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यिर्मयाह 10:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

8 मूर्तियों की आशा करनेवाले मूर्ख और अज्ञानी हैं; मूर्तियाँ क्‍या शिक्षा दे सकती हैं? उनकी शिक्षा लकड़ी के समान बेजान है।

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पवित्र बाइबल

8 अन्य राष्ट्रों के सभी लोग शरारती और मूर्ख हैं। उनकी शिक्षा निरर्थक लकड़ी की मूर्तियों से मिली है।

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Hindi Holy Bible

8 परन्तु वे पशु सरीखे निरे मूर्ख हैं; मूर्त्तियों से क्या शिक्षा? वे तो काठ ही हैं!

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

8 परन्तु वे पशु सरीखे निरे मूर्ख हैं; मूर्तियों से क्या शिक्षा? वे तो काठ ही हैं!

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सरल हिन्दी बाइबल

8 किंतु वे पूर्णतः निर्बुद्धि एवं मूर्ख हैं; उनकी शिक्षाएं धोखे के सिवा और कुछ नहीं.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

8 वे मूर्ख और निर्बुद्धि है; मूर्तियों से क्या शिक्षा? वे तो काठ ही हैं!

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यिर्मयाह 10:8
16 क्रॉस रेफरेंस  

गृह-देवता बकवास करते हैं, शकुन विचारने वाले झूठे शकुन विचारते हैं। स्‍वप्‍न दर्शी झूठे स्‍वप्‍न देखते हैं, और झूठी शान्‍ति देते हैं। अत: जनता भेड़ के सदृश भटक गई है, उनका चरवाहा नहीं है, अत: वे संकट में हैं।


इस जाति के सब मनुष्‍य मूर्ख हैं, वे परमेश्‍वर के ज्ञान से रहित हैं। सुनार अपनी बनाई हुई मूर्ति के कारण अपमानित होगा; क्‍योंकि उसकी मूर्ति झूठी है; उनमें जीवन का श्‍वास है ही नहीं।


‘जब मूर्तिकार मूर्ति को ढालता है, अथवा पत्‍थर पर खोदकर मूर्ति बनाता है, तब मूर्तिकार को क्‍या मिलता है? मूर्ति केवल मूर्ति है, असत्‍य का स्रोत है। जब मूर्तिकार अपनी बनाई हुई गूंगी मूर्ति पर विश्‍वास करता है, तब उसे क्‍या मिलता है?


वे विचार नहीं करते; न उनमें ज्ञान है और न समझ। वे यह नहीं सोचते कि उन्‍होंने देवदार की लकड़ी का आधा भाग आग में जलाया। उसके अंगारों पर रोटी सेंकी, मांस भूंजकर खाया। तब क्‍या बची हुई लकड़ी से मूर्ति बनाना चाहिए जो प्रभु परमेश्‍वर की दृष्‍टि में घृणित कार्य है? क्‍या उन्‍हें एक लकड़ी के खंभे के सम्‍मुख भूमि पर लेटकर वंदना करना चाहिए?


देखो, उनका अस्‍तित्‍व व्‍यर्थ है, उनके कार्य व्‍यर्थ हैं, उनकी ढली हुई मूर्तियाँ कोरी हवा हैं।


जो उन्‍हें बनाते हैं, वे उन्‍हीं मूर्तियों के सदृश निर्जीव हैं। वे भी बेजान हैं, जो उन पर भरोसा करते हैं।


जो उन्‍हें बनाते हैं; वे उन्‍हीं मूर्तियों के सदृश निर्जीव हैं। वे भी बेजान हैं, जो उन पर भरोसा करते हैं।


प्रभु ने कहा, ‘मेरे निज लोग मूर्ख हैं; वे मुझे नहीं जानते। वे नासमझ बच्‍चे हैं; उनमें बिल्‍कुल समझ नहीं है। वे दुष्‍कर्म करने में चतुर हैं, पर सत्‍कर्म कैसे करना चाहिए, यह वे नहीं जानते।’


वे काठ स्‍तम्‍भ से कहते हैं, “तू हमारा पिता है।” वे पत्‍थर से कहते हैं, “तूने ही हमें जन्‍म दिया है।” उन्‍होंने मेरी ओर अपना मुंह नहीं वरन् अपनी पीठ फेरी है। जब उन पर संकट के बादल मंडराते हैं, तब मुझसे कहते हैं, “उठ और हमें बचा।”


मेरे निज लोग काठ के पुतले से सलाह लेते हैं, वे पूजा के डण्‍डों से शकुन पूछते हैं! वेश्‍यावृत्ति की आत्‍मा ने उन्‍हें पथभ्रष्‍ट कर दिया है। उन्‍होंने मुझ-परमेश्‍वर को त्‍याग कर अन्‍य देवताओं पर विश्‍वास किया है।


ऐसे लोग न जानते हैं और न समझते हैं। उनकी आंखें बन्‍द हैं, अत: वे देख नहीं सकते। उनकी बुद्धि पर परदा पड़ा है, इसलिए वे समझ नहीं सकते।


यहूदा को यह व्‍यभिचार-कर्म बड़ा हल्‍का जान पड़ा। अत: उसने पत्‍थरों और काठ स्‍तम्‍भों की पूजा करके सारे प्रदेश को भ्रष्‍ट कर दिया।


मैंने सोचा, ‘यरूशलेम के ये लोग गरीब हैं। उन्‍हें समझ नहीं है। वे न प्रभु का मार्ग जानते हैं, और न अपने परमेश्‍वर के न्‍याय-सिद्धान्‍त।


जो उपासक झूठे देवताओं की पूजा करते हैं, वे अपनी सच्‍ची भक्‍ति को त्‍याग देते हैं।


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