अत: यहूदा और बिन्यामिन कुलों के सब पुरुष तीन दिन की अवधि में यरूशलेम में एकत्र हो गए। यह नौवां महीना और महीने की बीसवीं तारीख थी। सब लोग परमेश्वर के भवन के सामने चौक में बैठे हुए थे। घनघोर वर्षा हो रही थी। प्रस्तुत मामले के डर के कारण तथा मूसलाधार वर्षा के कारण सब कांप रहे थे।
एज्रा के अतिरिक्त कुछ इस्राएली, कुछ पुरोहित और उप-पुरोहित, गायक, द्वारपाल और मन्दिर-सेवक भी सम्राट अर्तक्षत्र के राज्य-काल के सातवें वर्ष में बेबीलोन से यरूशलेम नगर को गए।
उसने उस वर्ष के पहले महीने की पहली तारीख को बेबीलोन से प्रस्थान किया था, और वह पांचवें महीने की पहली तारीख को यरूशलेम नगर पहुंचा था; क्योंकि प्रभु परमेश्वर की कृपा-दृष्टि उस पर थी।
हम गुलाम हैं, पर गुलामी में भी, हे परमेश्वर, तूने हमें नहीं छोड़ा, वरन् फारस के सम्राट के सम्मुख तूने हम पर करुणा की, और हमें गुलामी से कुछ समय के लिए मुक्त किया ताकि हम तेरे भवन को पुन: खड़ा कर सकें, उसके खण्डहरों की मरम्मत कर सकें। हे परमेश्वर, तूने हमें यहूदा प्रदेश और यरूशलेम में हमारे सिर के ऊपर एक छत प्रदान की।
दानिएल, इसलिए तू यह बात जान और इसको समझ कि जिस क्षण यरूशलेम नगर के पुनर्निर्माण और उसको पुन: बसाने की आज्ञा प्रसारित की जाएगी, उस समय से लेकर ‘अभिषिक्त’, जो “नेता’ भी है, के आगमन के समय तक वर्षों के सात सप्ताह होंगे। तब वर्षों के बासठ सप्ताहों तक संकट काल आएगा। इस संकट-काल में नगर पुन: निर्मित होगा। उसके चौक पुन: बनेंगे और खाई फिर खोदी जाएगी।