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यिर्मयाह 5:24 - सरल हिन्दी बाइबल

24 यह विचार उनके हृदय में आता ही नहीं, ‘अब हम याहवेह हमारे परमेश्वर के प्रति श्रद्धा रखेंगे, याहवेह जो उपयुक्त अवसर पर वृष्टि करते हैं, शरत्कालीन वर्षा एवं वसन्तकालीन वर्षा, जो हमारे हित में निर्धारित कटनी के सप्‍ताह भी लाते हैं.’

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पवित्र बाइबल

24 यहूदा के लोग कभी अपने से नहीं कहते, ‘हमें अपने परमेश्वर यहोवा से डरना और उसका सम्मान करना चाहिए। वह हमे ठीक समय पर पतझड़ और बसन्त की वर्षा देता है। वे यह निश्चित करता है कि हम ठीक समय पर फसल काट सकें।’

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Hindi Holy Bible

24 वे मन में इतना भी नहीं सोचते कि हमारा परमेश्वर यहोवा तो बरसात के आरम्भ और अन्त दोनों समयों का जल समय पर बरसाता है, और कटनी के नियत सप्ताहों को हमारे लिये रखता है, इसलिये हम उसका भय मानें।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

24 वे अपने हृदय में यह नहीं कहते हैं, “आओ, हम अपने प्रभु परमेश्‍वर की आराधना करें; क्‍योंकि प्रभु ही उचित समय पर पानी बरसाता है, वह हमें शिशिर ऋतु में वर्षा देता है; वसंत ऋतु में भी वर्षा करता है। हमारे लिए फसल का समय भी उसने निश्‍चित् कर दिया है।”

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

24 वे मन में इतना भी नहीं सोचते कि हमारा परमेश्‍वर यहोवा तो बरसात के आरम्भ और अन्त दोनों समयों का जल समय पर बरसाता है, और कटनी के नियत सप्‍ताहों को हमारे लिये रखता है, इसलिये हम उसका भय मानें।

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

24 वे मन में इतना भी नहीं सोचते कि हमारा परमेश्वर यहोवा तो बरसात के आरम्भ और अन्त दोनों समयों का जल समय पर बरसाता है, और कटनी के नियत सप्ताहों को हमारे लिये रखता है, इसलिए हम उसका भय मानें। (प्रेरि. 14:17)

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यिर्मयाह 5:24
27 क्रॉस रेफरेंस  

वही आकाश को बादलों से ढांक देते हैं; वह पृथ्वी के लिए वर्षा की तैयारी करते और पहाड़ियों पर घास उपजाते हैं.


ज़ियोन के लोगों, खुश हो, याहवेह, अपने परमेश्वर में आनंदित हो, क्योंकि उन्होंने तुम्हें शरद ऋतु की बारिश दी है क्योंकि वे विश्वासयोग्य हैं. उन्होंने तुम्हारे लिये बहुत वर्षा दी है, पहले के समान शरद और वसन्त ऋतु की वर्षा दी है.


“जब तक पृथ्वी है, फसल उगाना तथा काटना, ठंड एवं गर्मी, धूपकाल और शीतकाल, दिन और रात अखंड होते रहेंगे.”


तो भी उन्होंने स्वयं अपने विषय में गवाह स्पष्ट रखा—वह भलाई करते हुए आकाश से वर्षा तथा ऋतुओं के अनुसार हमें उपज प्रदान करते रहे. वह पर्याप्‍त भोजन और आनंद प्रदान करते हुए हमारे मनों को तृप्‍त करते रहे हैं.”


कि तुम अपने स्वर्गीय पिता की संतान हो जाओ, क्योंकि वे बुरे और भले दोनों पर ही सूर्योदय करते हैं. इसी प्रकार वे धर्मी तथा अधर्मी, दोनों पर ही वर्षा होने देते हैं.


क्या जनताओं के देवताओं में कोई ऐसा है, जो वृष्टि दे सके? अथवा क्या वृष्टि आकाश से स्वयमेव ही हो जाती है? याहवेह, हमारे परमेश्वर, क्या आप ही वृष्टि के बनानेवाले नहीं? हमारा भरोसा आप पर ही है, क्योंकि आप ही हैं जिन्होंने यह सब बनाया है.


इनमें आकाश को बंद कर देने का सामर्थ्य है कि उनके भविष्यवाणी के दिनों में वर्षा न हो. उनमें जल को लहू में बदल देने की तथा जब-जब वे चाहें, पृथ्वी पर महामारी का प्रहार करने की क्षमता है.


इसलिये प्रिय भाई बहनो, प्रभु के दोबारा आगमन तक धीरज रखो. एक किसान, जब तक प्रारंभिक और अंतिम वृष्टि न हो जाए, अपने खेत से कीमती उपज के लिए कैसे धीरज के साथ प्रतीक्षा करता रहता है!


