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यशायाह 56:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

‘धन्‍य है वह मनुष्‍य जो न्‍याय का पालन करता है; धन्‍य है मानव-पुत्र जो धर्म को पकड़े रहता है, जो विश्राम-दिवस को पवित्र मानता है, और उसको अपवित्र नहीं करता, जो सब प्रकार की बुराई से स्‍वयं को दूर रखता है।’

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पवित्र बाइबल

ऐसा व्यक्ति जो सब्त के दिन—सम्बन्धी परमेश्वर के नियम का पालन करता है, धन्य होगा और वह वक्ति जो बुरा नहीं करेगा, प्रसन्न रहेगा।

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Hindi Holy Bible

क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो ऐसा ही करता, और वह आदमी जो इस पर स्थिर रहता है, जो विश्रामदिन को पवित्र मानता और अपवित्र करने से बचा रहता है, और अपने हाथ को सब भांति की बुराई करने से रोकता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो ऐसा ही करता, और वह आदमी जो इस पर स्थिर रहता है, जो विश्रामदिन को पवित्र मानता और अपवित्र करने से बचा रहता है, और अपने हाथ को सब भाँति की बुराई करने से रोकता है।”

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सरल हिन्दी बाइबल

क्या ही धन्य है वह व्यक्ति जो ऐसा ही करता है, वह मनुष्य जो इस पर अटल रहकर इसे थामे रहता है, जो शब्बाथ को दूषित न करने का ध्यान रखता है, तथा किसी भी गलत काम करने से अपने हाथ को बचाये रखता है.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो ऐसा ही करता, और वह आदमी जो इस पर स्थिर रहता है, जो विश्रामदिन को पवित्र मानता और अपवित्र करने से बचा रहता है, और अपने हाथ को सब भाँति की बुराई करने से रोकता है।”

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यशायाह 56:2
31 क्रॉस रेफरेंस  

अत: मैंने यहूदा प्रदेश के प्रतिष्‍ठित लोगों को फटकारा और उनसे कहा, ‘तुम विश्राम-दिवस पर अनुचित कार्य करते हो, और पवित्र दिवस को अपवित्र करते हो।


धन्‍य हैं वे जो न्‍याय पर चलते हैं, जो हर समय धार्मिक कार्य करते हैं!


प्रभु की स्‍तुति करो! धन्‍य है, वह मनुष्‍य जो प्रभु का भय मानता है, जो उसकी आज्ञाओं से बहुत प्रसन्न होता है।


मैं अपने पैरों को हरेक कुपथ से रोकता हूं, जिससे तेरे वचन का पालन करूं।


ओ प्रभु के भक्‍त! तू धन्‍य है, तू प्रभु के मार्ग पर चलता है!


बुराई को छोड़ों, और भलाई करो; शांति को खोजो, और उसका अनुसरण करो।


बुराई से दूर रहो, और भले कार्य करो; तब तुम देश में सदा शांति से बसे रहोगे।


किन्‍तु सातवां दिन तेरे प्रभु परमेश्‍वर का विश्राम दिवस है। इसलिए तू, तेरे पुत्र-पुत्री, सेवक-सेविका, तेरे पशु और तेरे नगरों में रहने वाले प्रवासी व्यक्‍ति उस दिन कोई कार्य न करें।


‘विश्राम दिवस को पवित्र मानने के लिए स्‍मरण रखना।


बुद्धिमान मनुष्‍य सावधान रहता, और बुराई से बचता है, किन्‍तु मूर्ख मनुष्‍य लापरवाह होता, और ढीठ बनकर दुराचरण करता है।


बुराई से दूर रहना निष्‍कपट मनुष्‍य का सदाचरण है। जो मनुष्‍य अपने आचरण की चौकसी करता है, वह अपने जीवन की रक्षा करता है।


दुष्‍कर्म का प्रायश्‍चित्त करुणा और सच्‍चाई है; प्रभु की भक्‍ति करने से मनुष्‍य बुराई से बचा रहता है।


मेरी शिक्षा को कस कर पकड़े रह, उसकी रक्षा कर, वह तेरा जीवन है।


पथ में न दाहिनी ओर मुड़ना और न बाई ओर, बुरे मार्ग से अपने पैर हटा लेना।


अच्‍छा यह है कि तुम एक को पकड़े रहो, और दूसरे को भी अपने हाथों से न निकलने दो। जो मनुष्‍य परमेश्‍वर की भक्‍ति करता है, वह इन सब कठिनाइयों से पार हो जाएगा।


क्‍योंकि प्रभु यह कहता है : ‘जो खोजा व्यक्‍ति मेरे विश्राम-दिवसों का पालन करता है, जो उन कामों को करता है, जिनसे मैं प्रसन्न होता हूं, जो मेरे विधान पर दृढ़ रहता है,


‘जो विदेशी व्यक्‍ति मुझ-प्रभु के अनुयायी हो गए हैं, जो मेरी सेवा करते हैं, मेरे नाम से प्रेम करते हैं, और मेरे सेवक हैं, जो विश्राम-दिवस का पालन करते हैं और उसको अपवित्र नहीं करते हैं, जो मेरे विधान पर दृढ़ हैं;


यदि तू विश्राम-दिवस को अपवित्र नहीं करेगा, मेरे पवित्र दिवस पर अपना दैनिक काम-धन्‍धा नहीं करेगा, और विश्राम-दिवस को आनन्‍द-पर्व मानेगा, उसको प्रभु का पवित्र और सम्‍मानीय दिन समझेगा; यदि तू अपने मार्ग पर अपने मन के अनुरूप आचरण नहीं करेगा, अपना काम-काज नहीं करेगा, और न व्‍यर्थ बातों में उसको गुजारेगा और यों उसका सम्‍मान करेगा;


‘मैंने उनको विश्राम-दिवस भी प्रदान किया, जो मेरे और उनके मध्‍य एक चिह्‍न है कि उनको ज्ञात हो कि मैं प्रभु ही उनको पवित्र करता हूं।


मेरे विश्राम-दिवस को पवित्र मानो, ताकि वह मेरे और तुम्‍हारे बीच एक चिह्‍न ठहरे, और तुम्‍हें अनुभव हो कि मैं ही तुम्‍हारा प्रभु परमेश्‍वर हूं।”


तुम मेरे विश्राम-दिवसों का पालन करना; मेरे पवित्र-स्‍थान के प्रति श्रद्धा रखना। मैं प्रभु हूँ।


परन्‍तु येशु ने कहा, “किन्‍तु वे कहीं अधिक धन्‍य हैं, जो परमेश्‍वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं।”


धन्‍य है वह सेवक, जिसका स्‍वामी लौटने पर उसे ऐसा करता हुआ पाएगा!


यदि तुम ये बातें जानते हो और इनके अनुसार आचरण करते हो तो तुम धन्‍य हो।


आप लोगों का प्रेम निष्‍कपट हो। आप बुराई से घृणा करें तथा भलाई में लगे रहें।


धन्‍य हैं वे, जो अपने आचरण-रूपी वस्‍त्र धोते हैं; वे जीवन-वृक्ष के अधिकारी होंगे और फाटकों से हो कर नगर में प्रवेश करेंगे।