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यिर्मयाह 3:3 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

3 अत: मैंने वर्षा रोक दी, वसंत ऋतु में होनेवाली वर्षा इस वर्ष नहीं हुई। फिर भी तुझे पाप की ग्‍लानि नहीं हुई। तेरी आंखों में व्‍यभिचार झलकता रहा!

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पवित्र बाइबल

3 तुमने पाप किये अत: वर्षा नहीं आई! बसन्त समय की कोई वर्षा नहीं हुई। किन्तु अभी भी तुम लज्जित होने से इन्कार करती हो।

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Hindi Holy Bible

3 इसी कारण झडिय़ां और बरसात की पिछली वर्षा नहीं होती; तौभी तेरा माथा वेश्या का सा है, तू लज्जित होना ही नहीं जानती।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

3 इसी कारण झड़ियाँ और बरसात की पिछली वर्षा नहीं होती; तौभी तेरा माथा वेश्या का सा है, तू लज्जित होना ही नहीं जानती।

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सरल हिन्दी बाइबल

3 तब वृष्टि अशुद्ध रखी गई है, वसन्त काल में वृष्टि हुई नहीं. फिर भी तुम्हारा माथा व्यभिचारी सदृश झलकता रहा; तुमने लज्जा को स्थान ही न दिया.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

3 इसी कारण वर्षा रोक दी गई और पिछली बरसात नहीं होती; तो भी तेरा माथा वेश्या के समान है, तू लज्जित होना ही नहीं चाहती।

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यिर्मयाह 3:3
28 क्रॉस रेफरेंस  

दूसरे दिन बड़ी पुत्री ने छोटी से कहा, ‘मैं कल रात अपने पिता के साथ लेटी थी। हम आज रात भी अपने पिता को शराब पिलाएं, जिससे तू जाकर उसके साथ लेट सके और हम अपने पिता के द्वारा उसके वंश की रक्षा करें।’


उन्‍होंने तेरी आज्ञाओं की अवहेलना की; जो आश्‍चर्यपूर्ण कार्य तूने उनके मध्‍य किए थे, उन्‍होंने उनकी उपेक्षा कर दी। वे ढीठ बन गए, उन्‍होंने तेरे नेतृत्‍व के प्रति विद्रोह कर दिया; और मिस्र की गुलामी में लौटने के उद्देश्‍य से एक नेता को नियुक्‍त किया। पर परमेश्‍वर, तू तो सदा क्षमाशील है, अनुग्राही और दयालु, विलम्‍ब से क्रोध करनेवाला और करुणासागर है। तूने उनको नहीं त्‍यागा।


दुर्जन के चेहरे पर कठोरता झलकती है, पर निष्‍कपट मनुष्‍य अपने आचरण पर ध्‍यान देता है।


मैं उसको उजाड़ दूंगा; मैं उसको नहीं छांटूंगा, और न कुदाली से खोदकर उसको निराऊंगा। तब उसमें कंटीले झाड़-झंखाड़ उग आएंगे। मैं बादलों को भी आदेश दूंगा, कि वे उस पर पानी न बरसाएँ।


अकाल के सम्‍बन्‍ध में प्रभु ने यिर्मयाह से यह कहा:


अन्‍य जातियां निस्‍सार मूर्तियों की आशा करती हैं। क्‍या उन में सामर्थ्य है कि वे आकाश से वर्षा कर दें? क्‍या स्‍वयं आकाश वर्षा कर सकता है? हे हमारे प्रभु परमेश्‍वर, क्‍या तू पहले-जैसा ‘वह’ नहीं रहा? प्रभु, हम तेरी ही आस लगाए बैठे हैं; क्‍योंकि तू ही इन सब कामों को करता है।


यरूशलेम के धनवान लोग पानी के लिए अपने सेवकों को भेज रहे हैं। सेवक कुएं-झरनों पर आते हैं, पर उनमें पानी नहीं है। अत: वे खाली घड़े लिये वापस लौट जा रहे हैं। वे उदास हैं, और नहीं जानते हैं कि क्‍या करें? वे सिर को ढक कर बैठे हुए हैं।


वर्षा न होने के कारण भूमि में दरारें पड़ गई हैं; किसान उदास हैं, वे सिर को ढक कर बैठे हुए हैं।


‘एक चर्मपत्र ले, और उस पर मेरे सब वचन लिख, जो मैंने इस्राएल और यहूदा प्रदेश तथा समस्‍त राष्‍ट्रों के विरुद्ध तेरे माध्‍यम से कहे हैं। राजा योशियाह के राज्‍य-काल में जब मैंने तुझसे बात करना आरंभ किया था, तब से लेकर आज तक मैंने तुझे जो-जो सन्‍देश दिए हैं, उन सब को लिख।


वे अपने हृदय में यह नहीं कहते हैं, “आओ, हम अपने प्रभु परमेश्‍वर की आराधना करें; क्‍योंकि प्रभु ही उचित समय पर पानी बरसाता है, वह हमें शिशिर ऋतु में वर्षा देता है; वसंत ऋतु में भी वर्षा करता है। हमारे लिए फसल का समय भी उसने निश्‍चित् कर दिया है।”


