश को भ्रष्ट कर दिया।
उफ! वह महा संकट का दिन है। उस के तुल्य और कोई दिन नहीं है। वह याकूब के लिए दु:ख का दिन है। फिर भी याकूब उससे बच जाएगा।
वे मेरी ओर उन्मुख नहीं हुए, बल्कि मुझ से विमुख हो गए। यद्यपि मैंने उन को बार-बार समझाया, तो भी उन्होंने मेरी वाणी नहीं सुनी, और मेरी शिक्षा स्वीकार नहीं की।
राजा सिदकियाह ने येहूकल बेन-शेलेम्याह और पुरोहित सफन्याह बेन-मासेयाह को नबी यिर्मयाह के पास भेजा और यह निवेदन किया, ‘प्रभु परमेश्वर से हमारे लिए प्रार्थना कीजिए।’
नबी यिर्मयाह के पास आए, और उन से यह निवेदन किया, ‘कृपया, हमारा निवेदन स्वीकार कीजिए, और हम-सब बचे हुए लोगों के लिए अपने प्रभु परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए (आप स्वयं अपनी आंखों से देख रहे हैं, कि पहले हम संख्या में कितने अधिक थे, और अब कितने थोड़े रह गए हैं।),
स्वामी-प्रभु यों कहता है, ‘तूने मुझे भुला दिया, अपना मुंह मुझ से फेर लिया, और कीचड़ के समान मुझे फेंक दिया। अत: अब तू अपनी कामुकता और व्यभिचार के कुकर्म का फल भोग।’
इसके बाद वह मुझे प्रभु-भवन के भीतरी आंगन में ले गया। वहां मैंने लगभग पच्चीस आदमी देखे, जो प्रभु-भवन के प्रवेश-द्वार के सामने, ड्योढ़ी और वेदी के बीच में खड़े थे। उनकी पीठ प्रभु के मन्दिर की ओर थी, और मुख पूर्व की ओर। वे पूर्व दिशा में सूर्य की पूजा कर रहे थे।
हे स्वामी, केवल तू ही धार्मिक है, और हमारा सिर शर्म से झुका हुआ है। आज भी हम, यहूदा प्रदेश के निवासी, यरूशलेम नगर के रहने वाले, वस्तुत: समस्त इस्राएली कौम के लोग जो दूर और नजदीक के देशों में प्रवास कर रहे हैं, जहाँ तूने उनको अपने प्रति विश्वासघाती आचरण के कारण रहने को विवश किया है, शर्म के कारण अति लज्जित हैं।
मेरे निज लोग काठ के पुतले से सलाह लेते हैं, वे पूजा के डण्डों से शकुन पूछते हैं! वेश्यावृत्ति की आत्मा ने उन्हें पथभ्रष्ट कर दिया है। उन्होंने मुझ-परमेश्वर को त्याग कर अन्य देवताओं पर विश्वास किया है।
मैं जा रहा हूं, मैं अपने स्थान को लौट रहा हूं, जब तक वे अपना अपराध स्वीकार न करेंगे और मेरा दर्शन पाने का प्रयत्न न करेंगे; जब तक अपने संकट में मुझे नहीं ढूंढ़ेंगे, मैं उनसे विमुख रहूंगा।
वे हृदय से मेरी दुहाई नहीं देते; वे शय्या पर पड़े-पड़े हाय-हाय करते हैं। वे अन्न और अंगूर की फसल के लिए विधर्मियों के समान अपने शरीर को घायल करते हैं; और यों मुझसे विद्रोह करते हैं।