याहवेह से विनती करो कि वह वसन्त ऋतु में वर्षा भेजें; यह याहवेह ही है जो बादलों को गरजाते और आंधी लाते है. वह सब लोगों को वर्षा देते, और हर एक के लिए खेत में पौधा उपजाते हैं.


“जब कटनी के लिए तीन माह बचे थे, तब मैंने वर्षा को रोके रखा. मैंने एक नगर पर वर्षा की, पर दूसरे नगर पर पानी नहीं बरसाया. एक खेत पर वर्षा हुई, किंतु दूसरे पर नहीं और वह सूख गया.


“आओ, हम याहवेह की ओर लौटें. उसने हमें फाड़कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया है पर वह हमें चंगा करेंगे; उन्होंने हमें चोट पहुंचाई है, पर वही हमारे घावों पर मरहम पट्टी करेंगे.


वे ज़ियोन के मार्ग के विषय में पूछताछ करेंगे, वे उसी ओर अभिमुख हो जाएंगे. वे इस उद्देश्य से आएंगे कि वे याहवेह के साथ एक चिरकालीन वाचा में सम्बद्ध हो जाएं जिसे कभी भूलना पसंद न किया जाएगा.


क्या तुम्हें मेरा कोई भय नहीं?” यह याहवेह की वाणी है. “क्या मेरी उपस्थिति में तुम्हें थरथराहट नहीं हो जाती? सागर की सीमा-निर्धारण के लिए मैंने बांध का प्रयोग किया है, यह एक सनातन आदेश है, तब वह सीमा तोड़ नहीं सकता. लहरें थपेड़े अवश्य मारती रहती हैं, किंतु वे सीमा पर प्रबल नहीं हो सकती; वे कितनी ही गरजना करे, वे सीमा पार नहीं कर सकती.


ऐसा कोई भी नहीं जो आपके नाम की दोहाई देता है और जो आपको थामे रहने का प्रयास यत्न से करता है; क्योंकि आपने हमसे अपना मुंह छिपा लिया है तथा हमें हमारी बुराइयों के हाथ कर दिया है.


कौन है वह, जिसमें ऐसा ज्ञान है, कि वह मेघों की गणना कर लेता है? अथवा कौन है वह, जो आकाश के पानी के मटकों को झुका सकता है,


गिलआद क्षेत्र के तिशबे नगर के निवासी एलियाह ने अहाब से कहा, “इस्राएल के जीवित परमेश्वर याहवेह की शपथ, मैं जिनका सेवक हूं, आनेवाले सालों में बिना मेरे कहे, न तो ओस पड़ेगी और न ही बारिश होगी.”


याहवेह अपने बड़े भंडार को तुम्हारे लिए उपलब्ध कर देंगे; आकाश अपनी तय ऋतु में भूमि पर वृष्टि करेगा, तुम्हारे सारे काम सफल होंगे और तुम अनेक राष्ट्रों को ऋण दोगे, मगर खुद तुम्हें किसी से ऋण लेने की ज़रूरत न होगी.


उसके बाद इस्राएली लोग लौटेंगे और याहवेह, अपने परमेश्वर तथा दावीद, अपने राजा की खोज करेंगे. वे आखिरी के दिनों में कांपते हुए याहवेह के पास और उसके आशीषों के लिये आएंगे.


वही पृथ्वी पर वृष्टि बरसाते तथा खेतों को पानी पहुंचाते हैं.


आप भूमि का ध्यान रख उसकी सिंचाई का प्रबंध करते हैं; आप उसे अत्यंत उपजाऊ बनाते हैं; परमेश्वर के जल प्रवाह कभी नहीं सूखते. क्योंकि परमेश्वर, आपने यह निर्धारित किया है, कि मनुष्यों के आहार के लिए अन्‍न सदैव उपलब्ध रहे.


तुम्हारी अपनी बुराई ही तुम्हें सुधारेगी; याहवेह के प्रति श्रद्धा से तुम्हारा भटक जाना ही तुम्हें प्रताड़ित करेगा. तब यह समझ लो तथा यह बात पहचान लो याहवेह अपने परमेश्वर का परित्याग करना हानिकर एवं पीड़ादायी है, तुममें मेरे प्रति भय-भाव है ही नहीं,” यह सेनाओं के प्रभु परमेश्वर की वाणी है.


तब वृष्टि अशुद्ध रखी गई है, वसन्त काल में वृष्टि हुई नहीं. फिर भी तुम्हारा माथा व्यभिचारी सदृश झलकता रहा; तुमने लज्जा को स्थान ही न दिया.


वे मेरे लिए वैसे ही प्रतीक्षा करते थे, जैसे वृष्टि की, उनके मुख वैसे ही खुले रह जाते थे, मानो यह वसन्त ऋतु की वृष्टि है.


उनके स्वर उच्चारण से आकाश के जल में हलचल मच जाती है; वही हैं जो चारों ओर से मेघों का आरोहण बनाया करते हैं. वह वृष्टि के लिए बिजली को अधीन करते हैं तथा अपने भण्डारगृह से पवन को चलाते हैं.


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