उसके दूसरे दिन बड़ी बेटी ने छोटी से कहा, “कल रात मैं अपने पिता के साथ सोई थी. आ, आज रात उन्हें फिर दाखमधु पिलाएं, तब तुम जाकर उनके साथ सोना, ताकि हम अपने पिता के ज़रिये अपने परिवार के वंशक्रम को आगे बढ़ा सकें.”
यिर्मयाह 3:3 - सरल हिन्दी बाइबल तब वृष्टि अशुद्ध रखी गई है, वसन्त काल में वृष्टि हुई नहीं. फिर भी तुम्हारा माथा व्यभिचारी सदृश झलकता रहा; तुमने लज्जा को स्थान ही न दिया. पवित्र बाइबल तुमने पाप किये अत: वर्षा नहीं आई! बसन्त समय की कोई वर्षा नहीं हुई। किन्तु अभी भी तुम लज्जित होने से इन्कार करती हो। Hindi Holy Bible इसी कारण झडिय़ां और बरसात की पिछली वर्षा नहीं होती; तौभी तेरा माथा वेश्या का सा है, तू लज्जित होना ही नहीं जानती। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) अत: मैंने वर्षा रोक दी, वसंत ऋतु में होनेवाली वर्षा इस वर्ष नहीं हुई। फिर भी तुझे पाप की ग्लानि नहीं हुई। तेरी आंखों में व्यभिचार झलकता रहा! पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) इसी कारण झड़ियाँ और बरसात की पिछली वर्षा नहीं होती; तौभी तेरा माथा वेश्या का सा है, तू लज्जित होना ही नहीं जानती। इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 इसी कारण वर्षा रोक दी गई और पिछली बरसात नहीं होती; तो भी तेरा माथा वेश्या के समान है, तू लज्जित होना ही नहीं चाहती। |
उसके दूसरे दिन बड़ी बेटी ने छोटी से कहा, “कल रात मैं अपने पिता के साथ सोई थी. आ, आज रात उन्हें फिर दाखमधु पिलाएं, तब तुम जाकर उनके साथ सोना, ताकि हम अपने पिता के ज़रिये अपने परिवार के वंशक्रम को आगे बढ़ा सकें.”
उन्होंने आपकी आवाज को सुनना ही न चाहा. उन्होंने आपके द्वारा किए गए अद्भुत चमत्कारों को भुला दिया, जो आपने उनके बीच में किए थे; इसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने मिस्र की बंधुआई में लौट जाने के लक्ष्य से अपने लिए एक प्रधान चुन लिया. किंतु आप क्षमा करनेवाले परमेश्वर हैं, अनुग्रहकारी और दयालु, क्रोध करने में धीमे और प्रेम करने में अपार. आपने उन्हें अकेला न छोड़ा.
दुष्ट व्यक्ति अपने मुख पर निर्भयता का भाव ले आता है, किंतु धर्मी अपने चालचलन के प्रति अत्यंत सावधान रहता है.
मैं इसे निर्जन बना दूंगा, न मैं इसकी छंटाई करूंगा, न ही सिंचाई! इसमें झाड़ उगेंगे. और मैं बादलों को भी कहूंगा कि बारिश न हो.”
क्या जनताओं के देवताओं में कोई ऐसा है, जो वृष्टि दे सके? अथवा क्या वृष्टि आकाश से स्वयमेव ही हो जाती है? याहवेह, हमारे परमेश्वर, क्या आप ही वृष्टि के बनानेवाले नहीं? हमारा भरोसा आप पर ही है, क्योंकि आप ही हैं जिन्होंने यह सब बनाया है.
सम्पन्न लोगों ने जल के लिए अपने सेवकों को कुंओं पर भेजा; कुंओं पर पहुंचकर उन्होंने पाया कि वहां जल है ही नहीं. वे रिक्त बर्तन लेकर ही लौट आए हैं; उन्हें लज्जा एवं दीनता का सामना करना पड़ा, वे अपने मुखमंडल छिपाए लौटे हैं.
देश में अनावृष्टि के कारण भूमि तड़क चुकी है; किसान लज्जा के कारण मुखमंडल ढांपे हुए हैं.
“जिस दिन से मैंने तुमसे बात करना प्रारंभ किया है, उसके पहले दिन से ही योशियाह के दिनों से लेकर आज तक मैंने तुमसे इस्राएल, यहूदिया तथा सारे राष्ट्रों के संबंध में जो कुछ कहा है, उसे एक चर्मपत्र कुण्डली लेकर उस पर मेरे सारे संदेश लिख डालो.
