Biblia Todo Logo
ऑनलाइन बाइबिल
- विज्ञापनों -




नीतिवचन 15:13 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

13 यदि हृदय प्रसन्न है तो चेहरे पर रौनक रहती है; किन्‍तु यदि हृदय दु:खित है तो अन्‍तर-आत्‍मा भी उदास रहती है।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

पवित्र बाइबल

13 मन की प्रसन्नता मुख को चमकाती, किन्तु मन का दर्द आत्मा को कुचल देता है।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

Hindi Holy Bible

13 मन आनन्दित होने से मुख पर भी प्रसन्नता छा जाती है, परन्तु मन के दु:ख से आत्मा निराश होती है।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

13 मन आनन्दित होने से मुख पर भी प्रसन्नता छा जाती है, परन्तु मन के दु:ख से आत्मा निराश होती है।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

नवीन हिंदी बाइबल

13 जब मन आनंदित होता है तो मुख पर प्रसन्‍न‍ता छा जाती है, परंतु जब मन दुःखी होता है तो आत्मा भी निराश हो जाती है।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

सरल हिन्दी बाइबल

13 प्रसन्‍न हृदय मुखमंडल को भी आकर्षक बना देता है, किंतु दुःखित हृदय आत्मा तक को निराश कर देता है.

अध्याय देखें प्रतिलिपि




नीतिवचन 15:13
10 क्रॉस रेफरेंस  

सम्राट ने मुझसे पूछा, “तुम्‍हारा चेहरा उदास क्‍यों है? क्‍या बीमार हो? निस्‍सन्‍देह यह मानसिक पीड़ा ही है।’ मैं यह सुनकर बहुत डर गया।


मनुष्‍य के मन की चिन्‍ता उसको दबा देती है; पर एक सुभाषित वचन उसको आनन्‍दित कर देता है।


शान्‍त मन शरीर को स्‍वस्‍थ रखता है, पर क्रोध की ज्‍वाला हड्डियों को भी भस्‍म कर देती है।


जो मनुष्‍य दु:खी है, उसका हर दिन दु:ख में बीतता है, किन्‍तु जिस व्यक्‍ति का हृदय प्रसन्नता से भरा रहता है, वह मानो नित्‍य भोज में सम्‍मिलित होता है।


आनन्‍दित रहनेवाला हृदय उत्तम दवा है। निराश मन हड्डियों को भी सुखा देती है।


बीमारी की दशा में मनुष्‍य का आत्‍म-बल उसको सम्‍भलता है; पर जब हृदय ही टूट जाता है, तब उसको कौन सह सकता है?


“तुम्‍हारा मन व्‍याकुल न हो। परमेश्‍वर में विश्‍वास करो और मुझ में भी विश्‍वास करो!


हमें एक बात का गर्व है-हमारा अन्‍त:करण हमें विश्‍वास दिलाता है कि हमने मनुष्‍यों के साथ और विशेष कर आप लोगों के साथ जो व्‍यवहार किया है, वह संसार की बुद्धिमानी के अनुसार नहीं, बल्‍कि उस सच्‍चाई और ईमानदारी के अनुसार था जो परमेश्‍वर की कृपा का वरदान है।


अब आप को ही उसे क्षमा और सान्‍त्‍वना देनी चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि वह अत्‍यधिक दु:ख में डूब जाये।


क्‍योंकि जो दु:ख परमेश्‍वर की इच्‍छानुसार स्‍वीकार किया जाता, उसका परिणाम होता है हृदय-परिवर्तन तथा उद्धार। इसमें पछताना नहीं पड़ता। परन्‍तु सांसारिक दु:ख का परिणाम है मृत्‍यु।


हमारे पर का पालन करें:

विज्ञापनों


विज्ञापनों