किन्‍तु तुम्‍हारे दुष्‍कर्मों के कारण समय पर वर्षा नहीं होती; तुम्‍हारे पापों के कारण तुम्‍हारा कल्‍याण रुक गया है।


‘हे प्रभु, क्‍या तू सच्‍चाई को नहीं देखता? देख, तूने उनको मारा, किन्‍तु उन्‍हें पीड़ा का अनुभव ही नहीं हुआ! तूने उनका संहार किया, फिर भी उन्‍होंने इससे पाठ नहीं सीखा! उन्‍होंने अपना हृदय चट्टान से अधिक कठोर बना लिया, उन्‍होंने पश्‍चात्ताप करने से इन्‍कार कर दिया।’


जब वे घृणित कार्य करते हैं, तब क्‍या वे लज्‍जित होते हैं? नहीं, उनकी आंखों में शर्म-लज्‍जा का पानी मर गया है। दुष्‍कर्म करते समय पश्‍चात्ताप की भावना उनमें उभरती ही नहीं। इसलिए विनाश होनेवालों के साथ वे भी नष्‍ट होंगे। जब मैं यरूशलेम के निवासियों को दण्‍ड दूंगा, तब नबी और पुरोहित भी ठोकर खाकर गिर जाएंगे।’ प्रभु की यह वाणी है।


जब वे घृणित कार्य करते हैं, तब क्‍या वे लज्‍जित होते हैं? नहीं, उनकी आंखों में शर्म-लज्‍जा का पानी मर गया है। दुष्‍कर्म करते समय पश्‍चात्ताप की भावना उनमें उभरती ही नहीं। इसलिए विनाश होनेवालों में वे भी नष्‍ट होंगे। जब मैं यरूशलेम के निवासियों को दण्‍ड दूंगा, तब नबी और पुरोहित भी ठोकर खाकर गिर जाएंगे।’ प्रभु की यह वाणी है।


कौन मनुष्‍य इतना बुद्धिमान है कि वह इन घटनाओं का भेद समझ सके? किस मनुष्‍य को स्‍वयं प्रभु ने इनका अर्थ समझाया है, कि वह सब मनुष्‍यों पर उसको घोषित करे? देश क्‍यों खण्‍डहर बन गया? वह निर्जन प्रदेश के समान उजाड़ क्‍यों पड़ा है? राहगीर वहां से क्‍यों नहीं गुजरते?


किन्‍तु इस्राएल-कुल तेरी बात नहीं सुनेगा; क्‍योंकि वह मेरी बात सुनने को तैयार नहीं है। समस्‍त इस्राएल-कुल का मन ढीठ और उनका हृदय हठी हो गया है।


तुम्‍हारे बल के गर्व को चूर-चूर करूंगा। तुम्‍हारे आकाश को लोहे के समान सख्‍त तथा तुम्‍हारी भूमि को पीतल के सदृश कठोर बना दूंगा और वर्षा नहीं होगी।


‘फसल की कटनी के तीन महीने शेष थे, और मैंने तुम पर वर्षा नहीं की। मैंने एक नगर में वर्षा की, पर दूसरे नगर को सूखा रखा। एक खेत को पानी मिला, पर दूसरा खेत पानी के अभाव में सूख गया।


अत: दो-तीन नगरों के निवासी भटकते हुए पानी की तलाश में उस नगर में आए जहाँ पानी था। उन्‍होंने पानी पिया, परन्‍तु वह पर्याप्‍त नहीं था। फिर भी तुम मेरी ओर नहीं लौटे।’ प्रभु ने यह कहा है।


ओ निर्लज्‍ज राष्‍ट्र के लोगो: सब मिलकर आओ, यहाँ एकत्र हो।


उसमे मध्‍य में रहनेवाला प्रभु धार्मिक है, वह अनुचित कार्य नहीं करता; वह हर सुबह सूर्य की किरणों की तरह न्‍याय प्रकट करता है। वह अपना यह कार्य कभी नहीं भूलता; पर जो अन्‍यायी है, उसके लिए शर्म क्‍या!


मैंने मैदान और पहाड़ों पर अकाल को प्रेषित किया है। मैंने अन्न, अंगूर के रस और तेल का, तथा भूमि पर उपजनेवाली सब प्रकार की वनस्‍पति का अकाल किया है। मैंने मनुष्‍य और पशु पर, उनके कामों और परिश्रम पर सूखा डाला है।’


तेरे सिर के ऊपर का आकाश पीतल जैसा सख्‍त हो जाएगा। तेरे पैरों के नीचे की भूमि लोहा जैसे कठोर बन जाएगी। न आकाश से वर्षा होगी और न भूमि पर उपज।


आप लोग सावधान रहें। आप बोलने वाले की बात सुनना अस्‍वीकार नहीं करें। जिन लोगों ने पृथ्‍वी पर चेतावनी देने वाले की वाणी को अनसुना कर दिया था, यदि वे नहीं बच सके, तो हम कैसे बच सकेंगे, यदि हम स्‍वर्ग से चेतावनी देनेवाले की वाणी अनसुनी कर देंगे?


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