अय्याह की पुत्री रिस्पाह ने मृत्यु-शोक प्रकट करने के लिए टाट का वस्त्र लिया और उसको एक चट्टान पर फैला दिया। वह फसल के आरम्भ से तब तक शवों के पास बैठी रही जब तक आकाश से उन पर वर्षा नहीं हुई। उसने दिन के समय शवों पर आकाश के पक्षियों को बैठने नहीं दिया। वह रात के समय जंगल के जानवरों को उनके पास फटकने नहीं देती थी।
अत: मैं उनको उन के शत्रुओं के हाथ में, उनके प्राण के ग्राहकों के हाथ में सौंप दूंगा। उनकी लोथें आकाश के पक्षियों और पृथ्वी के पशुओं का आहार बन जाएंगी।
‘ओ मानव-सन्तान, तू सोर नगर-राज्य के शासक से यों कह : स्वामी-प्रभु यों कहता है : “तेरा हृदय अहंकार से भरा है। तू कहता है कि तू ईश्वर है, और समुद्र के मध्य में, देवताओं के दरबार में उच्चासन पर बैठता है। नहीं, तू ईश्वर नहीं, बल्कि केवल मनुष्य है। तू अपने को ईश्वर के सदृश बुद्धिमान समझता है।
मैंने एक स्वर्गदूत को सूर्य में खड़ा देखा। उसने ऊंचे स्वर से पुकारते हुए मध्य आकाश में उड़ने वाले सब पक्षियों से कहा, “आओ और परमेश्वर के महाभोज के लिए एकत्र हो जाओ।
चौकी के सैनिकों ने योनातन और उसके शस्त्रवाहक को पुकारा, ‘ऊपर चढ़कर हमारे पास आओ। हम तुम्हें एक बात बताएँगे।’ योनातन ने अपने शस्त्रवाहक से कहा, ‘मेरे पीछे-पीछे ऊपर चढ़ो। प्रभु ने उन्हें इस्राएल के हाथ में सौंप दिया है।’
आज प्रभु तुझे मेरे हाथ में सौंप देगा। मैं तुझ पर प्रहार करूंगा। तेरे सिर को धड़ से अलग करूंगा। आज मैं तेरी लोथ और पलिश्ती पड़ाव के सैनिकों की लोथ आकाश के पक्षियों को और धरती के वन- पशुओं को खाने के लिए दूंगा। तब समस्त पृथ्वी को ज्ञात होगा कि इस्राएल का अपना परमेश्वर है।