ईजेबेल ने राजा अहाब के नाम में पत्र लिखे। उसने उन पर अहाब की मुहर लगाई। तत्पश्चात् ईजेबेल ने पत्रों को नाबोत के नगर में रहने वाले धर्मवृद्धों और अभिजात वर्ग के लोगों के पास भेजा।
एस्तेर 3:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) पहिले महीने की तेरहवीं तारीख को सम्राट के सचिव बुलाए गए। उन्होंने हामान के आदेश को सम्राट के क्षत्रपों, सब प्रदेशों के राज्यपालों और सब कौमों के शासकों के लिए उनकी अपनी भाषा और लिपि में लिखा। यह आदेश सम्राट क्षयर्ष के नाम से लिखा गया, और सम्राट की अंगूठी से उस पर मुहर अंकित कर दी गई। पवित्र बाइबल फिर उस पहले महीने के तेरहवें दिन महाराजा के सचिवों को बुलाया गया। उन्होंने हामान के सभी आदेशों को हर प्रांत की लिपि और विभिन्न लोगों की भाषा में अलग—अलग लिख दिया। साथ ही उन्होंने उन आदेशों को प्रत्येक कबीले के लोगों की भाषा में भी लिख दिया। उन्होंने राजा के मुखियाओं, विभिन्न प्रांतों के राज्यपालों अलग अलग कबीलों के मुखियाओं के नाम पत्र लिख दिये। ये पत्र उन्होंने स्वयं महाराजा क्षयर्ष की ओर से लिखे थे और आदेशों को स्वयं महाराजा की अपनी अंगूठी से अंकित किया गया था। Hindi Holy Bible यों उसी पहिले महीने के तेरहवें दिन को राजा के लेखक बुलाए गए, और हामान की आज्ञा के अनुसार राजा के सब अधिपतियों, और सब प्रान्तों के प्रधानों, और देश देश के लोगों के हाकिमों के लिये चिट्ठियां, एक एक प्रान्त के अक्षरों में, और एक एक देश के लोगों की भाषा में राजा क्षयर्ष के नाम से लिखी गई; और उन में राजा की अंगूठी की छाप लगाई गई। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यों उसी पहले महीने के तेरहवें दिन को राजा के लेखक बुलाए गए, और हामान की आज्ञा के अनुसार राजा के सब अधिपतियों, और सब प्रान्तों के प्रधानों, और देश देश के लोगों के हाकिमों के लिये चिट्ठियाँ, एक एक प्रान्त के अक्षरों में, और एक एक देश के लोगों की भाषा में राजा क्षयर्ष के नाम से लिखी गईं; और उनमें राजा की अँगूठी की छाप लगाई गई। सरल हिन्दी बाइबल तब प्रथम महीने की तेरहवीं तिथि पर राजा के लेखकों को आमंत्रित किया गया और हामान द्वारा दी गयी राजाज्ञा सारे साम्राज्य के हर एक राज्य के हाकिमो एवं राज्यपालों के नाम तथा प्रजा पर नियुक्त अधिकारियों के लिए उसी राज्य की भाषा एवं अक्षर में लिखवा दी गई. यह राजाज्ञा अहषवेरोष के नाम में लिख दी गई थी. तथा इस पर राजा की राजमुद्रा की मोहर लगा दी गई थी. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 फिर उसी पहले महीने के तेरहवें दिन को राजा के लेखक बुलाए गए, और हामान की आज्ञा के अनुसार राजा के सब अधिपतियों, और सब प्रान्तों के प्रधानों, और देश-देश के लोगों के हाकिमों के लिये चिट्ठियाँ, एक-एक प्रान्त के अक्षरों में, और एक-एक देश के लोगों की भाषा में राजा क्षयर्ष के नाम से लिखी गईं; और उनमें राजा की मुहर वाली अंगूठी की छाप लगाई गई। |
ईजेबेल ने राजा अहाब के नाम में पत्र लिखे। उसने उन पर अहाब की मुहर लगाई। तत्पश्चात् ईजेबेल ने पत्रों को नाबोत के नगर में रहने वाले धर्मवृद्धों और अभिजात वर्ग के लोगों के पास भेजा।
एज्रा तथा उसके सहयोगियों ने सम्राट का आज्ञा-पत्र फरात नदी के पश्चिम क्षेत्र के राज्यपालों तथा सम्राट के क्षत्रपों को सौंप दिया। इस प्रकार उन्होंने इस्राएली कौम की मदद की तथा परमेश्वर के भवन की देखरेख में सहायता की।
उसने अपने अधीन सब प्रदेशों को, उनकी लिपि में, और वहां के निवासियों की भाषा में राजपत्र भेजे, जिनमें यह आदेश लिखा था: “प्रत्येक पुरुष अपने घर में स्वामी होगा, और उसकी आज्ञा सर्वोच्च होगी।”
और उससे यह कहा, ‘यह चान्दी और यह कौम मैंने तुम्हें दी। तुम्हें जो भला लगे, तुम उनके साथ करो।’
सम्राट ने अपनी अंगुली से मुहर अंकित करने वाली अंगूठी उतारी, और मोरदकय को दे दी। सम्राट ने यह अंगूठी हामान से वापस ले ली थी। एस्तर ने मोरदकय को हामान की जागीर का प्रबन्धक नियुक्त किया।
यहूदियों ने यह निश्चय किया कि वे स्वयं, तथा उनके वंशज एवं नवदीिक्षत यहूदी मोरदकय के पत्रानुसार प्रति वर्ष निर्धारित दो दिनों तक पर्व मनाएंगे और पर्व मनाने में कभी नहीं चूकेंगे।
महाराज, आपने राजाज्ञा दी थी कि प्रत्येक व्यक्ति नरसिंगे, बांसुरी, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई तथा अन्य सब प्रकार के वाद्ययन्त्रों का स्वर सुनते ही स्वर्ण-मूर्ति के सम्मुख गिर कर उसके प्रति सम्मान प्रकट करेगा;
अत: वे सम्राट दारा के पास आए, और उन्होंने निषेधाज्ञा के सम्बन्ध में उसके सामने कहा, ‘महाराज, क्या आपने निषेधाज्ञा-पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किया था कि जो व्यक्ति तीस दिन की अवधि के दौरान आपके अतिरिक्त किसी देवता अथवा मनुष्य से विनती करेगा, तो वह सिंहों की मांद में डाला जाएगा?’ सम्राट ने उत्तर दिया, ‘मादी और फारसी संविधान के अनुसार यह निषेधाज्ञा पक्की है, और उसमें न परिवर्तन हो सकता है, और न उसको रद्द किया जा सकता है।’
तब अध्यक्ष और क्षत्रप जो एक मत हो गए थे सम्राट दारा के पास फिर आए। उन्होंने सम्राट से कहा, ‘महाराज, स्मरण रखिए: मादी और फारसी संविधान का यह कानून है: राजा द्वारा ठहराए गए अध्यादेश अथवा निषेधाज्ञा में न परिवर्तन हो सकता है और न उसको रद्द किया जा सकता है।’
सम्राट दारा ने अपने साम्राज्य के अन्तर्गत पृथ्वी की सब कौमों, राष्ट्रों और भाषाओं के लोगों को यह परिपत्र लिखा : ‘तुम्हारी सुख-समृद्धि दिन दूनी रात चौगुनी बढ़े!
अब, महाराज, इस निषेधाज्ञा को पक्का कर दीजिए और इस पत्र पर हस्ताक्षर कर दीजिए, जिससे, मादी और फारसी संविधान के अनुसार उसमें न परिवर्तन हो सकता है और न उसको रद्द ही किया जा सकता है।’