प्रभु ने मूसा से कहा, ‘तू ये सुगन्धित मसाले ले : गंधरस, नखी, गंधाबिरोजा, गंध द्रव्य और स्वच्छ लोबान। (इन सब की मात्रा बराबर तौल की होगी।)
श्रेष्ठगीत 3:6 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) ‘गन्धरस और लोबान से सुगन्धित, गन्धी के सब प्रकार के मसालों का लेप लगाये, धुएं के खम्भे-सा यह कौन निर्जन प्रदेश से आ रहा है? पवित्र बाइबल यह कुमारी कौन है जो मरुभूमि से लोगों की इस बड़ी भीड़ के साथ आ रही है? धूल उनके पीछे से यूँ उठ रही है मानों कोई धुएँ का बादल हो। जो धूआँ जलते हुए गन्ध रस, धूप और अन्य गंध मसाले से निकल रही हो। Hindi Holy Bible यह क्या है जो धूएं के खम्भे के समान, गन्धरस और लोबान से सुगन्धित, और व्योपारी की सब भांति की बुकनी लगाए हुए जंगल से निकला आता है? पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यह क्या है जो धुएँ के खम्भे के समान, गन्धरस और लोबान से सुगन्धित, और व्यापारी की सब भाँति की बुकनी लगाए हुए जंगल से निकला आता है? सरल हिन्दी बाइबल रेगिस्तान की दिशा से धुएं के खंभे के समान यह क्या बढ़ा चला आ रहा है, यह लोबान और गन्धरस से सुगंधित है, व्यापारियों के सारे चूर्णों से भी सुगंधित? इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 यह क्या है जो धुएँ के खम्भे के समान, गन्धरस और लोबान से सुगन्धित, और व्यापारी की सब भाँति की बुकनी लगाए हुए जंगल से निकला आता है? |
प्रभु ने मूसा से कहा, ‘तू ये सुगन्धित मसाले ले : गंधरस, नखी, गंधाबिरोजा, गंध द्रव्य और स्वच्छ लोबान। (इन सब की मात्रा बराबर तौल की होगी।)
तुम भिन्न-भिन्न इत्र लगाए हो, उनकी महक कितनी तेज है। तुम्हारा नाम मानो उण्डेला हुआ इत्र है, इसलिए कन्याएँ तुमसे प्रेम करती हैं।
अरे, यह तो राजा सुलेमान की पालकी है। इस्राएली सेना के चुनिन्दे साठ योद्धा उसके साथ-साथ चल रहे हैं।
‘सन्ध्या पवन बहने से पूर्व छाया ढलने तक मैं गन्धरस के पहाड़ पर लोबान की पहाड़ी पर भाग जाऊंगा।
उसके ओंठ मानो सोसन पुष्प हैं जिनसे तरल गन्धरस टपकता है। उसके गाल बलसान की क्यारियां हैं जो सुगन्ध बिखेरती हैं।
मैं अपने प्रियतम के लिए द्वार खोलने के लिए उठी। मेरे हाथों से गन्धरस टपक रहा था, किल्ली के मूंठों पर मेरी अंगुलियों से तरल गन्धरस टपक रहा था।
‘अपने प्रियतम के कन्धे पर झुकी-सी यह कौन निर्जन प्रदेश से आ रही है?’ ‘मैं तुमको सेब के वृक्ष के नीचे जगाती हूं, जहाँ तुम्हारी मां ने तुम्हारे लिए प्रसव-पीड़ा भोगी थी, जहाँ तुम्हारी जननी ने तुमको जन्म दिया था।
देखो, मैं एक नया कार्य कर रहा हूं : वह अब प्रकट हो रहा है। तुम स्वयं उसका अनुभव कर रहे हो। मैं निर्जन प्रदेश में एक मार्ग बनाऊंगा, मरुस्थल में नदियाँ बहा दूंगा।
‘जा, यरूशलेम नगरी से यह कह: प्रभु यों कहता है: ओ यरूशलेम, मुझे तेरी भक्ति स्मरण है, जब तू जवान थी, तूने मुझे दुल्हन-सा प्रेम दिया था! तू पतिव्रता स्त्री के समान निर्जन प्रदेश में मेरे पीछे-पीछे चली थी। उस निर्जन भूमि में हल भी नहीं चला था।
प्रभु यों कहता है, ‘जो लोग फरओ की तलवार से बच गए थे, उन लोगों ने निर्जन प्रदेश में मेरी कृपा प्राप्त की थी। तब इस्राएल ने विश्राम-स्थल की खोज की
निर्जन प्रदेश में अंगूर के समान मैंने इस्राएल को पाया था; अंजीर के वृक्ष पर, उसके मौसम पर प्रथम फल के सदृश मैंने तुम्हारे पूर्वजों को देखा था। जब वे बअल-पओर नगर में आए तब उन्होंने बअल के सम्मुख स्वयं को अर्पित कर दिया। जिस घृणित देवता से उन्होंने प्रेम किया, वे उसी के समान स्वयं घृणित बन गए!
घर में प्रवेश कर उन्होंने बालक को उसकी माता मरियम के साथ देखा और उसे साष्टांग प्रणाम किया। फिर अपना-अपना सन्दूक खोल कर उन्होंने उसे सोना, लोबान और गन्धरस की भेंट चढ़ायी।
तू उन सब मार्गों को स्मरण करना, जिन पर तेरा प्रभु परमेश्वर तुझे चालीस वर्ष तक निर्जन प्रदेश में ले गया, जिससे वह तुझे पीड़ित करे और यह जानने के लिए तेरी परीक्षा ले, कि तेरे हृदय में क्या है, और कि तू उसकी आज्ञाओं का पालन करेगा अथवा नहीं।
अब मुझे पूर्ण राशि प्राप्त हो गई है; मैं सम्पन्न हूँ। इपफ्रोदितुस से आपकी भेजी हुई वस्तुएँ पा कर मैं समृद्ध हो गया हूँ। आप लोगों की यह भेंट एक मधुर सुगन्ध है, एक सुग्राह्य बलि है, जो परमेश्वर को प्रिय है।
परन्तु महिला को विशालकाय गरुड़ के दो पंख मिले, जिससे वह निर्जन प्रदेश में अपने उस आश्रय-स्थान को उड़ जाये, जहाँ उसे, सर्प की पहुँच से परे, साढ़े तीन वर्ष तक भोजन मिलनेवाला था।
तब वह महिला निर्जन प्रदेश की ओर भाग गयी, जहाँ परमेश्वर ने उसके लिए आश्रय तैयार करवाया था और उसे बारह सौ साठ दिनों तक भोजन मिलने वाला था।
दालचीनी, इलायची, धूप और लोबान; मदिरा, तेल, मैदा और गेहूँ; बैल और भेड़ें; घोड़े और रथ; दास और युद्धबन्दी भी।
जब मेमना पुस्तक ले चुका, तब चार प्राणी तथा चौबीस धर्मवृद्ध मेमने के सामने गिर पड़े। प्रत्येक धर्मवृद्ध के हाथ में वीणा थी और धूप से भरे स्वर्ण पात्र भी-ये सन्तों की प्रार्थनाएँ हैं।