यह विचार उनके हृदय में आता ही नहीं, ‘अब हम याहवेह हमारे परमेश्वर के प्रति श्रद्धा रखेंगे, याहवेह जो उपयुक्त अवसर पर वृष्टि करते हैं, शरत्कालीन वर्षा एवं वसन्तकालीन वर्षा, जो हमारे हित में निर्धारित कटनी के सप्ताह भी लाते हैं.’
तुम्हारे अधर्म ने इन्हें दूर कर दिया है; तुम्हारे पापों ने हित को तुमसे दूर रख दिया है.
याहवेह, क्या आपके नेत्र सत्य की अपेक्षा नहीं करते? आपने उन्हें दंड अवश्य दिया, किंतु उन्हें वेदना नहीं हुई; आपने उन्हें कुचल भी दिया, किंतु फिर भी उन्होंने अपने आचरण में सुधार करना अस्वीकार कर दिया. उन्होंने अपने मुखमंडल वज्र सदृश कठोर बना लिए हैं और उन्होंने प्रायश्चित करना अस्वीकार कर दिया है.
क्या अपने घृणास्पद कार्य के लिए उनमें थोड़ी भी लज्जा देखी गई? निश्चयतः थोड़ी भी नहीं; उन्हें तो लज्जा में गिर जाना आता ही नहीं. तब उनकी नियति वही होगी जो समावेश किए जा रहे व्यक्तियों की नियति है; जब मैं उन्हें दंड दूंगा, घोर होगा उनका पतन,” यह याहवेह की वाणी है.
क्या अपने घृणास्पद कार्य के लिए उनमें थोड़ी भी लज्जा देखी गई? निश्चयतः थोड़ी भी नहीं; उन्हें तो लज्जा में गिर जाना आता ही नहीं. तब उनकी नियति वही होगी जो समावेश किए जा रहे व्यक्तियों की नियति है; उन्हें जब दंड दिया जाएगा, घोर होगा उनका पतन, यह याहवेह की वाणी है.
कौन है वह बुद्धिमान व्यक्ति जो इसे समझ सकेगा? तथा कौन है वह जिससे याहवेह ने बात की कि वह उसकी व्याख्या कर सके? सारा देश उजाड़ कैसे हो गया? कैसे मरुभूमि सदृश निर्जन हो गई, कि कोई भी वहां से चला फिरा नहीं करता?
परंतु इस्राएल के लोग तुम्हारी बातों को सुनना नहीं चाहते क्योंकि वे मेरी बातों को सुनना नहीं चाहते; सारे इस्राएलियों ने अपने मन को कठोर और अपने आपको हठीला बना लिया है.
मैं तुम्हारे बल के घमण्ड़ को समाप्त कर दूंगा और तुम्हारे आकाश को लोहे के समान और तुम्हारी भूमि को कांसे के समान बना दूंगा.
“जब कटनी के लिए तीन माह बचे थे, तब मैंने वर्षा को रोके रखा. मैंने एक नगर पर वर्षा की, पर दूसरे नगर पर पानी नहीं बरसाया. एक खेत पर वर्षा हुई, किंतु दूसरे पर नहीं और वह सूख गया.
लोग लड़खड़ाते हुए एक नगर से दूसरे नगर में भटकते रहे किंतु उन्हें पीने के लिये पर्याप्त पानी न मिला, फिर भी तुम मेरी ओर न फिरे,” याहवेह की यह घोषणा है.
याहवेह उसके बीच धर्मी हैं; वे कोई गलत काम नहीं करते. वे हर दिन प्रातः अपना न्याय प्रगट करते हैं, और किसी भी दिन वे असफल नहीं होते हैं, फिर भी अधर्मी लज्जित नहीं होते.
मैंने आदेश दिया है कि खेतों और पहाड़ों पर, अनाज, नये अंगूर की दाखमधु, जैतून तेल और भूमि की हर एक उपज पर, लोगों और घरेलू पशुओं पर, और तुम्हारे सब मेहनत पर अकाल पड़े.”
इसका ध्यान रहे कि तुम उनकी आज्ञा न टालो, जो तुमसे बातें कर रहे हैं. जब वे दंड से न बच सके, जिन्होंने उनकी आज्ञा न मानी, जिन्होंने उन्हें पृथ्वी पर चेतावनी दी थी, तब हम दंड से कैसे बच सकेंगे यदि हम उनकी न सुनें, जो स्वर्ग से हमें चेतावनी देते हैं?