यहोराम ने येहू को देखा। वह उससे बोला, ‘येहू, सब कुशल-मंगल तो है?’ येहू ने उत्तर दिया, ‘जब तक तुम्हारी माता ईजेबेल के द्वारा संचालित पूजा-स्थानों से संबंधित वेश्यालय उपस्थित हैं और देश में इतना जादू-टोना होता है, तब तक कुशल-मंगल का प्रश्न ही नहीं उठता।’
वृक्ष की डालियाँ सूख गईं; वे टूट गईं स्त्रियाँ आती हैं, और उनसे आग जलाती हैं। यह एक विवेकहीन कौम है; अत: उसका सृजक उस पर दया नहीं करेगा; उनको रचनेवाला उन पर कृपा नहीं करेगा।
प्रभु यों कहता है, ‘क्या तुम्हारी मां के पास तलाक-पत्र है, जिससे यह प्रमाणित हो कि मैंने उसे त्याग दिया है? मैंने किस साहूकार के हाथ तुम्हें बेचा है? सुनो, तुम स्वयं दुष्कर्मों के कारण बिक गए हो। तुम्हारे ही अपराधों के कारण तुम्हारी मां को तलाक मिला है!
मैं उनको एक-दूसरे से टकराऊंगा: पिता और पुत्रों को भी टकराऊंगा। मैं उनको नष्ट करते समय उन पर दया नहीं करूंगा, न ही उनको छोड़ूंगा, और न ही उन पर तरस खाऊंगा,” प्रभु की यह वाणी है।’
‘मैं प्रभु कहता हूं: यिर्मयाह, तू मृत्यु-शोक मनानेवाले किसी घर में प्रवेश मत करना, और न शोक मनाने के लिए जाना। तू उनके लिए शोक भी मत मनाना; क्योंकि मैंने इन लोगों से अपनी शांति, अपनी करुणा और दया वापस ले ली है।
मैं तुझ पर अपना क्रोध प्रेषित करूंगा, ताकि वे क्रोध में डूबकर तेरे साथ कठोरतम व्यवहार करें। वे तेरे नाक-कान काट लेंगे और जो तेरे नगरवासी बच जाएंगे उनको वे तलवार से मौत के घाट उतार देंगे। वे तेरे पुत्र और पुत्रियों को बन्दी बना लेंगे, और तेरे बचे हुए लोगों को आग में झोक देंगे।
अत: मैं उनसे क्रोधपूर्ण व्यवहार करूंगा। मैं उन पर दयादृष्टि नहीं करूंगा। मेरी आंखों से छिप कर वे भाग नहीं सकेंगे। वे ऊंचे स्वर से मुझे पुकारेंगे तो भी मैं उनकी दुहाई नहीं सुनूंगा।’
प्रभु का सन्देश होशे के माध्यम से यों आरम्भ हुआ : प्रभु ने होशे को आदेश दिया, ‘जा, किसी वेश्या स्त्री से विवाह कर और उससे सन्तान उत्पन्न कर। यह सन्तान भी अपनी मां के समान निष्ठावान नहीं होगी। इस देश ने मुझ-प्रभु का अनुसरण करना छोड़ दिया है, और यह अन्य देवताओं की पूजा करने लगा है। यह देश वेश्या के समान मेरे प्रति निष्ठावान नहीं रहा।’
गोमेर पुन: गर्भवती हुई। उसने एक पुत्री को जन्म दिया। प्रभु ने होशे से यह कहा, ‘तू पुत्री का नाम लो-रूहामाहरख, क्योंकि मैं फिर कभी इस्राएल वंश पर दया नहीं करूंगा; उसे कदापि क्षमा नहीं करूंगा।
तब प्रभु के दूत ने कहा, ‘हे स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु, तू कब तक यरूशलेम पर और यहूदा प्रदेश के नगरों पर दया नहीं करेगा? तू उनसे पिछले सत्तर वर्षों से नाराज है।’
परमेश्वर की दयालुता और कठोरता, दोनों पर विचार करो: पतित लोगों के प्रति उसकी कठोरता है और तुम्हारे प्रति उसकी ईश्वरीय दयालुता। शर्त यह है कि तुम उसकी दयालुता के योग्य बने रहो। नहीं तो तुम भी काट कर अलग कर दिये जाओगे।