‘आज भी मेरी शिकायत कड़वी है! मैं कराहता हूँ, इसके बावजूद परमेश्वर का दबाव मुझ पर भारी है।
यिर्मयाह 45:3 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) तूने अपने आप से यह कहा था: “मुझे धिक्कार है! क्या मेरा दु:ख कम था कि प्रभु मुझ पर एक के बाद एक विपत्ति ढाहता रहा। मैं कराहते-कराहते थक गया। मुझे कहीं चैन नहीं मिला।” पवित्र बाइबल ‘बारुक, तुमने कहा है: यह मेरे लिये बहुत बुरा है। यहोवा ने मेरी पीड़ा के साथ मुझे शोक दिया है। मैं बहुत थक गया हूँ। अपने कष्टों के कारण मैं क्षीण हो गया हूँ। मैं आराम नहीं पा सकता।’” Hindi Holy Bible हे बारूक, तू ने कहा, हाय मुझ पर! क्योंकि यहोवा ने मुझे दु:ख पर दु:ख दिया है; मैं कराहते कराहते थक गया और मुझे कुछ चैन नहीं मिलता। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) हे बारूक, तू ने कहा, ‘हाय मुझ पर! क्योंकि यहोवा ने मुझे दु:ख पर दु:ख दिया है; मैं कराहते कराहते थक गया और मुझे कुछ चैन नहीं मिलता।’ सरल हिन्दी बाइबल तुमने कहा था, ‘हाय, धिक्कार है मुझ पर! याहवेह ने मेरी पीड़ा पर शोक भी लाद दिया है; मैं कराहते-कराहते थक चुका हूं और मुझे कुछ भी चैन प्राप्त नहीं हुआ है.’ इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 हे बारूक, तूने कहा, ‘हाय मुझ पर! क्योंकि यहोवा ने मुझे दुःख पर दुःख दिया है; मैं कराहते-कराहते थक गया और मुझे कुछ चैन नहीं मिलता।’ |
‘आज भी मेरी शिकायत कड़वी है! मैं कराहता हूँ, इसके बावजूद परमेश्वर का दबाव मुझ पर भारी है।
धिक्कार है मुझे, कि मैं मेशेक जाति के मध्य प्रवास कर रहा हूं, केदार जाति के शिविरों में निवास कर रहा हूं।
तेरे जल-प्रपात के गर्जन से सागर सागर को पुकारता है; तेरी लहरें-तरंगें मेरे ऊपर से गुजर चुकी है।
मैं सिसकते-सिसकते थक गया; मैं प्रति रात अपने बिछौने को आंसुओं से भिगोता हूं, अश्रुधारा से मेरी शैया डूब जाती है।
मैं पुकारते पुकारते थक गया; मेरा गला सूख गया। अपने परमेश्वर की प्रतीक्षा करते-करते मेरी आंखें धुंधली हो गई।
काश, मेरा मस्तिष्क सागर होता, मेरी आंखें आँसुओं की झील होती, तो मैं अपने लोगों के महासंहार के कारण दिन-रात फूट-फूट कर रोता।
‘उसने ऊपर से आग फेंकी, और उसको मेरी हड्डियों तक उतार दिया। उसने मेरे पैरों के लिए जाल फैलाया, और मुझे चित्त कर दिया। उसने मुझे उजाड़ दिया; मैं दिन भर मूर्च्छित पड़ी रही।
‘उनके समस्त दुष्कर्म तेरे सम्मुख प्रकट किए जाएं; जैसा तूने मेरे साथ मेरे तमाम अपराधों के कारण कठोर व्यवहार किया है, वैसा ही उनके साथ कर। मैं बहुत कराहती हूं, मेरा हृदय पीड़ा से मूर्च्छित हो जाता है।’
यद्यपि वह मनुष्य को दु:ख देता है, तथापि वह उस पर दया भी करता है; क्योंकि वह करुणा-सागर है।
यही कारण है कि हम हिम्मत नहीं हारते। हमारे शरीर की शक्ति भले ही क्षीण होती जा रही हो, किन्तु हमारे अभ्यन्तर में दिन-प्रतिदिन नये जीवन का संचार होता रहता है;
हम भलाई करते-करते हिम्मत न हार बैठें; क्योंकि यदि हम दृढ़ बने रहेंगे तो समय आने पर अवश्य फसल काटेंगे।