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रोमियों 3:31 - नवीन हिंदी बाइबल

31 तो क्या विश्‍वास के द्वारा हम व्यवस्था को व्यर्थ ठहराते हैं? कदापि नहीं! बल्कि हम व्यवस्था को सुदृढ़ करते हैं।

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पवित्र बाइबल

31 सो क्या, हम विश्वास के आधार पर व्यवस्था को व्यर्थ ठहरा रहे है? निश्चय ही नहीं। बल्कि हम तो व्यवस्था को और अधिक शक्तिशाली बना रहे हैं।

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Hindi Holy Bible

31 तो क्या हम व्यवस्था को विश्वास के द्वारा व्यर्थ ठहराते हैं? कदापि नहीं; वरन व्यवस्था को स्थिर करते हैं॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

31 तो, क्‍या हम इस विश्‍वास द्वारा व्‍यवस्‍था को रद्द करते हैं? कदापि नहीं! हम व्‍यवस्‍था की पुष्‍टि करते हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

31 तो क्या हम व्यवस्था को विश्‍वास के द्वारा व्यर्थ ठहराते हैं? कदापि नहीं! वरन् व्यवस्था को स्थिर करते हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

31 तो क्या हमारा विश्वास व्यवस्था को व्यर्थ ठहराता है? नहीं! बिलकुल नहीं! इसके विपरीत अपने विश्वास के द्वारा हम व्यवस्था को स्थिर करते हैं.

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रोमियों 3:31
27 क्रॉस रेफरेंस  

मैं परमेश्‍वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं ठहराता; क्योंकि यदि धार्मिकता व्यवस्था के द्वारा होती, तो मसीह का मरना व्यर्थ होता।


“यह न समझो कि मैं व्यवस्था या भविष्यवक्‍ताओं के लेखों को नष्‍ट करने आया हूँ; नष्‍ट करने नहीं, बल्कि उन्हें पूरा करने आया हूँ।


उनके लिए जो व्यवस्थारहित हैं, मैं—जो परमेश्‍वर की व्यवस्था से रहित नहीं बल्कि मसीह की व्यवस्था के अधीन हूँ—व्यवस्थारहित जैसा बना कि जो व्यवस्थारहित हैं उन्हें जीत सकूँ।


अब मसीह व्यवस्था का अंत है, ताकि प्रत्येक विश्‍वास करनेवाले को धार्मिकता प्राप्‍त हो।


ताकि हममें जो शरीर के अनुसार नहीं बल्कि आत्मा के अनुसार चलते हैं, व्यवस्था की माँग पूरी हो सके।


मैं व्यवस्था के द्वारा व्यवस्था के लिए मर गया कि मैं परमेश्‍वर के लिए जीऊँ।


हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्‍वर का धन्यवाद हो। इसलिए अब एक ओर तो मैं अपने मन से परमेश्‍वर की व्यवस्था की, और दूसरी ओर शरीर से पाप की व्यवस्था की सेवा करता हूँ।


क्योंकि मैं अपने भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्‍वर की व्यवस्था से प्रसन्‍न होता हूँ,


इसलिए यदि व्यवस्थावाले उत्तराधिकारी हैं, तो विश्‍वास व्यर्थ ठहरा और प्रतिज्ञा निष्फल हुई;


कदापि नहीं! चाहे प्रत्येक मनुष्य झूठा ठहरे, परंतु परमेश्‍वर सच्‍चा है, जैसा लिखा है : तू अपने वचनों में धर्मी ठहरे और अपने न्याय में विजयी हो।


तो उसे अपने माता-पिताका आदर करने की आवश्यकता नहीं।’ इस प्रकार तुमने अपनी परंपरा के लिए परमेश्‍वर के वचन को व्यर्थ ठहरा दिया।


क्योंकि मैं तुमसे कहता हूँ कि यदि तुम्हारी धार्मिकता शास्‍त्रियों और फरीसियों की धार्मिकता से बढ़कर न हो, तो तुम स्वर्ग के राज्य में कभी प्रवेश नहीं कर पाओगे।


इस पर यीशु ने उससे कहा,“अभी ऐसा ही होने दे, क्योंकि इस प्रकार सारी धार्मिकता को पूरा करना हमारे लिए उचित है।” तब उसने उसकी बात मान ली।


यह समय है कि यहोवा कार्य करे, क्योंकि लोगों ने तेरी व्यवस्था का उल्‍लंघन किया है।


हे मेरे परमेश्‍वर, मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्‍न होता हूँ। तेरी व्यवस्था मेरे हृदय में बसी है।”


वह आएगा और उन किसानों का नाश करेगा, और अंगूर का बगीचा दूसरों को दे देगा।” यह सुनकर उन्होंने कहा, “ऐसा कभी न हो।”


निर्बुद्धियों को सिखानेवाला, और बच्‍चों का शिक्षक है, क्योंकि तुझे व्यवस्था में ज्ञान और सत्य का स्वरूप मिला है,


कदापि नहीं! अन्यथा परमेश्‍वर जगत का न्याय कैसे करेगा?


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