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यिर्मयाह 12:4 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

कब तक देश विलाप करता रहेगा? कब तक हमारे चरागाह की घास सूखती रहेगी? क्‍योंकि देशवासियों के दुष्‍कर्मों के कारण पशु और पक्षी भी नष्‍ट हो गए हैं: ये दुष्‍कर्मी कहते हैं, ‘प्रभु हमारा आचरण नहीं देखता है।’

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पवित्र बाइबल

कितने अधिक समय तक भूमि प्यासी पड़ी रहेगी घास कब तक सूखी और मरी रहेगी इस भूमि के जानवर और पक्षी मर चुके हैं और यह दुष्ट लोगों का अपराध है। फिर भी वे दुष्ट लोग कहते हैं, “यिर्मयाह हम लोगों पर आने वाली विपत्ति को देखने को जीवित नहीं रहेगा।”

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Hindi Holy Bible

कब तक देश विलाप करता रहेगा, और सारे मैदान की घास सूखी रहेगी? देश के निवासियों की बुराई के कारण पशु-पक्षी सब नाश हो गए हैं, क्योंकि उन लोगों ने कहा, वह हमारे अन्त को न देखेगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

कब तक देश विलाप करता रहेगा, और सारे मैदान की घास सूखी रहेगी? देश के निवासियों की बुराई के कारण पशु–पक्षी सब नष्‍ट हो गए हैं, क्योंकि उन लोगों ने कहा, “वह हमारे अन्त को न देखेगा।”

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सरल हिन्दी बाइबल

हमारा देश और कितने दिन विलाप करता रहेगा तथा कब तक मैदान में घास मुरझाती रहेगी? क्योंकि देशवासियों की बुराई के कारण, पशु-पक्षी सहसा वहां से हटा दिए गए हैं. क्योंकि, वे मनुष्य अपने मन में विचार कर रहे हैं, “परमेश्वर को हमारे द्वारा किए गए कार्यों का परिणाम दिखाई न देगा.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

कब तक देश विलाप करता रहेगा, और सारे मैदान की घास सूखी रहेगी? देश के निवासियों की बुराई के कारण पशु-पक्षी सब नाश हो गए हैं, क्योंकि उन लोगों ने कहा, “वह हमारे अन्त को न देखेगा।”

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यिर्मयाह 12:4
22 क्रॉस रेफरेंस  

वहां के निवासियों की दुष्‍टता के कारण फलवन्‍त भूमि को लोनी मिट्टी में बदल डालता है।


ये काम तूने किए, पर मैं चुप रहा; तूने सोचा कि मैं तेरे जैसा हूँ। पर अब मैं तेरी भत्‍र्सना करता हूँ− और तेरी आंखों के सामने अभियोग सिद्ध करता हूँ।


पृथ्‍वी शोक मना रही है, वह मुरझा रही है; दुनिया व्‍याकुल है, वह कुम्‍हला रही है, आकाश भी पृथ्‍वी के साथ क्षीण होता जा रहा है।


अत: पृथ्‍वी को शाप ग्रस रहा है, पृथ्‍वी के निवासी अपने अधर्म के कारण दु:ख भोग रहे हैं। वे झुलस गए; अत: पृथ्‍वी पर कुछ ही मनुष्‍य शेष रह गए!


उन्‍होंने उसको उजाड़ दिया; वह उजड़ कर मुझसे अपना रोना रो रहा है। सारा देश ही उजड़ गया है, परन्‍तु किसी के हृदय में इसका दु:ख नहीं है।


‘यहूदा प्रदेश विलाप कर रहा है; उसके नगर के प्रवेश-द्वार गर्मी से मूर्छित पड़े हैं। उसके निवासी भूमि पर बैठकर शोक मना रहे हैं; यरूशलेम के रोने की आवाज आकाश तक पहुंच रही है।


देश व्‍यभिचारियों से भर गया है; शाप के कारण धरती शोक में डूबी है। निर्जन प्रदेश के विशाल चरागाह सूखे पड़े हैं; पुरोहित और नबी दुष्‍कर्म करने को मानो कमर कसे रहते हैं, उनकी वीरता केवल हिंसा के लिए होती है। प्रभु कहता है, ‘ये दोनों धर्म से गिर गए हैं, स्‍वयं मैंने अपने भवन में इनके दुष्‍कर्म देखे हैं!


