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निर्गमन 36 - नवीन हिंदी बाइबल

1 “बसलेल, ओहोलीआब और सब कार्यकुशल लोग यहोवा की सारी आज्ञा के अनुसार पवित्रस्थान को बनाने का सब प्रकार का कार्य करें जिन्हें जानने की बुद्धि और समझ यहोवा ने उन्हें दी है।”

2 तब मूसा ने बसलेल, ओहोलीआब और उन सब कुशल कारीगरों को बुलवाया जिन्हें यहोवा ने कार्यकुशल बनाया था, अर्थात् वे सब जिनके मनों ने उन्हें पास आकर काम करने के लिए उभारा था।

3 उन्होंने मूसा से वह सब भेंट ले ली जो इस्राएली पवित्रस्थान के निर्माण के लिए लाए थे। परंतु लोग प्रतिदिन भोर को उसके पास अपनी इच्छा से भेंट लाते ही रहे।

4 तब सब कुशल कारीगर जो पवित्रस्थान का सारा कार्य कर रहे थे, एक-एक करके अपना काम छोड़कर मूसा के पास आए,

5 और कहने लगे, “जिस कार्य को करने की आज्ञा यहोवा ने दी है, उसके लिए जितना कुछ चाहिए, लोग उससे अधिक ला रहे हैं।”

6 अतः मूसा ने यह आज्ञा दी, और उसकी घोषणा सारी छावनी में करवाई गई, “कोई पुरुष या स्‍त्री पवित्रस्थान के लिए और भेंट न लाए।” इस प्रकार लोगों को और भेंट लाने से रोका गया।

7 एकत्रित सामान सारा कार्य करने के लिए पर्याप्‍त था, बल्कि उससे कहीं अधिक ही था।


निवासस्थान का निर्माण

8 काम करनेवाले जितने कुशल कारीगर थे उन्होंने दस परदों से निवासस्थान बनाया। वे परदे बटे हुए महीन मलमल के नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़ों के बने थे, और उन पर कुशलता से करूबों की कढ़ाई की गई थी।

9 प्रत्येक परदे की लंबाई अट्ठाइस हाथ और चौड़ाई चार हाथ की थी। सब परदे एक ही नाप के थे।

10 बसलेल ने पाँच परदों को एक दूसरे से जोड़ दिया, और फिर शेष पाँच परदों को भी एक दूसरे से जोड़ दिया।

11 उसने पहले समूह के अंतिम परदे की छोर पर नीले रंग के छल्ले लगाए, और दूसरे समूह के पहले परदे की छोर पर भी उसने वैसा ही किया।

12 उसने पहले समूह के परदे की छोर पर पचास छल्ले लगाए, और दूसरे समूह के परदे की छोर पर भी पचास छल्ले लगाए। ये छल्ले एक दूसरे के आमने-सामने थे।

13 फिर उसने सोने के पचास आँकड़े बनाए और इन परदों को इन्हीं आँकड़ों द्वारा एक दूसरे से ऐसा जोड़ दिया कि निवासस्थान मिलकर एक हो गया।

14 उसने निवासस्थान के ऊपर तंबू के रूप में बकरी के बालों के परदे बनाए। उसने उनसे कुल ग्यारह परदे बनाए।

15 प्रत्येक परदे की लंबाई तीस हाथ और चौड़ाई चार हाथ की थी। ग्यारहों परदे एक ही नाप के थे।

16 उसने पाँच परदे अलग, और फिर छः परदे अलग जोड़े।

17 उसने पहले समूह के सब से बाहरवाले परदे की छोर पर पचास छल्ले लगाए, और पचास छल्ले ही दूसरे समूह के सब से पहलेवाले परदे की छोर पर लगाए।

18 उसने पीतल के पचास आँकड़े बनाए, और तंबू को ऐसा जोड़ दिया कि यह मिलकर एक हो जाए।

19 उसने तंबू के लिए लाल रंग से रंगी हुई मेढ़ों की खालों का एक आवरण और उसके ऊपर सुइसों की खालों का भी एक आवरण बनाया।

20 फिर उसने निवासस्थान के लिए बबूल की लकड़ी के सीधे खड़े तख़्ते बनाए।

21 प्रत्येक तख़्ते की लंबाई दस हाथ और चौड़ाई डेढ़ हाथ की थी।

22 प्रत्येक तख़्ते में एक दूसरे से जोड़ने के लिए दो-दो चूलें बनीं। उसने निवासस्थान के सब तख़्तों को इसी रीति से बनाया।

23 उसने निवासस्थान के लिए इस रीति से तख़्तों को बनाया : दक्षिण की ओर बीस तख़्ते;

24 और इन बीसों तख़्तों के नीचे उसने चाँदी के चालीस खांचे बनाए, अर्थात् प्रत्येक तख़्ते के नीचे उसके दो चूलों के लिए दो-दो खांचे।

25 निवासस्थान के दूसरी ओर, अर्थात् उत्तरी भाग के लिए उसने बीस तख़्ते बनाए;

26 उनके लिए भी उसने चाँदी के चालीस खांचे बनाए, अर्थात् प्रत्येक तख़्ते के नीचे दो-दो खांचे।

27 निवासस्थान के पीछे की ओर, अर्थात् पश्‍चिमी भाग के लिए उसने छः तख़्ते बनाए।

28 निवासस्थान के पिछले भाग के कोनों के लिए भी उसने दो तख़्ते बनाए।

29 ये नीचे से दो भागों में थे, और ऊपर से एक कड़े में जोड़े गए थे। उसने दोनों तख़्तों को दोनों कोनों के लिए इसी रीति से जोड़ा।

30 इस प्रकार आठ तख़्ते हुए और उनके चाँदी के सोलह खांचे हुए, अर्थात् प्रत्येक तख़्ते के नीचे दो-दो खांचे।

31 फिर उसने बबूल की लकड़ी की छड़ें बनाईं, अर्थात् निवासस्थान के एक ओर के तख़्तों के लिए पाँच छड़ें,

32 निवासस्थान के दूसरी ओर के तख़्तों के लिए पाँच छड़ें, और निवासस्थान के पीछे के पश्‍चिमी भाग के तख़्तों के लिए पाँच छड़ें बनाईं।

33 उसने बीचवाली छड़ को इस प्रकार बनाया कि वह तख़्तों के बीच में से होकर एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुँचे।

34 फिर उसने तख़्तों को सोने से मढ़ा, और छड़ों के आँकड़ों का काम देनेवाले उनके कड़ों को सोने का बनाया; और छड़ों को भी सोने से मढ़ा।

35 फिर उसने नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़ों और बटे हुए महीन मलमल का एक परदा बनाया; और उस पर करूबों के चित्र की कढ़ाई की।

36 उसने उसके लिए बबूल के चार खंभे बनाए और उन्हें सोने से मढ़ा; उनके कड़े सोने के थे, और उसने उनके लिए चाँदी के चार खांचे ढाले।

37 उसने तंबू के द्वार के लिए नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े और बटे हुए महीन मलमल का एक परदा बनाया जिस पर कढ़ाई का काम किया गया था,

38 और उसने उसके पाँच खंभे और उनके कड़े बनाए। उसने उनके सिरों तथा जोड़ने की पट्टियों को सोने से मढ़ा, परंतु उनके पाँच खांचे पीतल के थे।

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