‘मित्रो, ये सब तो परमेश्वर के अति साधारण कार्य हैं! हम-मनुष्य उसके महान कार्यों की एक झलक ही देख पाते हैं; उसके महासामर्थ्य की थाह कौन पा सकता है?’
उत्पत्ति 1:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) पृथ्वी आकार-रहित और सुनसान थी। अथाह सागर के ऊपर अन्धकार था। जल की सतह पर परमेश्वर का आत्मा मंडराता था। पवित्र बाइबल पृथ्वी बेडौल और सुनसान थी। धरती पर कुछ भी नहीं था। समुद्र पर अंधेरा छाया था और परमेश्वर की आत्मा जल के ऊपर मण्डराती थी। Hindi Holy Bible और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी, और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था; तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डराता था। नवीन हिंदी बाइबल पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी, और अथाह जल के ऊपर अंधियारा था, और परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मंडराता था। सरल हिन्दी बाइबल पृथ्वी बिना आकार के तथा खाली थी, और पानी के ऊपर अंधकार था तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मंडरा रहा था. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी, और गहरे जल के ऊपर अंधियारा था; तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डराता था। (2 कुरि. 4:6) |
‘मित्रो, ये सब तो परमेश्वर के अति साधारण कार्य हैं! हम-मनुष्य उसके महान कार्यों की एक झलक ही देख पाते हैं; उसके महासामर्थ्य की थाह कौन पा सकता है?’
जब मैंने उसको बादलों का वस्त्र पहनाया था, और उसको लपेटने के लिए घोर-अन्धकार की पटियां बनाई थीं,
जब तू अपना आत्मा भेजता है, तब वे उत्पन्न किए जाते हैं; तू धरती की सतह को नया करता है।
आकाश-मण्डल प्रभु के वचन से और उसकी समस्त स्वर्गिक सेना, उसके मुंह की सांस से निर्मित हुई।
जैसे पक्षी अपने घोंसले के चारों ओर मंडराकर अपने बच्चों की रक्षा करते हैं, वैसे ही मैं-स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यरूशलेम नगर की रक्षा करूंगा। मैं यरूशलेम की रक्षा कर उसको मुक्त करूंगा; मैं उसको नष्ट न होने दूंगा, मैं उसको बचाऊंगा।
आकाश का स्रष्टा (वह परमेश्वर है!), पृथ्वी को आकार देनेवाला और बनानेवाला प्रभु यों कहता है: (उसने ही पृथ्वी को स्थिर किया है, उसने उसको इसलिए नहीं रचा कि वह निर्जन रहे, उसने उसे आबाद करने के लिए बनाया है।) ‘मैं ही प्रभु हूं, मुझे छोड़ दूसरा कोई प्रभु नहीं है।
मैंने पृथ्वी को देखा, वह उजाड़ और निर्जन पड़ी थी। मैंने आकाश की ओर दृष्टि की, वहां पूर्ण अन्धकार था।
नीनवे महानगर उजड़ गया। विध्वंस और विनाश! हृदय डूब रहा है, घुटने कांप रहे हैं। कमर टूट गई; चेहरे पीले पड़ गए।
परमेश्वर ने आदेश दिया था कि “अन्धकार में प्रकाश हो जाये।” उसी ने हमारे हृदय को अपनी ज्योति से आलोकित कर दिया है, जिससे हम परमेश्वर का वह तेज जान जायें, जो येशु मसीह के मुखमण्डल पर चमकता है।
जैसे गरुड़ अपने घोंसले की चौकसी करता है, अपने बच्चों के ऊपर मंडराता है, अपने पंख फैलाकर उनको पकड़ता है, उनको अपने परों पर उठा लेता है,