मैंने धरती को देखा, परन्‍तु वहां एक भी मनुष्‍य दिखाई नहीं दिया। आकाश के पक्षी भी अज्ञात स्‍थान को उड़ गए।


पृथ्‍वी इस देश के लिए विलाप करेगी; आकाश शोक से अंधकारमय हो जाएगा। जो मैंने कहा है, जो मैंने निश्‍चित किया है उसको पूरा करूंगा मैं इस कार्य के लिए नहीं पछताऊंगा, और न ही अपने वचन से मुंह मोड़ूंगा।’


ये नबी हवा मात्र हैं, उनमें मुझ-प्रभु की वाणी निवास नहीं करती। पर जैसा ये कहते हैं, वैसा ही उनके साथ घटेगा।’


नबी झूठी नबूवत करते हैं; पुरोहित उनकी हां में हां मिलाते हैं। मेरे निज लोगों को यह पसन्‍द भी है। परन्‍तु जब अन्‍त आएगा तब तुम क्‍या करोगे?


इसलिए मैं-प्रभु स्‍वामी कहता हूं: इस स्‍थान पर, मनुष्‍य और पशु पर, मैदान के वृक्षों और भूमि की उपज पर मैं अपनी क्रोधाग्‍नि उण्‍डेलूंगा। वह सदा जलती रहेगी, और कभी न बुझेगी।’


मैं पर्वतों के लिए रोऊंगा, शोक मनाऊंगा; निर्जन प्रदेश के चरागाह के लिए विलाप करूंगा; क्‍योंकि वे उजाड़ हो गए हैं, राहगीर उधर से अब नहीं गुजरते। पशुओं का रंभाना भी नहीं सुनाई देता। आकाश के पक्षी उनको छोड़ चले गए हैं; जंगली पशु भी भाग गए हैं।


क्‍या मुझे उनके इन दुष्‍कर्मों के लिए उन्‍हें दण्‍ड नहीं देना चाहिए? क्‍या मैं ऐसी जाति से प्रतिशोध न लूं?’ प्रभु की यह वाणी है।


इस कारण देश मृत्‍यु-शोक मना रहा है, सब निवासी कष्‍ट से मुरझा गए हैं; वन-पशु, आकाश के पक्षी; समुद्र की मछलियाँ भी मर गई हैं।


पशु कैसे कराह रहे हैं, रेवड़ के पशु विकल हैं, क्‍योंकि उनके लिए चरागाह नहीं हैं। भेड़-बकरियाँ भी विपत्ति का शिकार हो गईं।


आमोस ने कहा, ‘प्रभु सियोन से हुंकार रहा है, वह यरूशलेम से गरज रहा है। चरवाहों के चरागाह शोक मना रहे हैं, कर्मेल पर्वत की चोटी सूख गई है।’


यद्यपि अंजीर वृक्ष में फूल नहीं आए, अंगूर-लताओं में फल नहीं लगे, जैतून के फलों की फसल नहीं हुई, खेतों में भी अन्न नहीं उपजा, बाड़ों में भेड़-बकरी नहीं रही, और पशुशालाओं में गाय-बैल नहीं रहे,


तब प्रभु के दूत ने कहा, ‘हे स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु, तू कब तक यरूशलेम पर और यहूदा प्रदेश के नगरों पर दया नहीं करेगा? तू उनसे पिछले सत्तर वर्षों से नाराज है।’


हम जानते हैं कि समस्‍त सृष्‍टि मिलकर अब तक मानो प्रसव-पीड़ा में कराह रही है