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अय्यूब 7:11 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

11 ‘अत: मैं अपना मुंह बन्‍द नहीं रखूंगा; मैं अपनी आत्‍मा की वेदना के कारण बोलूंगा; मैं अपने प्राण की कटुता के कारण, हे परमेश्‍वर, तुझसे शिकायत करूंगा! क्‍या मैं समुद्री राक्षस हूं कि तू मुझे पहरे में रखता है, जिससे मैं बन्‍धन-मुक्‍त न होऊं?

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पवित्र बाइबल

11 “अत: मैं चुप नहीं रहूँगा। मैं सब कह डालूँगा। मेरी आत्मा दु:खित है और मेरा मन कटुता से भरा है, अत: मैं अपना दुखड़ा रोऊँगा।

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Hindi Holy Bible

11 इसलिये मैं अपना मुंह बन्द न रखूंगा; अपने मन का खेद खोल कर कहूंगा; और अपने जीव की कड़ुवाहट के कारण कुड़कुड़ाता रहूंगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

11 “इसलिये मैं अपना मुँह बन्द न रखूँगा; अपने मन का खेद खोलकर कहूँगा; और अपने जीव की कड़ुवाहट के कारण कुड़कुड़ाता रहूँगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

11 “तब मैं अपने मुख को नियंत्रित न छोड़ूंगा; मैं अपने हृदय की वेदना उंडेल दूंगा, अपनी आत्मा की कड़वाहट से भरके कुड़कुड़ाता रहूंगा.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

11 “इसलिए मैं अपना मुँह बन्द न रखूँगा; अपने मन का खेद खोलकर कहूँगा; और अपने जीव की कड़वाहट के कारण कुड़कुड़ाता रहूँगा।

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अय्यूब 7:11
20 क्रॉस रेफरेंस  

उन्‍होंने आपस में कहा, ‘निस्‍सन्‍देह, हम अपने भाई यूसुफ के प्रति दोषी हैं। हमने उसकी आत्‍मा का कष्‍ट देखा था। जब उसने हमसे दया की भीख मांगी तब हमने नहीं सुना। अतएव अब यह कष्‍ट हम पर आया है।’


‘मैं अपने जीवन से तंग आ गया हूँ। मैं निस्‍संकोच अपनी शिकायत पेश करूंगा। मैं अपने प्राण की पीड़ा व्‍यक्‍त करूंगा।


यदि मैं दुर्जन होऊं तो मुझे धिक्‍कार है! यदि मैं धार्मिक हूं तो भी मैं अपना सिर उठाने का साहस नहीं कर सकता; क्‍योंकि मैं अपमान की बाढ़ में डूब चुका हूं, मैं क्षण-क्षण पीड़ा की मार सह रहा हूं!


‘तुम चुप रहो, और मुझे बोलने दो; मुझ पर जो बीतेगी, मैं उसको सह लूँगा।


‘मेरे बोलने से मेरा दु:ख कम नहीं होता, अगर मैं चुप रहूँ तो क्‍या मेरे चुप रहने से मेरा कष्‍ट कम हो जाएगा?


पर दूसरा व्यक्‍ति सुख का स्‍वाद लिये बिना ही, आत्‍मा में कुढ़-कुढ़ कर मर जाता है!


‘आज भी मेरी शिकायत कड़वी है! मैं कराहता हूँ, इसके बावजूद परमेश्‍वर का दबाव मुझ पर भारी है।


सावधान! अधर्म की ओर मत मुड़ो। क्‍योंकि तुमने दु:ख की अपेक्षा अधर्म को अपनाया है।


तुम शब्‍दों की बाजीगरी दिखाते हो, तुम सोचते हो कि केवल तुम्‍हारे शब्‍द ही सच हैं, और उसके शब्‍द मात्र हवा हैं, जो निराशा में डूबा है।


यदि मैं यह सोचूं कि मैं अपनी सब शिकायतों को भूल जाऊंगा, मैं अपने मुख की उदासी दूर कर दूंगा, और प्रसन्नचित्त रहूंगा,


मेरे भीतर ही भीतर मेरा हृदय उबल उठा; मेरे सोचते-सोचते अग्‍नि धधकने लगी, तब मैं पुकार उठा;


मैंने आराधकों की महासभा में मुक्‍ति का संदेश सुनाया। देख, मैंने अपने ओंठों को बन्‍द नहीं किया; प्रभु! तू यह जानता ही है।


मैं क्‍या कह सकता हूं? उसी ने मुझ से जैसा कहा था वैसा ही मेरे साथ किया है! मेरे प्राण की कड़ुआहट के कारण मेरी आंखों की नींद उड़ गई।


कडुआहट भोगने में ही मेरा कल्‍याण छिपा था; तूने मेरे जीवन को विनाश के गड्ढे में गिरने से रोका। तूने मेरे सब पाप अपनी पीठ के पीछे फेंक दिए!


येशु प्राणपीड़ा में पड़ने के कारण और भी एकाग्र हो कर प्रार्थना करते रहे और उनका पसीना रक्‍त की बूंदों की तरह धरती पर टपकता रहा।]


मैंने बड़े कष्‍ट में, हृदय की गहरी वेदना सहते हुए और आँसू बहा-बहा कर वह पत्र लिखा था। मैंने आप लोगों को दु:ख देने के लिए नहीं लिखा था, बल्‍कि इसलिए कि आप यह जान जायें कि मैं आप लोगों को कितना अधिक प्‍यार करता हूँ।


हन्नाह घोर दु:ख में डूबी हुई थी। उसने प्रभु से प्रार्थना की और वह फूट-फूट कर रोने लगी।


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