13 आदेश-पत्र साम्राज्य के सब प्रदेशों में हरकारों के द्वारा भेज दिए गए। पत्र में यह लिखा था: ‘अदार नामक बारहवें महीने के तेरहवें दिन सब यहूदियों का, जवान और बूढ़ों, बच्चों और स्त्रियों का वध कर दिया जाए और उनकी धन-सम्पत्ति को लूट लिया जाए।’
13 संदेशवाहक राजा के विभिन्न प्रांतों में उन पत्रों को ले गये। इन पत्रों में सभी यहूदियों के सम्पूर्ण विनाश, हत्या और बर्बादी के राज्यादेश थे। इसका आशा था कि युवा, वृद्ध, स्त्रियाँ और नन्हें बच्चे तक समाप्त कर दिये जायें। आज्ञा यह थी कि सभी यहूदियों को बस एक ही दिन मौत के घाट उतार दिया जाये। वह दिन था अदार नाम के बारहवें महीने की तेरहवीं तारीख़ को था और यह आदेश भी दिया गया था कि यहूदियों के पास जो कुछ भी हो, उसे ले लिया जाये।
13 और राज्य के सब प्रान्तों में इस आशय की चिट्ठियां हर डाकियों के द्वारा भेजी गई कि एक ही दिन में, अर्थात अदार नाम बारहवें महीने के तेरहवें दिन को, क्या जवान, क्या बूढ़ा, क्या स्त्री, क्या बालक, सब यहूदी विध्वंसघात और नाश किए जाएं; और उनकी धन सम्मत्ति लूट ली जाए।
13 राज्य के सब प्रान्तों में इस आशय की चिट्ठियाँ हरकारों के द्वारा भेजी गईं कि एक ही दिन में, अर्थात् अदार नामक बारहवें महीने के तेरहवें दिन को, क्या जवान, क्या बूढ़ा, क्या स्त्री, क्या बालक, सब यहूदी मार डाले जाएँ, नष्ट किए जाएँ और उनका सत्यानाश किया जाए; और उनकी धन सम्पत्ति लूट ली जाए।
13 ये चिट्ठी सारे साम्राज्य के हर एक राज्य को चिट्ठी संदेशवाहकों द्वारा दी गई थी. इनमें संदेश यह था: यहूदियों का संहार हो, उन्हें नष्ट कर दो, उन सभी का अस्तित्व ही समाप्त कर दो, चाहे युवा हों, वृद्ध हों, स्त्रियां हों, अथवा बालक हों, यह एक ही दिन में पूरा हो, बारहवें महीने अदार की तेरहवीं तिथि पर. इसी दिन उनकी संपत्ति भी लूट ली जाए.
13 राज्य के सब प्रान्तों में इस आशय की चिट्ठियाँ हर डाकियों के द्वारा भेजी गई कि एक ही दिन में, अर्थात् अदार नामक बारहवें महीने के तेरहवें दिन को, क्या जवान, क्या बूढ़ा, क्या स्त्री, क्या बालक, सब यहूदी घात और नाश किए जाएँ; और उनकी धन-सम्पत्ति लूट ली जाए।
अत: सन्देशवाहक राजा हिजकियाह तथा उसके उच्चाधिकारियों के पत्र लेकर समस्त इस्राएल और यहूदा प्रदेशों में गए। राजा हिजकियाह ने पत्र में यह लिखा था : ‘ओ इस्राएली राष्ट्र के लोगो, तुम जो असीरिया देश के राजाओं के हाथ से बच गए हो, अपने पूर्वजों, अब्राहम, इसहाक और इस्राएल के प्रभु परमेश्वर के पास लौटो, ताकि वह तुम्हारी ओर पुन: लौटे।
हमारा विनाश करने के लिए, हमारा वध करने के लिए, हमारा नामोनिशान मिटा डालने के लिए मुझे और मेरी कौम को बेच दिया गया है। अगर हमें केवल गुलाम के रूप में बेचा जाता तो मैं चुप रहती। उस स्थिति में हमारी बिक्री से महाराज को हानि के स्थान पर लाभ ही होता।’
एस्तर उठी, और वह सम्राट के सम्मुख खड़ी हुई। उसने सम्राट से कहा, ‘महाराज, यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं, और यदि आप उचित समझें, और इस प्रस्ताव को ठीक समझें, और यदि मैं आपको अच्छी लगती हूँ तो जो आदेश-पत्र यहूदियों का विनाश करने के लिए अगागी वंशीय हामान बेन-हम्मदाता ने महाराज के लिए लिखे थे, उन पत्रों को रद्द करने के लिए महाराज नई आज्ञा प्रसारित करें।
अदार नामक बारहवें महीने का तेरहवां दिन आया। इस दिन सम्राट क्षयर्ष की राजाज्ञा और आदेश-पत्र के अनुसार कार्य होना था। यहूदी कौम के शत्रु आशा कर रहे थे कि वे आज यहूदियों पर अधिकार कर लेंगे। लेकिन पासा पलट गया था, और स्वयं यहूदी अपने विरोधियों पर अधिकार जमा लेने वाले थे।
अत: यहूदियों ने अपने शत्रुओं को तलवार से मौत के घाट उतार दिया। उन्होंने उनका संहार और सर्वनाश किया। उन्होंने अपने बैरियों से, जो उनसे घृणा करते थे, मनमाना व्यवहार किया।
मैंने तुझे एक भक्तिहीन राष्ट्र को दण्ड देने के लिए भेजा; मेरा क्रोध भड़कानेवाली जाति को लूटने, उसकी सम्पत्ति का अपहरण करने, गली की कीचड़ की तरह उसे रौंदने के लिए तुझे भेजा।’
एक हरकारा दूसरे हरकारे को, एक सन्देशवाहक दूसरे सन्देशवाहक को यह सन्देश दे रहा है, “जाओ, महाराज को यह खबर दो : बेबीलोन नगर चारों ओर से घेर लिया गया है।
अब, जा और अमालेकी जाति को नष्ट कर दे। उसकी समस्त माल-सम्पत्ति निषिद्ध समझकर पूर्णत: नष्ट कर देना। स्त्री-पुरुष, बाल-वृद्ध, दूध पीने वाले बच्चे, गाय-बैल, भेड़-बकरी, ऊंट-गधे, इन सब का वध कर देना। इनमें से किसी को जीवित मत रहने देना।’
शाऊल ने पुरोहितों के नगर, नोब नगर को तलवार से नष्ट कर दिया। उसने नगर के स्त्री-पुरुष, बालक-बालिकाओं, दूध पीनेवाले शिशुओं को, गाय-बैल, गधों, भेड़-बकरियों को तलवार से मौत के घाट उतार दिया।