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यूहन्ना 5:40 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

40 फिर भी तुम लोग जीवन प्राप्‍त करने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते।

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पवित्र बाइबल

40 फिर भी तुम जीवन प्राप्त करने के लिये मेरे पास नहीं आना चाहते।

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Hindi Holy Bible

40 फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

40 फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते।

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नवीन हिंदी बाइबल

40 फिर भी तुम मेरे पास आना नहीं चाहते कि तुम जीवन पाओ।

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सरल हिन्दी बाइबल

40 यह सब होने पर भी जीवन पाने के लिए तुम मेरे पास आना नहीं चाहते.

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यूहन्ना 5:40
23 क्रॉस रेफरेंस  

“किन्‍तु मेरी प्रजा ने मेरी वाणी नहीं सुनी; इस्राएल मेरा इच्‍छुक न था।


अपने सेवक से जिसको मनुष्‍य सर्वथा तुच्‍छ समझते हैं, जिससे राष्‍ट्र घृणा करते हैं, जो शासकों का गुलाम है, उससे प्रभु इस्राएल का मुक्‍तिदाता और उसका पवित्र परमेश्‍वर यों कहता है : ‘तुझे देखकर राजा अपने सिंहासन से खड़े हो जाएंगे, सामन्‍त तेरे सम्‍मुख भूमि पर लेटकर तुझे साष्‍टांग प्रणाम करेंगे, क्‍योंकि मैं-प्रभु ने, जो सच्‍चा परमेश्‍वर हूं, जो इस्राएल का पवित्र परमेश्‍वर हूं, तुझे मनोनीत किया है।’


क्‍या कारण है कि जब मैं आया तब वहां कोई मनुष्‍य नहीं था? जब मैं ने पुकारा तब क्‍यों मुझे उत्तर देनेवाला वहाँ नहीं था? क्‍या मेरा हाथ इतना छोटा हो गया कि वह छुड़ा नहीं सकता? क्‍या मुझ में उद्धार करने की शक्‍ति नहीं रही? देखो, मैं अपनी डांट से समुद्र को सुखा देता हूं, मैं नदियों को मरुस्‍थल बना देता हूं। उनकी मछलियाँ जल के अभाव में प्‍यास से तड़प कर मर जाती हैं, और बसाती हैं।


उसने उत्‍सव में आमन्‍त्रित लोगों को बुला लाने के लिए अपने सेवकों को भेजा, लेकिन अतिथि आना नहीं चाहते थे।


“ओ यरूशलेम नगरी! यरूशलेम नगरी! तू नबियों की हत्‍या करती है और अपने पास भेजे हुए संदेश-वाहकों को पत्‍थरों से मार डालती है। मैंने कितनी बार चाहा कि तेरी सन्‍तान को वैसे ही एकत्र कर लूँ, जैसे मुर्गी अपने बच्‍चों को अपने पंखों के नीचे एकत्र कर लेती है, परन्‍तु तूने मुझे यह करने नहीं दिया।


वह अपनों के पास आया और उसके अपने लोगों ने ही उसे नहीं अपनाया,


“चोर केवल चुराने, मारने और नष्‍ट करने आता है। मैं इसलिए आया हूँ कि वे जीवन प्राप्‍त करें− बल्‍कि प्रचुरता से जीवन प्राप्‍त करें।


दोषी ठहराने का कारण यह है कि ज्‍योति संसार में आयी है और मनुष्‍यों ने ज्‍योति की अपेक्षा अन्‍धकार को अधिक पसन्‍द किया, क्‍योंकि उनके कार्य बुरे थे।


“तुम लोग यह समझ कर धर्मग्रन्‍थ का अनुशीलन करते हो कि उस में तुम्‍हें शाश्‍वत जीवन का मार्ग मिलेगा। वही धर्मग्रन्‍थ मेरे विषय में साक्षी देता है।


“मैं मनुष्‍यों की ओर से सम्‍मान नहीं चाहता।


तुम लोग एक-दूसरे से सम्‍मान चाहते हो और उस सम्‍मान की खोज नहीं करते, जो एकमात्र परमेश्‍वर से प्राप्‍त होता है। तब तुम कैसे विश्‍वास कर सकते हो?


नश्‍वर भोजन के लिए नहीं, बल्‍कि उस भोजन के लिए परिश्रम करो, जो शाश्‍वत जीवन तक बना रहता है और जिसे मानव-पुत्र तुम्‍हें देगा; क्‍योंकि पिता परमेश्‍वर ने मानव-पुत्र पर अपनी स्‍वीकृति की मोहर लगाई है।”


पिता जिन्‍हें मुझ को सौंप देता है, वे सब मेरे पास आएँगे और जो मेरे पास आता है, मैं उसे कभी बाहर नहीं निकालूँगा;


मेरे पिता की इच्‍छा यह है कि जो पुत्र को देखे और उस में विश्‍वास करे, उसे शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त हो। मैं उसे अन्‍तिम दिन पुनर्जीवित कर दूँगा।”


क्‍योंकि पाप का वेतन मृत्‍यु है, किन्‍तु परमेश्‍वर का वरदान है हमारे प्रभु येशु मसीह में शाश्‍वत जीवन।


आत्‍मा तथा वधू, दोनों कहते हैं, “आइए।” जो सुनता है, वह उत्तर दे, “आइए।” जो प्‍यासा है, वह आये। जो चाहता है, वह उपहार में संजीवन जल ग्रहण करे।


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