न्याय के लिए प्रार्थनादाऊद का शिग्गायोन भजन, जो उसने बिन्यामीनी कूश की बातों के कारण यहोवा के सामने गाया था। 1 हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मैंने तेरी शरण ली है। उन सब से जो मेरा पीछा करते हैं, मुझे बचा और छुटकारा दे। 2 ऐसा न हो कि वे सिंह के समान मुझे फाड़कर टुकड़े-टुकड़े कर डालें; और मेरा कोई छुड़ानेवाला न हो। 3 हे मेरे परमेश्वर यहोवा, यदि मैंने यह किया हो, यदि मेरे हाथों से अधर्म हुआ हो, 4 यदि मैंने उनके साथ बुराई की हो जो मेरे साथ मेल रखते हैं, या मैंने उसे लूटा हो जो अकारण मेरा विरोधी था, 5 तो शत्रु मेरे प्राण का पीछा करके मुझे आ पकड़े, और मुझे भूमि पर रौंदे, और मेरे सम्मान को मिट्टी में मिला दे। सेला। 6 हे यहोवा, अपने क्रोध में उठ! क्रोध से भरे मेरे विरोधियों के विरुद्ध तू खड़ा हो जा! मेरे लिए जाग! तूने तो न्याय का आदेश दिया है। 7 देश-देश के लोगों की मंडली तेरे चारों ओर इकट्ठी हो; और तू उस पर ऊपर से राज्य करे। 8 यहोवा जाति-जाति का न्याय करता है। हे यहोवा, मेरी धार्मिकता और खराई के अनुसार मेरा न्याय कर। 9 भला हो कि दुष्टों की बुराई का अंत हो जाए, परंतु तू धर्मी को स्थिर कर; क्योंकि धर्मी परमेश्वर तो मन और हृदय का जाँचनेवाला है। 10 मेरी ढाल परमेश्वर के हाथ में है, जो सीधे मनवालों को बचाता है। 11 परमेश्वर धर्मी और न्यायी है; वह तो ऐसा ईश्वर है जो प्रतिदिन दुष्टों पर क्रोध करता है। 12 यदि मनुष्य मन न फिराए, तो परमेश्वर अपनी तलवार की धार पैनी करेगा। उसने अपना धनुष चढा़कर तीर साध लिया है; 13 उसने उसके लिए घातक हथियार तैयार कर लिए हैं; वह अपने तीरों को अग्निबाण बनाता है। 14 देख, दुष्ट को अनर्थ कार्य की प्रसव-पीड़ा हो रही है, उसके गर्भ में उत्पात है, और उससे झूठ का जन्म हुआ। 15 उसने गड्ढा खोदकर उसे गहरा किया, और जो खाई उसने बनाई थी उसमें वह आप ही गिर पड़ा। 16 उसका उत्पात वापस उसी के सिर पर आ पड़ेगा; और उसका उपद्रव उसी के माथे पर गिरेगा। 17 मैं यहोवा की धार्मिकता के अनुसार उसका धन्यवाद करूँगा, और परमप्रधान यहोवा के नाम का भजन गाऊँगा। |