उसी दिन राजा ने मध्यवर्ती आंगन को भी प्रभु की महिमा के लिए अर्पित किया। यह प्रभु-भवन के सामने था। प्रभु के सम्मुख की कांस्य वेदी छोटी थी। उस पर अग्नि-बलि, अन्न-बलि और सहभागिता-बलियों की चर्बी चढ़ाना सम्भव न था। इसलिए राजा ने मध्यवर्ती आंगन में अग्नि-बलि, अन्न-बलि और सहभागिता-बलियों की चर्बी चढ़ाई।
सादोक-वंशीय महापुरोहित अजर्याह ने उसको बताया, ‘महाराज, जबसे लोग प्रभु के भवन में भेंट लाने लगे हैं, तबसे हमें पर्याप्त भोजन प्राप्त होने लगा है। सच तो यह है कि वे इतनी अधिक भेंट चढ़ाते हैं, कि भरपेट खाने के बाद भी अत्यधिक बच जाता है। प्रभु ने अपने निज लोग इस्राएलियों पर आशिष की वर्षा की है। उसके कारण ही हमारे पास यह ढेर बच गया है।’
अतएव मूसा ने अपना यह आदेश समस्त पड़ाव में घोषित किया, ‘कोई पुरुष अथवा स्त्री पवित्र-स्थान के लिए अब और भेंट न लाए।’ इस प्रकार लोग भेंट लाने से रोके गए;