2 प्रभु का सन्देश होशे के माध्यम से यों आरम्भ हुआ : प्रभु ने होशे को आदेश दिया, ‘जा, किसी वेश्या स्त्री से विवाह कर और उससे सन्तान उत्पन्न कर। यह सन्तान भी अपनी मां के समान निष्ठावान नहीं होगी। इस देश ने मुझ-प्रभु का अनुसरण करना छोड़ दिया है, और यह अन्य देवताओं की पूजा करने लगा है। यह देश वेश्या के समान मेरे प्रति निष्ठावान नहीं रहा।’
2 होशे के लिये यह यहोवा का पहला सन्देश था। यहोवा ने कहा, “जा, और एक वेश्या से विवाह कर ले फिर उस वेश्या से संतान पैदा कर। क्यों क्योंकि इस देश के लोग वेश्या का सा आचरण कर रहे हैं। वे यहोवा के प्रति सच्चे नहीं रहे हैं। उन्होंने यहोवा को त्याग दिया है।”
2 जब यहोवा ने होशे के द्वारा पहिले पहिल बातें कीं, तब उसने होशे से यह कहा, जा कर एक वेश्या को अपनी पत्नी बना ले, और उसके कुकर्म के लड़के-बालों को अपने लड़के-बाले कर ले, क्योंकि यह देश यहोवा के पीछे चलना छोड़ कर वेश्या का सा बहुत काम करता है।
2 जब यहोवा ने होशे के द्वारा पहले पहल बातें कीं, तब उसने होशे से यह कहा, “जाकर एक वेश्या को अपनी पत्नी बना ले, और उसके कुकर्म के बच्चों को अपने बच्चे कर ले, क्योंकि यह देश यहोवा के पीछे चलना छोड़कर वेश्या का सा बहुत काम करता है।”
2 अपनी बात को शुरू करते हुए याहवेह ने होशिया से यह कहा, “जाओ, और किसी वेश्या से शादी कर लो और उससे बच्चे पैदा करो, क्योंकि एक व्यभिचारी पत्नी की तरह यह देश याहवेह से विश्वासघात करने का अपराधी है.”
2 जब यहोवा ने होशे के द्वारा पहले-पहल बातें की, तब उसने होशे से यह कहा, “जाकर एक वेश्या को अपनी पत्नी बना ले, और उसके कुकर्म के बच्चों को अपने बच्चे कर ले, क्योंकि यह देश यहोवा के पीछे चलना छोड़कर वेश्या का सा बहुत काम करता है।”
किन्तु तूने इस्राएल प्रदेश के राजाओं के आचरण का अनुसरण किया, और यहूदा प्रदेश की जनता तथा यरूशलेम के निवासियों को मुझसे विश्वास-घात करने के लिए बहकाया। ऐसा ही विश्वास-घात करने के लिए अहाब के राजपरिवार के लोगों ने इस्राएल प्रदेश की जनता को बहकाया था। तूने अपने ही पिता के पुत्रों की, अपने सगे भाइयों की हत्या की, जो तुझ से अच्छे थे।
‘मेरे निज लोगों ने दो दुष्कर्म किए हैं: उन्होंने मुझे, जीवन-जल के झरने को, त्याग दिया, और अपने लिए हौज बना लिये जो टूटे-फूटे हैं, और जिनसे पानी बह जाता है!
‘ओ इस्राएल, तूने मुझसे विश्वासघात किया। तूने मेरे प्रेम और अधिकार के बंधन तोड़कर कहा, “मैं तेरी सेवा नहीं करूंगी।” तू प्रत्येक पहाड़ी शिखर के मन्दिर में, हर एक हरे वृक्ष के नीचे वेश्या के समान दूसरे से प्रेम करती रही।
‘तू कैसे कह सकती है कि तू अशुद्ध नहीं है? क्या तू इन्कार कर सकती है कि तूने बअल देवता का अनुसरण नहीं किया? घाटी में तूने जो किया है, उस पर दृष्टि कर; अपने आचरण को जान ले! तू कामाग्नि में जलती हुई इधर-उधर वेग से दौड़नेवाली ऊंटनी थी!
तुम्हारे ये बचे हुए लोग उन राष्ट्रों में मुझे स्मरण करेंगे, जहाँ वे बन्दी बनकर निष्कासित हुए थे। वे याद करेंगे कि मैंने उनको दण्ड दिया था, क्योंकि उन दिनों में उनके हृदय की निष्ठा मेरे प्रति नहीं रही थी। और उन्होंने मेरी ओर से आंखें हटा ली थीं, और उन्होंने अन्य देवताओं की मूर्तियों पर कामनापूर्ण दृष्टि की थी। वे यह अनुभव कर अपने घृणित कार्यों के लिए स्वयं अपनी दृष्टि में घृणित ठहरेंगे, और कहेंगे कि उन्होंने कितने दुष्कर्म किये हैं।
वह अपने प्रेमियों का पीछा करेगी, पर वह उन्हें पकड़ न पाएगी, वह उन्हें खोजेगी, पर वह उन्हें पा न सकेगी। तब वह यह कहेगी : ‘मैं अपने पुराने पति के पास लौट जाऊंगी; क्योंकि मेरी उस समय की स्थिति आज की स्थिति से अच्छी थी।’
प्रभु ने मुझे यह आदेश दिया, ‘पुन: जा, और प्रेम कर उस परकीया और व्यभिचारिणी स्त्री से, जैसे मैं-प्रभु भी इस्राएली लोगों से प्रेम करता हूं; यद्यपि वे अन्य देवताओं की ओर उन्मुख हो उनकी पूजा करते हैं, और किशमिश की रोटियाँ पसन्द करते हैं जो मूर्तियों के सम्मुख चढ़ाई जाती है।’
प्रभु ने मूसा से कहा, ‘देख, तू शीघ्र अपने मृत पूर्वजों में जाकर सो जाएगा। पर ये इस्राएली लोग उस देश के, जहाँ ये जा रहे हैं, अजनबी देवताओं का अनुगमन करने लगेंगे और मेरे साथ वेश्या के सदृश विश्वासघात करेंगे। वे मुझे त्याग देंगे। वे मेरे विधान को, जो मैंने उनके साथ स्थापित किया है, तोड़ देंगे।
उनकी आँखें व्यभिचार से भरी हैं और उन में कभी तृप्त न होनेवाली पाप की भूख बनी हुई है। वे दुर्बल आत्माओं को लुभाते हैं। उनका मन लोभ में प्रशििक्षत हो चुका है। यह अभिशप्त सन्तति