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2 राजाओं 4:27 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

27 वह कर्मेल पर्वत पर पहुंची। उसने परमेश्‍वर के जन एलीशा के पैर पकड़ लिए। गेहजी उसको बलपूर्वक हटाने लगा। परन्‍तु परमेश्‍वर के जन एलीशा ने गेहजी से कहा, ‘इनको छोड़ दे। इनके प्राण व्‍याकुल हैं। किन्‍तु प्रभु ने मुझसे यह बात छिपा रखी है। उसने मुझ पर प्रकट नहीं किया।’

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पवित्र बाइबल

27 किन्तु शूनेमिन स्त्री पर्वत पर चढ़कर परमेश्वर के जन (एलीशा) के पास पहुँची। वह प्रणाम करने झुकी और उसने एलीशा के पाँव पकड़ लिये। गेहजी शूनेमिन स्त्री को दूर खींच लेने के लिये निकट आया। किन्तु परमेश्वर के जन (एलीशा) ने गेहजी से कहा, “उसे अकेला छोड़ दो! वह बहुत परेशान है और यहोवा ने इसके बारे में मुझसे नहीं कहा। यहोवा ने यह खबर मुझसे छिपाई।”

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Hindi Holy Bible

27 वह पहाड़ पर परमेश्वर के भक्त के पास पहुंची, और उसके पांव पकड़ने लगी, तब गेहजी उसके पास गया, कि उसे धक्का देकर हटाए, परन्तु परमेश्वर के भक्त ने कहा, उसे छोड़ दे, उसका मन व्याकुल है; परन्तु यहोवा ने मुझ को नहीं बताया, छिपा ही रखा है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

27 वह पहाड़ पर परमेश्‍वर के भक्‍त के पास पहुँची, और उसके पाँव पकड़ने लगी, तब गेहजी उसके पास गया कि उसे धक्‍का देकर हटाए, परन्तु परमेश्‍वर के भक्‍त ने कहा, “उसे छोड़ दे, उसका मन व्याकुल है; परन्तु यहोवा ने मुझ को नहीं बताया, छिपा ही रखा है।”

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सरल हिन्दी बाइबल

27 तब, जैसे ही वह पर्वत पर परमेश्वर के जन के पास पहुंची, उसने एलीशा के पैर पकड़ लिए. जब गेहज़ी उसे हटाने वहां पहुंचा, परमेश्वर के जन ने उससे कहा, “ऐसा कुछ न करो, क्योंकि इसका मन भारी दर्द से भरा हुआ है. इसके बारे में मुझे याहवेह ने कोई सूचना नहीं दी है, इसे गुप्‍त ही रखा है.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

27 वह पहाड़ पर परमेश्वर के भक्त के पास पहुँची, और उसके पाँव पकड़ने लगी, तब गेहजी उसके पास गया, कि उसे धक्का देकर हटाए, परन्तु परमेश्वर के भक्त ने कहा, “उसे छोड़ दे, उसका मन व्याकुल है; परन्तु यहोवा ने मुझ को नहीं बताया, छिपा ही रखा है।”

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2 राजाओं 4:27
19 क्रॉस रेफरेंस  

प्रभु ने सोचा, ‘मैं जो कार्य करने जा रहा हूँ, क्‍या उसे अब्राहम से गुप्‍त रखूँ,


नातान ने राजा से कहा, ‘जाइए; जो कुछ आपके हृदय में है, उसको आप कर डालिए; क्‍योंकि प्रभु आपके साथ है।’


यों वह चली गई। वह कर्मेल पर्वत पर परमेश्‍वर के जन एलीशा के पास पहुंची। जब परमेश्‍वर के जन एलीशा ने उसे दूर से देखा तब उन्‍होंने अपने सेवक गेहजी से कहा, ‘देख, शूनेमवासी महिला आ रही है।


तू उससे भेंट करने के लिए दौड़ कर जा। तू उससे यह पूछना, “तुम सकुशल तो हो? तुम्‍हारे पति सकुशल हैं? तुम्‍हारा पुत्र सकुशल है?” शूनेमवासी महिला ने कहा, ‘सब सकुशल है।’


एक दरबारी ने कहा, ‘महाराज, हमारे स्‍वामी, हममें से किसी ने भी विश्‍वासघात नहीं किया। परन्‍तु इस्राएल प्रदेश में एलीशा नामक एक नबी है। वह इस्राएल प्रदेश के राजा को वे तमाम बातें भी बता देता है, जो आप अपने शयनागार में कहते हैं!’


‘मैं अपने जीवन से तंग आ गया हूँ। मैं निस्‍संकोच अपनी शिकायत पेश करूंगा। मैं अपने प्राण की पीड़ा व्‍यक्‍त करूंगा।


केवल हृदय अपनी पीड़ा को जानता है; पर उसके आनन्‍द में भी दूसरा साझी नहीं हो सकता।


बीमारी की दशा में मनुष्‍य का आत्‍म-बल उसको सम्‍भलता है; पर जब हृदय ही टूट जाता है, तब उसको कौन सह सकता है?


निस्‍सन्‍देह स्‍वामी-प्रभु अपने सेवक नबियों पर अपना भेद प्रकट किए बिना कोई कार्य नहीं करता।


येशु ने उसे उत्तर नहीं दिया। उनके शिष्‍यों ने पास आ कर उन से यह निवेदन किया, “उसकी बात मान कर उसे विदा कर दीजिए, क्‍योंकि वह हमारे पीछे-पीछे चिल्‍लाती आ रही है।”


लोगों ने उन्‍हें डाँटा कि वे चुप हो जाएँ। किन्‍तु वे और भी जोर से पुकारने लगे, “हे प्रभु! दाऊद के वंशज! हम पर दया कीजिए।”


येशु एकाएक मार्ग में उन स्‍त्रियों से मिले और बोले, “सुखी रहो!” वे येशु के समीप गईं और उनके चरणों को पकड़ कर उनकी वंदना की।


कुछ लोग येशु के पास बच्‍चों को लाए कि वह उन्‍हें स्‍पर्श करें; परन्‍तु शिष्‍यों ने लोगों को डाँटा।


येशु ने कहा, “इसे छोड़ दो। इसे क्‍यों तंग करते हो? इसने मेरे लिए एक सुन्‍दर कार्य किया है।


और रोती हुई येशु के पीछे उन के चरणों के पास खड़ी हो गयी। वह अपने आँसुओं से येशु के चरण धोने, और अपने केशों से उन्‍हें पोंछने लगी। वह बार-बार उनके चरणों को चूमती और उन पर इत्र लगा रही थी।


अब से मैं तुम्‍हें सेवक नहीं कहूँगा। सेवक नहीं जानता कि उसका स्‍वामी क्‍या करने वाला है। मैंने तुम्‍हें मित्र कहा है, क्‍योंकि मैंने अपने पिता से जो कुछ सुना, वह सब तुम्‍हें बता दिया है।


उसी समय शिष्‍य आ गये और येशु को एक स्‍त्री के साथ बातें करते देख कर आश्‍चर्य में पड़ गये; फिर भी किसी ने यह नहीं कहा, “आप को क्‍या चाहिये?” अथवा “आप इस स्‍त्री से क्‍यों बातें कर रहे हैं?”


हन्नाह घोर दु:ख में डूबी हुई थी। उसने प्रभु से प्रार्थना की और वह फूट-फूट कर रोने लगी।


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