प्रभु ने देखा कि पृथ्वी पर मनुष्य का दुराचार बढ़ गया है, और उसके मन के सारे विचार निरन्तर बुराई के लिए ही होते हैं।
यिर्मयाह 17:9 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) ‘मनुष्य का हृदय छल-कपट से भरा होता है, निस्सन्देह वह सब से अधिक भ्रष्ट होता है। मनुष्य के हृदय को कौन समझ सकता है? पवित्र बाइबल “व्यक्ति का दिमाग बड़ा कपटी होता है। दिमाग बहुत बीमार भी हो सकता है और कोई भी व्यक्ति दिमाग को ठीक ठीक नहीं समझता। Hindi Holy Bible मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है? पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देनेवाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है? सरल हिन्दी बाइबल अन्य सभी से अधिक कपटी है हृदय, असाध्य रोग से संक्रमित. कौन है उसे समझने में समर्थ? इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देनेवाला होता है, उसमें असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है? |
प्रभु ने देखा कि पृथ्वी पर मनुष्य का दुराचार बढ़ गया है, और उसके मन के सारे विचार निरन्तर बुराई के लिए ही होते हैं।
जब प्रभु को अग्निबलि की सुखद सुगन्ध मिली तब उसने अपने हृदय में कहा, ‘अब मैं मनुष्य के कारण भूमि को कभी शाप न दूंगा। बचपन से ही मनुष्य के मन के विचार बुराई के लिए होते हैं। जैसा मैंने अभी किया है वैसा जीवित प्राणियों का पुन: विनाश न करूंगा।
दाऊद ने पत्र में यह लिखा था : ‘जहाँ घमासान युद्ध हो रहा है, वहाँ सेना की अगली पंिक्त में ऊरियाह को भेज देना। तत्पश्चात् तुम्हारे सैनिक उसके पास से पीछे हट जाएँ, जिससे शत्रु उस पर प्रहार करें और वह मर जाए।’
जो मनुष्य केवल अपने ऊपर भरोसा रखता है, वह मूर्ख है; पर बुद्धि के मार्ग पर चलनेवाला मनुष्य बचाया जाएगा।
जो बुराइयाँ सूर्य के नीचे इस धरती पर विद्यमान हैं उनमें से एक यह नियति है : सब मनुष्य एक ही गति को प्राप्त होते हैं। मनुष्यों के हृदय बुराई से भरे हैं। जब तक वे जीवित रहते हैं, उनमें पागलपन समाया रहता है। उसके बाद वे मृतकों में मिल जाते हैं।
अब तुम्हारे किस अंग पर प्रहार किया जा सकता है? तुम्हारा कोई अंग भी मार से बचा नहीं, फिर भी तुम बार-बार विद्रोह करते हो! तुम्हारा सारा सिर घायल है, तुम्हारा सम्पूर्ण हृदय रोगी है।
सिर से पैर तक, तुममें स्वास्थ्य का चिह्न नहीं रहा, केवल घाव, चोट और सड़े हुए जख्म! उनका न मवाद पोंछा गया, न उनपर पट्टी बांधी गई, और न तेल लगाकर उन्हें ठण्डा ही किया गया।
इन लोगों की समझ पर पत्थर पड़ गए हैं; इनके कान बहरे हैं, और आंखें अंधी! अत: ये अपने कानों से सुन नहीं सकते, और न आंखों से इन्हें दिखाई देता है। इनका हृदय समझ नहीं पाता है; अन्यथा ये पश्चात्ताप करते, और मैं इनको स्वस्थ कर देता।’
किन्तु तुमने तो अपने पूर्वजों को भी पीछे छोड़ दिया; क्योंकि देखो, तुममें से प्रत्येक व्यक्ति अपने हठीले हृदय के अनुसार दुराचरण करता है, और मेरे वचन को सुनने से इन्कार करता है।
परन्तु उन्होंने मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया, और न ही उस पर कान दिया। वे मनचाहे मार्ग पर चलते रहे, अपने हठीले हृदय के अनुरूप दुराचरण करते रहे। उनके कदम मेरी ओर आगे नहीं बढ़े, बल्कि पीछे हट गए।
क्योंकि इन लोगों की बुद्धि मारी गयी है। ये कानों से ऊंचा सुनने लगे हैं; इन्होंने अपनी आँखें बन्द कर ली हैं; जिससे कहीं ऐसा न हो कि ये आँखों से देखें, कानों से सुनें, बुद्धि से समझें और मेरी ओर लौट आएँ और मैं इन्हें स्वस्थ कर दूँ। ’
क्योंकि बुरे विचार, हत्या, परस्त्री-गमन, व्यभिचार, चोरी, झूठी गवाही और निन्दा − ये सब मन से निकलते हैं।
येशु ने यह सुनकर उन से कहा, “निरोगों को नहीं, बल्कि रोगियों को वैद्य की आवश्यकता होती है। मैं धार्मिकों को नहीं, पापियों को बुलाने आया हूँ।”
क्योंकि उन्होंने परमेश्वर को जानते हुए भी उसे परमेश्वर के रूप में समुचित आदर और धन्यवाद नहीं दिया। उनका समस्त चिन्तन व्यर्थ चला गया और उनका विवेकहीन मन अन्धकारमय हो गया।
तो आप लोगों को अपना पहला आचरण और पुराना स्वभाव त्याग देना चाहिए, क्योंकि वह बहकाने वाली दुर्वासनाओं के कारण बिगड़ता जा रहा है।
भाइयो और बहिनो! आप सावधान रहें। आप लोगों में से किसी के मन में इतनी बुराई और अविश्वास न हो कि वह जीवन्त परमेश्वर से विमुख हो जाये।