“तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जिससे जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसमें तू बहुत दिनों तक जीवित रहे।
मत्ती 15:4 - नवीन हिंदी बाइबल क्योंकि परमेश्वर ने कहाहै : अपने पिता और अपनी माता का आदर करऔर जो अपने पिता या माता को बुरा कहे वह निश्चय मार डाला जाए। पवित्र बाइबल क्योंकि परमेश्वर ने तो कहा था ‘तू अपने माता-पिता का आदर कर’ और ‘जो कोई अपने पिता या माता का अपमान करता है, उसे अवश्य मार दिया जाना चाहिये।’ Hindi Holy Bible क्योंकि परमेश्वर ने कहा था, कि अपने पिता और अपनी माता का आदर करना: और जो कोई पिता या माता को बुरा कहे, वह मार डाला जाए। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) परमेश्वर ने कहा : ‘अपने पिता और अपनी माता का आदर करो, और जो अपने पिता या अपनी माता को बुरा कहे, उसे प्राण-दण्ड दिया जाए।’ पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) क्योंकि परमेश्वर ने कहा है, ‘अपने पिता और अपनी माता का आदर करना’, और ‘जो कोई पिता या माता को बुरा कहे, वह मार डाला जाए।’ सरल हिन्दी बाइबल परमेश्वर की आज्ञा है, ‘अपने माता-पिता का सम्मान करो’ और वह, जो माता या पिता के प्रति बुरे शब्द बोले, उसे मृत्यु दंड दिया जाए. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्योंकि परमेश्वर ने कहा, ‘अपने पिता और अपनी माता का आदर करना’, और ‘जो कोई पिता या माता को बुरा कहे, वह मार डाला जाए।’ |
“तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जिससे जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसमें तू बहुत दिनों तक जीवित रहे।
अपने पिता की सुनना जिसने तुझे उत्पन्न किया है, और जब तेरी माता बूढ़ी हो जाए तो उसे तुच्छ न जानना।
जो आँख अपने पिता की हँसी उड़ाती है, और माता की आज्ञा मानने को तुच्छ जानती है, उस आँख को तराई के कौए नोच नोचकर निकालेंगे, और गिद्ध के बच्चे खा जाएँगे।
तुममें से प्रत्येक अपने माता-पिता का आदर करे, और मेरे विश्रामदिनों को माने; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
“जो कोई अपने पिता या अपनी माता को शाप दे, वह निश्चय मार डाला जाए। उसने अपने पिता या अपनी माता को शाप दिया है, उसका लहू उसी के सिर पर पड़ेगा।
इस पर उसने उनसे कहा,“तुम भी अपनी परंपरा के लिए परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन क्यों करते हो?
परंतु तुम कहते हो ‘जो कोई अपने पिता या अपनी माता से कहे, “जो कुछ तुम्हें मुझसे मिलना था वह परमेश्वर को अर्पित है,”
तब यीशु ने उससे कहा,“हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है : तू अपने प्रभु परमेश्वर को दंडवत् कर और केवल उसी की सेवा कर।”
तो क्या विश्वास के द्वारा हम व्यवस्था को व्यर्थ ठहराते हैं? कदापि नहीं! बल्कि हम व्यवस्था को सुदृढ़ करते हैं।