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उत्पत्ति 27:41 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

उस आशीर्वाद के कारण जिसे उसके पिता ने याकूब को दिया था, एसाव याकूब से घृणा करने लगा। एसाव ने अपने मन में कहा, ‘पिता के मृत्‍यु-शोक दिवस निकट हैं। उसके बाद मैं अपने भाई की हत्‍या करूँगा।’

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पवित्र बाइबल

इसके बाद इस आशीर्वाद के कारण एसाव याकूब से घृणा करता रहा। एसाव ने मन ही मन सोचा, “मेरा पिता जल्दी ही मरेगा और मैं उसका शोक मनाऊँगा। लेकिन उसके बाद मैं याकूब को मार डालूँगा।”

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Hindi Holy Bible

ऐसाव ने तो याकूब से अपने पिता के दिए हुए आशीर्वाद के कारण बैर रखा; सो उसने सोचा, कि मेरे पिता के अन्तकाल का दिन निकट है, फिर मैं अपने भाई याकूब को घात करूंगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

एसाव ने तो याक़ूब से अपने पिता के दिए हुए आशीर्वाद के कारण बैर रखा; और उसने सोचा, “मेरे पिता के अन्तकाल का दिन निकट है, फिर मैं अपने भाई याक़ूब को घात करूँगा।”

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नवीन हिंदी बाइबल

एसाव ने उस आशीर्वाद के कारण याकूब से बैर रखा जो उसके पिता ने याकूब को दिया था। एसाव ने अपने मन में कहा, “मेरे पिता की मृत्यु के बाद जब विलाप के दिन समाप्‍त हो जाएँगे, तब मैं अपने भाई याकूब को मार डालूँगा।”

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सरल हिन्दी बाइबल

एसाव अपने भाई याकोब से नफ़रत करने लगा और मन में ऐसा सोचने लगा, “पिता की मृत्यु शोक के दिन नज़दीक है, उनके बाद मैं याकोब की हत्या कर दूंगा.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

एसाव ने तो याकूब से अपने पिता के दिए हुए आशीर्वाद के कारण बैर रखा; और उसने सोचा, “मेरे पिता के अन्तकाल का दिन निकट है, फिर मैं अपने भाई याकूब को घात करूँगा।”

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उत्पत्ति 27:41
34 क्रॉस रेफरेंस  

जब रिबका को उसके ज्‍येष्‍ठ पुत्र एसाव की ये बातें बताई गईं तब उसने सेवक भेजकर अपने कनिष्‍ठ पुत्र याकूब को बुलाया। रिबका ने उससे कहा, ‘देख, तेरा भाई एसाव तुझे मार डालने के लिए अपने हृदय को धैर्य बंधा रहा है।


कृपया मुझे मेरे भाई एसाव के हाथ से मुक्‍त कर। मैं उससे डरता हूँ। ऐसा न हो कि वह आकर हम सब को, बच्‍चों समेत माताओं को मार डाले।


याकूब ने घर पहुँचने के पूर्व अपने भाई एसाव के पास एदोम के मैदान अर्थात् सेईर देश में अपने दूत भेजे।


दूत याकूब के पास लौट आए। अन्‍होंने कहा, ‘हम आपके भाई एसाव के पास गए थे। वह आपसे भेंट करने आ रहे हैं। उनके साथ चार सौ पुरुष हैं।


तब उन्‍होंने अन्‍तिम सांस ली, और प्राण त्‍याग दिया। वह वृद्ध और पूर्ण आयु भोग कर अपने मृत पूर्वजों में जा कर मिल गए। उनके पुत्र एसाव और याकूब ने उन्‍हें गाड़ा।


भाइयों ने उसे दूर से देखा। उसके निकट आने के पूर्व ही उन्‍होंने उसकी हत्‍या करने का षड्‍यन्‍त्र रचा।


जब यूसुफ के भाइयों ने देखा कि उनके पिता सब भाइयों की अपेक्षा यूसुफ से अधिक प्रेम करते हैं, तब वे उससे घृणा करने लगे! वे उससे शान्‍ति-पूर्वक बातें भी नहीं करते थे।


भाइयों ने यूसुफ से कहा, ‘क्‍या तू हम पर शासन करेगा? क्‍या तू निश्‍चय ही हम पर राज्‍य करेगा?’ अतएव वे यूसुफ के स्‍वप्‍न और उसकी बातों के कारण उससे अत्‍यधिक घृणा करने लगे।


जब यूसुफ के भाइयों ने देखा कि उनके पिता की मृत्‍यु हो चुकी है तब कहने लगे, ‘अब कदाचित् यूसुफ हमसे घृणा करेगा। हमसे उन सब बुराइयों का बदला लेगा, जो हमने उससे की थीं।’


यूसुफ ने अपने कर्मचारियों, वैद्यों को आदेश दिया कि वे उसके पिता के शव पर मसाले का लेप लगाएँ। वैद्यों ने शव पर मसाले का लेप लगाया।


अत: उसके सेवकों ने उसे रथ से उतारा, और दूसरे रथ पर चढ़ा कर ले गए। वे उसको यरूशलेम नगर में लाए। वहां उसका देहान्‍त हो गया। वह अपने पूर्वजों के कब्रिस्‍तान में गाड़ा गया। समस्‍त यहूदा प्रदेश तथा यरूशलेम के निवासियों ने उसके लिए शोक मनाया।


प्रभु, मेरी आत्‍मा मूर्छित होती है, पर तू मेरे आचरण को जानता है। जिस मार्ग पर मैं चलता हूं, वहां मेरे शत्रुओं ने मेरे लिए फन्‍दा लगाया है।


मेरी यह भावना थी मानो वह मेरा आत्‍मीय हो, मेरा भाई हो। मैंने सिर झुकाकर मातृशोक जैसा विलाप किया था।


समस्‍त दुर्जनों की समृद्धि से धार्मिक मनुष्‍य का अल्‍पांश श्रेष्‍ठ है।


वे दुष्‍कर्म करने को दौड़ते हैं; वे हत्‍या करने को शीघ्रता करते हैं।


नाराज भाई को मनाना सुदृढ़ नगर पर जय प्राप्‍त करने के सदृश कठिन है। भाइयों का लड़ाई-झगड़ा महल की अर्गआओं के समान है।


वह कुटिल हृदय से बुरी योजनाएं गढ़ता है; वह निरन्‍तर लड़ाई-झगड़ा उत्‍पन्न करता है।


तुरन्‍त क्रुद्ध मत हो, क्‍योंकि क्रोध का वास-स्‍थान मूर्ख का हृदय है।


‘तू सदा से इस्राएलियों के साथ शत्रुता रखता रहा है। जब वे अपने अधर्म के कारण संकट में पड़े हुए थे और उनके अन्‍तिम दण्‍ड का समय आ गया था, तब तूने तलवार से उनको मारा था।


इस्राएली समाज ने मोआब के मैदान में मूसा के लिए तीस दिन तक शोक मनाया। उसके बाद उसके मृत्‍यु-शोक और विलाप के दिन समाप्‍त हुए।


क्‍योंकि हम भी तो पहले नासमझ, अवज्ञाकारी, भटके हुए, हर प्रकार की वासनाओं और भोगों के वशीभूत थे। हम विद्वेष और ईष्‍र्या में जीवन बिताते थे। हम घृणित थे और एक दूसरे से बैर करते थे।