5 अब तुम्हारे किस अंग पर प्रहार किया जा सकता है? तुम्हारा कोई अंग भी मार से बचा नहीं, फिर भी तुम बार-बार विद्रोह करते हो! तुम्हारा सारा सिर घायल है, तुम्हारा सम्पूर्ण हृदय रोगी है।
5 परमेश्वर कहता है, “मैं तुम लोगों को दण्ड क्यों देता रहूँ मैंने तुम्हें दण्ड दिया किन्तु तुम नहीं बदले। तुम मेरे विरुद्ध विद्रोह करते ही रहे। अब हर सिर और हर हृदय रोगी है।
राजा ने एलियाह के पास पुन: पचास सैनिकों के तीसरे दल को तथा उनके सेना-नायक को भेजा। तीसरा सेना-नायक पहाड़ पर चढ़ा। वह एलियाह के समीप आया। उसने एलियाह के सम्मुख घुटने टेके, और उनसे यह निवेदन किया, “हे परमेश्वर के जन! कृपाकर, मेरे प्राण को और अपने पचास सेवकों के प्राण को अपनी दृष्टि में तुच्छ मत समझिए।
हमारे राजाओं, शासकों, पुरोहितों और हमारे पूर्वजों ने तेरी व्यवस्था का पालन नहीं किया; जो आज्ञाएं और चेतावनियां तूने उनको दी थीं, उन पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया।
तेरे शासक कानून के विरोधी हैं, वे चोरों के साथी हैं। वे-सब रिश्वत के लोभी हैं। वे उपहारों के पीछे दौड़ते हैं। वे अनाथों का न्याय नहीं करते, और न विधवाओं का मुकदमा उन तक पहुंच ही पाता है।
मनश्शे इफ्रइम को खा रहा है, और इफ्रइम मनश्शे को। वे दोनों मिलकर यहूदा को खा रहे हैं। प्रभु का क्रोध इस विनाश के बाद भी शान्त नहीं होगा; विनाश के लिए उसका हाथ अब तक उठा हुआ है।
क्या हबशी अपनी काली त्वचा अथवा चीता अपने चित्ते बदल सकता है? तब तू कैसे अपना स्वभाव बदल कर सत्कर्म कर सकती है; क्योंकि तुझे तो दुष्कर्म करने की आदत है?
‘मैंने व्यर्थ ही तुम्हारे बच्चों को मारा, वे मेरी ताड़ना से सुधरे नहीं; तुमने अपनी तलवार से अपने नबियों को चीर-फाड़ डाला, जैसे गरजता हुआ सिंह अपने शिकार को फाड़ता है!
जो पति यह जानते थे कि उनकी पत्नियां अन्य देवताओं के लिए धूप जलाती हैं, उन्होंने तथा उनके साथ स्त्रियों ने भी, जो स्वयं देवताओं को धूप चढ़ाती थीं, और जो बड़ी संख्या में वहां उपस्थित थीं, यिर्मयाह को उत्तर दिया। (ये सब मिस्र देश के पत्रोस प्रदेश में रहते थे।)
‘हे प्रभु, क्या तू सच्चाई को नहीं देखता? देख, तूने उनको मारा, किन्तु उन्हें पीड़ा का अनुभव ही नहीं हुआ! तूने उनका संहार किया, फिर भी उन्होंने इससे पाठ नहीं सीखा! उन्होंने अपना हृदय चट्टान से अधिक कठोर बना लिया, उन्होंने पश्चात्ताप करने से इन्कार कर दिया।’
अत: मैं बड़े लोगों के पास जाऊंगा, और उनसे बात करूंगा। वे प्रभु का मार्ग जानते हैं। वे अपने परमेश्वर के न्याय-सिद्धान्तों से परिचित हैं।’ प्रभु ने कहा, ‘नहीं उन्होंने भी मेरे अधिकार के प्रतीक-चिह्न जूए को तोड़ दिया है, मेरे बन्धन को काट दिया है।
वे झूठ का शब्द फेंकने के लिए धनुष के सदृश अपनी जीभ को, प्रत्यंचा पर चढ़ाते हैं; सच्चाई नहीं, वरन् असत्य की फसल सारे देश में खूब पैदा हो रही है! वे दुष्कर्म पर दुष्कर्म करते जाते हैं। उनके विषय में स्वयं प्रभु कहता है: ‘वे मेरी उपस्थिति का अनुभव नहीं करते हैं।’
ओ यरूशलेम नगरी! यह जंग तेरी कामुकता है, जो गन्दा मैल है। मैंने तुझसे यह अशुद्धता, यह कामुकता छुड़वाने की बार-बार कोशिश की; पर मैं अपने प्रयत्न में सफल नहीं हुआ! तू शुद्ध नहीं हुई। अत: अब, जब तक मैं तुझे दण्ड देकर अपना क्रोध शान्त न कर लूंगा, तब तक तू शुद्ध न होगी।
मैं खोई हुई भेड़ को ढूंढ़ूंगा। भटकी हुई भेड़ के घावों पर पट्टी बांधूंगा। मैं निर्बल को बलवान बनाऊंगा। मैं मोटी-ताजी, स्वस्थ भेड़ की रक्षा करूंगा। मैं उनको उचित रीति से चराऊंगा।
तुमने निर्बल को बलवान नहीं बनाया। तुमने बीमार को स्वस्थ नहीं किया। तुमने घायल के घावों की मलहम-पट्टी नहीं की। तुम भटकी हुई भेड़ को वापस नहीं लाए। जो खो गई है, उसको नहीं खोजा। किन्तु तुमने जनता पर जोर-जबरदस्ती से शासन किया।