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नीतिवचन 14:10 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

केवल हृदय अपनी पीड़ा को जानता है; पर उसके आनन्‍द में भी दूसरा साझी नहीं हो सकता।

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पवित्र बाइबल

हर मन अपनी निजी पीड़ा को जानता है, और उसका दुःख कोई नहीं बाँट पाता है।

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Hindi Holy Bible

मन अपना ही दु:ख जानता है, और परदेशी उसके आनन्द में हाथ नहीं डाल सकता।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

मन अपना ही दु:ख जानता है, और परदेशी उसके आनन्द में हाथ नहीं डाल सकता।

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नवीन हिंदी बाइबल

मन अपने दुःख को स्वयं जानता है, और कोई पराया उसके आनंद में सहभागी नहीं होता।

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सरल हिन्दी बाइबल

मनुष्य को स्वयं अपने मन की पीडा का बोध रहता है और अज्ञात व्यक्ति हृदय के आनंद में सम्मिलित नहीं होता.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

मन अपना ही दुःख जानता है, और परदेशी उसके आनन्द में हाथ नहीं डाल सकता।

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नीतिवचन 14:10
20 क्रॉस रेफरेंस  

उन्‍होंने आपस में कहा, ‘निस्‍सन्‍देह, हम अपने भाई यूसुफ के प्रति दोषी हैं। हमने उसकी आत्‍मा का कष्‍ट देखा था। जब उसने हमसे दया की भीख मांगी तब हमने नहीं सुना। अतएव अब यह कष्‍ट हम पर आया है।’


वह कर्मेल पर्वत पर पहुंची। उसने परमेश्‍वर के जन एलीशा के पैर पकड़ लिए। गेहजी उसको बलपूर्वक हटाने लगा। परन्‍तु परमेश्‍वर के जन एलीशा ने गेहजी से कहा, ‘इनको छोड़ दे। इनके प्राण व्‍याकुल हैं। किन्‍तु प्रभु ने मुझसे यह बात छिपा रखी है। उसने मुझ पर प्रकट नहीं किया।’


‘मैं अपने जीवन से तंग आ गया हूँ। मैं निस्‍संकोच अपनी शिकायत पेश करूंगा। मैं अपने प्राण की पीड़ा व्‍यक्‍त करूंगा।


पर दूसरा व्यक्‍ति सुख का स्‍वाद लिये बिना ही, आत्‍मा में कुढ़-कुढ़ कर मर जाता है!


‘अत: मैं अपना मुंह बन्‍द नहीं रखूंगा; मैं अपनी आत्‍मा की वेदना के कारण बोलूंगा; मैं अपने प्राण की कटुता के कारण, हे परमेश्‍वर, तुझसे शिकायत करूंगा! क्‍या मैं समुद्री राक्षस हूं कि तू मुझे पहरे में रखता है, जिससे मैं बन्‍धन-मुक्‍त न होऊं?


वह मुझे सांस भी नहीं लेने देता है, बल्‍कि मुझे कटुता से भर देता है।


प्रभु अपने भक्‍तों पर अपने भेद प्रकट करता है। प्रभु उन्‍हें अपना विधान सिखाता है।


यदि हृदय प्रसन्न है तो चेहरे पर रौनक रहती है; किन्‍तु यदि हृदय दु:खित है तो अन्‍तर-आत्‍मा भी उदास रहती है।


बीमारी की दशा में मनुष्‍य का आत्‍म-बल उसको सम्‍भलता है; पर जब हृदय ही टूट जाता है, तब उसको कौन सह सकता है?


तब आत्‍मा मुझे उठा कर ले गया। मैं मन ही मन जल रहा था, और मेरी आत्‍मा कटुता से भर गई थी। मैं चला गया, और प्रभु का हाथ मुझ पर प्रबल था।


“अब मेरी आत्‍मा व्‍याकुल है। क्‍या मैं यह कहूँ, ‘पिता! इस घड़ी के संकट से मुझे बचा’? किन्‍तु इसी कारण मैं इस घड़ी तक पहुँचा हूँ।


“मैं तुम को अनाथ नहीं छोड़ूँगा, मैं तुम्‍हारे पास आ रहा हूँ।


येशु ने उसे उत्तर दिया, “जो मुझ से प्रेम करेंगे, वे मेरे वचन का पालन करेंगे और मेरा पिता उन से प्रेम करेगा और हम उनके पास आएँगे और उनके साथ निवास करेंगे।


और परमेश्‍वर की शान्‍ति, जो हमारी समझ से परे है, आपके हृदय और विचारों को येशु मसीह में सुरक्षित रखेगी।


आपने येशु को कभी देखा नहीं, फिर भी आप उन्‍हें प्‍यार करते हैं। आप अब भी उन्‍हें नहीं देखते, फिर भी उन में आप विश्‍वास करते हैं। और इस विश्‍वास के कारण आप एक अकथनीय एवं महिमामय आनन्‍द से परिपूर्ण हैं।


“जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्‍मा कलीसियाओं से क्‍या कहता है। जो विजय प्राप्‍त करेगा, उसको मैं थोड़ा-सा गुप्‍त “मन्ना” और अनुग्रह का प्रतीक श्‍वेत पत्‍थर प्रदान करूँगा। उस पत्‍थर पर एक नया नाम अंकित होगा, जिसको पानेवाले के अतिरिक्‍त और कोई नहीं जानता।


हन्नाह घोर दु:ख में डूबी हुई थी। उसने प्रभु से प्रार्थना की और वह फूट-फूट कर रोने लगी।


हन्नाह ने उत्तर दिया, ‘नहीं, मेरे स्‍वामी, मैं ऐसी स्‍त्री हूँ, जिसके दिन कठिनाई से बीत रहे हैं। न मैंने अंगूर का रस पीया है, और न शराब। मैं प्रभु के सम्‍मुख अपने प्राण को उण्‍डेल रही थी।