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श्रेष्ठगीत 5:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

5 मैं अपने प्रियतम के लिए द्वार खोलने के लिए उठी। मेरे हाथों से गन्‍धरस टपक रहा था, किल्‍ली के मूंठों पर मेरी अंगुलियों से तरल गन्‍धरस टपक रहा था।

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पवित्र बाइबल

5 मैं अपने प्रियतम के लिये द्वार खोलने को उठ जाती हूँ। रसगंध मेरे हाथों से और सुगंधित रसगंध मेरी उंगलियों से ताले के हत्थे पर टपकता है।

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Hindi Holy Bible

5 मैं अपने प्रेमी के लिये द्वार खोलने को उठी, और मेरे हाथों से गन्धरस टपका, और मेरी अंगुलियों पर से टपकता हुआ गन्धरस बेण्डे की मूठों पर पड़ा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

5 मैं अपने प्रेमी के लिये द्वार खोलने को उठी, और मेरे हाथों से गन्धरस टपका, और मेरी अंगुलियों पर से टपकता हुआ गन्धरस बेण्डे की मूठों पर पड़ा।

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सरल हिन्दी बाइबल

5 मैं बिछौना छोड़ अपने प्रेमी के लिए दरवाजा खोलने के लिए उठी, मेरे हाथों से गन्धरस टपक रहा था और मेरी उंगलियों से टपकता हुआ गन्धरस. मेरी उंगलियां इस समय दरवाजे की चिटकनी पर थीं.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

5 मैं अपने प्रेमी के लिये द्वार खोलने को उठी, और मेरे हाथों से गन्धरस टपका, और मेरी अंगुलियों पर से टपकता हुआ गन्धरस बेंड़े की मूठों पर पड़ा।

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श्रेष्ठगीत 5:5
10 क्रॉस रेफरेंस  

उसके ओंठ मानो सोसन पुष्‍प हैं जिनसे तरल गन्‍धरस टपकता है। उसके गाल बलसान की क्‍यारियां हैं जो सुगन्‍ध बिखेरती हैं।


जिससे विश्‍वास द्वारा मसीह आपके हृदय में निवास करें, प्रेम में आपकी जड़ें गहरी हों और नींव सुदृढ़ हो।


मैं द्वार के सामने खड़ा हो कर खटखटाता हूँ। यदि तुम मेरी वाणी सुन कर द्वार खोलोगे, तो मैं तुम्‍हारे पास भीतर आ कर तुम्‍हारे साथ भोजन करूँगा और तुम मेरे साथ।


और उनके आगमन द्वारा ही नहीं, बल्‍कि उस सान्‍त्‍वना द्वारा भी, जो उन्‍हें आप लोगों की ओर से मिली थी। मुझ से मिलने की आपकी उत्‍सुकता, आपका पश्‍चात्ताप और मेरे प्रति आपकी चिन्‍ता—इसके विषय में उन्‍होंने हम को बताया और इससे मेरा आनन्‍द और भी बढ़ गया।


तुम उन सेवकों के सदृश बनो, जो अपने स्‍वामी की राह देखते रहते हैं कि वह विवाह-भोज से कब लौटेगा, ताकि जब स्‍वामी आ कर द्वार खटखटाये, तो वे तुरन्‍त ही उसके लिए द्वार खोल दें।


‘मैं सोई हुई थी, पर मेरा मन जाग रहा था। सुनो, मेरा प्रियतम द्वार खटखटा रहा है : “ओ मेरी संगिनी, मेरी प्रियतमा, मेरी कपोती, मेरी निष्‍कलंक सुन्‍दरी! मेरे लिए द्वार खोल! मेरा सिर ओस से भीग गया है। मेरी लटें रात में टपकती बूंदों से तर हैं।”


‘गन्‍धरस और लोबान से सुगन्‍धित, गन्‍धी के सब प्रकार के मसालों का लेप लगाये, धुएं के खम्‍भे-सा यह कौन निर्जन प्रदेश से आ रहा है?


‘ओ प्रियतम, तुम सुन्‍दर हो, तुम प्रियदर्शी हो। हमारा दीवान हरा है,


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