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दानिय्येल 6:15 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

15 तब अध्‍यक्ष और क्षत्रप जो एक मत हो गए थे सम्राट दारा के पास फिर आए। उन्‍होंने सम्राट से कहा, ‘महाराज, स्‍मरण रखिए: मादी और फारसी संविधान का यह कानून है: राजा द्वारा ठहराए गए अध्‍यादेश अथवा निषेधाज्ञा में न परिवर्तन हो सकता है और न उसको रद्द किया जा सकता है।’

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पवित्र बाइबल

15 इसके बाद वे लोग झुण्ड बना कर राजा के पास पहुँचे। उन्होंने राजा से कहा, “हे राजन, मादियों और फ़ारसियों की व्यवस्था के अनुसार जिस नियम अथवा आदेश पर राजा हस्ताक्षर कर दे, वह न तो कभी बदला जा सकता है और न ही कभी मिटाया जा सकता है।”

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Hindi Holy Bible

15 तब वे पुरूष राजा के पास उतावली से आकर कहने लगे, हे राजा, यह जान रख, कि मादियों और फारसियों में यह व्यवस्था है कि जो जो मनाही वा आज्ञा राजा ठहराए, वह नहीं बदल सकती॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

15 तब वे पुरुष राजा के पास उतावली से आकर कहने लगे, “हे राजा, यह जान रख कि मादियों और फ़ारसियों में यह व्यवस्था है कि जो जो निषेधाज्ञा या आज्ञा राजा ठहराए, वह नहीं बदल सकती।”

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सरल हिन्दी बाइबल

15 तब लोग एक दल के रूप में राजा दारयावेश के पास गये और उन्होंने उनसे कहा, “हे महाराज, आप यह बात याद रखें कि मेदिया और फ़ारसी कानून के अनुसार राजा के द्वारा दिया गया कोई भी फैसला या राजाज्ञा बदली नहीं जा सकती.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

15 तब वे पुरुष राजा के पास उतावली से आकर कहने लगे, “हे राजा, यह जान रख, कि मादियों और फारसियों में यह व्यवस्था है कि जो-जो मनाही या आज्ञा राजा ठहराए, वह नहीं बदल सकती।”

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दानिय्येल 6:15
4 क्रॉस रेफरेंस  

अब तुम यह कार्य करो : तुम यहूदियों के विषय में जो उचित समझते हो, वह मेरे नाम से लिखो। लिखने के बाद पत्र पर मेरी अंगूठी से मुहर लगा देना; क्‍योंकि जो आदेश-पत्र सम्राट के नाम से लिखा जाता है और जिस पर सम्राट की अंगूठी की मुहर लगाई जाती है, वह कभी रद्द नहीं हो सकता।’


अत: वे सम्राट दारा के पास आए, और उन्‍होंने निषेधाज्ञा के सम्‍बन्‍ध में उसके सामने कहा, ‘महाराज, क्‍या आपने निषेधाज्ञा-पत्र पर हस्‍ताक्षर नहीं किया था कि जो व्यक्‍ति तीस दिन की अवधि के दौरान आपके अतिरिक्‍त किसी देवता अथवा मनुष्‍य से विनती करेगा, तो वह सिंहों की मांद में डाला जाएगा?’ सम्राट ने उत्तर दिया, ‘मादी और फारसी संविधान के अनुसार यह निषेधाज्ञा पक्‍की है, और उसमें न परिवर्तन हो सकता है, और न उसको रद्द किया जा सकता है।’


अब, महाराज, इस निषेधाज्ञा को पक्‍का कर दीजिए और इस पत्र पर हस्‍ताक्षर कर दीजिए, जिससे, मादी और फारसी संविधान के अनुसार उसमें न परिवर्तन हो सकता है और न उसको रद्द ही किया जा सकता है।’


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